गोरखपुर (ब्यूरो)। डिपार्टमेंट में इलाज कराने पहुंचे 60 मरीजों पर यह प्रारंभिक सर्वे हुआ है। इन मरीजों में से ज्यादातर में बीपी और शुगर के लक्षण मिले। मेडिसिन विभाग से भी यहां मरीज से रेफर किए गए थे। अनकंट्रोल्ड बीपी और शुगर के मरीजों में स्लीप एपनिया की पुष्टि भी हुई थी।

ज्यादा कारगर नहीं हो रही थी दवाई

बीआरडी मेडिकल कालेज टीवी एंड चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ। अश्वनी मिश्रा ने बताया कि मरीजों को बीपी और शुगर की दवाएं दी जा रही थी, जो ज्यादा कारगर नहीं हो रही थी। इसके कारण दबाव का असर कम हो गया। इसको देखते हुए सभी मरीजों का पहले स्लीप एपनिया का इलाज शुरू किया गया। स्लीप एपनिया का इलाज शुरू होते ही दूसरी बीमारियों की दवाओं का असर भी तेज हो गया। मरीजों का बीपी और शुगर नियंत्रित हो गया।

खतरनाक है यह बीमारी

उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया खतरनाक बीमारी है। हाल ही में एक बड़े संगीतकार की मौत इस बीमारी की वजह से हुई। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। सड़क में होने वाली दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह स्लीप एपनिया होती है। चालकों को गाड़ी चलाने के दौरान नींद आ जाती है। जिन लोगों को बचपन में टॉन्सिल्स की समस्या होती रहती है, ब्लड प्रेशर हाई रहता है। अक्सर रात में नाक जाम हो जाती है। धूम्रपान करने वाले डायबिटीज दिल की बीमारी व अस्थमा के मरीजों में खतरा अधिक है। इस बीमारी का इलाज संभव है। इसको लेकर एक विस्तृत रिसर्च विभाग में की जाएगी। इसके लिए रिसर्च प्रपोजल तैयार किया गया है।

क्या है लक्षण?

- तेज खर्राटे लेना

- दिन के वक्त ज्यादा नींद आना

- सोते वक्त सांस रुकना या गला चोक होना

- सांस रुकने या गला चोक होने से नींद खुल जाना

- सोते वक्त मुंह सूखना और गला चिपकना

- सुबह के वक्त सिर में दर्द

- हाई ब्लड प्रेशर

हो जाए एलर्ट

- सोते वक्त आपके खर्राटेे से आपकी या दूसरों की नींद खुल जाती है।

- गला चोक होकर नींद खुल जाती है।

- सोते वक्त सांस रुक जाती है।

- टीवी देखते या ड्राइविंग के वक्त भी सोने लगते हैं।