- कैदियों में हेपेटाइटिस बी व सी का इंफेक्शन मिलने से मचा हड़कंप

- नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत चल रही स्क्रीनिंग

GORAKHPUR:

कोरोना संक्रमण की कमजोर पड़ी सेकेंड वेव से जहां हेल्थ डिपार्टमेंट राहत में है। वहीं, अब हेपेटाइटिस ने डिपार्टमेंट की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत चल रही स्क्रीनिंग में जिला जेल के 200 बंदियों में से 6 में हेपेटाइटिस की पुष्टि हुई है। जांच में 4 में हेपेटाइटिस बी व 2 में हेपेटाइटिस सी होने की बात सामने आई है। अब इनके सैंपल वायरल लोड टेस्टिंग के लिए के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हेपेटाइटिस बी सेंटर भेजे जाएंगे, ताकि इनकी संक्रमण दर की जानकारी प्राप्त कर उपचार के लिए ट्रीटमेंट शुरू किया जा सके।

7 से 12 अगस्त तक चली स्क्रीनिंग

हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से सिटी व आसपास के एरिया में हेपेटाइटिस बी और सी के रोगियों की तलाश के लिए 7 से 12 अगस्त तक स्क्रीनिंग अभियान चलाया गया। इस स्क्रीनिंग अभियान की मॉनीटरिंग कर रहीं एडिशनल सीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ। सीमा राय के नेतृत्व में डॉक्टर्स ने जांच की। 7 अगस्त से जेल में किए गए बंदियों के सैंपल में 6 बंदियों में हेपेटाइटिस बी और सी की पुष्टि हुई है। वहीं अब यह टीम जंगल मातादीन, चकसा हुसैन, घोषीपुरवा, राम लीला मैदान बिछिया में सैंपलिंग करने जाएगी।

सैंपलिंग के लिए मिलीं 400 किट

नोडल अधिकारी डॉ। राय ने बताया, सैंपलिंग तीन जगह पर कराई जानी है। इनमें जेल, जंगल मातादीन, चकसा हुसैन व घोषीपुरवा एरिया में 50-50 सैंपलिंग की जा चुकी है। जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है। वहीं, रामलीला मैदान बिछिया में 50 सैंपलिंग की जानी है। उन्होंने बताया, हमें 400 किट मिली थीं, जिसके जरिए जांच की जा रही है। हेपेटाइटिस बी व सी की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद वायरल लोड टेस्टिंग के लिए इनके सैंपल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हेपेटाइटिस बी सेंटर में भेजा जाएगा। जहां पर एक्यूरेसी देखी जाएगी। संक्रमण क्षमता जानने के बाद उन्हें सरकार की ओर से दी गई हेपेटाइटिस बी व सी की दवाएं मुफ्त दी जाएंगी।

इन जगहों पर हुई सैंपलिंग

सैंपलिंग स्पॉट - सैंपल - रिपोर्ट

जेल - 200 - - हेपेटाइटिस बी के 4 व सी के 2 बंदी

जंगल मातादीन - 50 - अवेटेड

चकसा हुसैन - 50 - अवेटेड

घोषीपुरवा - 50 - अवेटेड

रामलीला मैदान, बिछिया - 50 - अवेटेड

कुल - 400 किट

हेपेटाइटिस बी एवं सी

असुरक्षित इंजेक्शन: उपयोग किए गए इंजेक्शन अथवा सीरिंज का फिर से उपयोग करना। इंजेक्शन की सुइयों का साझा किया जाना। व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं जैसे रेजर, ब्लेड, नेल कटर, टूथ ब्रश को साझा किया जाना। संक्रमित सुई एवं स्याही-टैटू एवं शारीरिक अंग अथवा नाक कान, आदि को भेदने के लिए संक्रमित सुई का इस्तेमाल करना, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित समलैंगिक एवं विषमलैंगिक यौन संबंध, संक्रमित रक्त एवं रक्त उत्पाद - संक्रमित रक्त एवं रक्त उप्ता का संचार, डायलिसिस।

क्या है हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस बी एक संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस बी नामक वायरस से फैलता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के रक्त के द्वारा व शारीरिक तरल पदार्थो के संपर्क में आने से फैलता है। हेपेटाइटिस ए और बी दो तरह के होते हैं। हेपेटाइटिस ए से अधिक भयानक हेपेटाइटिस बी होता है, क्योंकि हेपेटाइटिस बी मुख्य रूप से लीवर पर प्रहार करता है। हेपेटाइटिस का वायरस दूषित पानी से अधिक फैलता है। कुछ लोगो में हेपेटाइटिस बी का संक्रमण लंबे समय तक रहता है, किंतु व्यक्ति को इसका पता नहीं लग पाता है, जिसे जीर्ण क्रॉनिक हेपेटाइटिस कहते हैं।

हेपेटाइटिस मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 400 किट दी गई हैं। इसके लिए टीम जगह-जगह सैंपलिंग कर रही है। दवाएं भी आ गई हैं। हेपेटाइटिस बी व सी के रोगियों की पुष्टि होने पर उन्हें दवा देकर उपचार किया जाएगा।

डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ गोरखपुर