गोरखपुर (ब्यूरो).शायद गोरखपुर के स्कूलों संचालकों के जेहन में यह बात बैठ गई और वे डिजिटल गुरु बनने के साथ शिक्षा को समृद्ध बनाने में जुट गए। टीचर्स डे पर कुछ ऐसे खास टीचर्स की कहानी दैनिक जागरण आईनेक्स्ट शेयर कर रहा है।

सेंट पॉल स्कूल में बनाया लर्निंग स्टूडियो

सेंट पॉल्स कोरोना के समय जब बंद हुआ। थोड़े समय के लिए टीचर्स भी परेशान थे और स्टूडेंट्स बार-बार कॉल कर यही पूछ रहे थे कि सर स्कूल कब फिर रिओपेन होगा। ऐसे में सेंट पॉल्स स्कूल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमरीश चंद्रा ने एक नई पहल की। उन्होंने स्कूल में लर्निंग स्टूडियो तैयार किया। हाइटेक लर्निंग स्टूडियो से ही स्कूल के हजारों बच्चों की एक बार फिर से पढ़ाई शुरू हुई। यही नहीं इस लर्निंग स्टूडियो से देश विदेश के भी बच्चे जुड़कर पढ़ाई करने लगे।

आरपीएम एकेडमी ने घर बैठे कराई पढ़ाई

कोरोना काल चुनौती पूर्ण था। ऐसे में घर बैठे बच्चों के सवालों का जवाब दे पाना आसान नहीं था। आरपीएम एकेडमी के एक बच्चे ने जब स्कूल में कॉल कर ये पूछा कि अब हम लोग कैसे पढ़ेंगे। तब स्कूल के डायरेक्टर अजय शाही का जवाब था कि अब घर बैठे पढ़ाई होगी। उस समय सुनने में थोड़ी हैरानी जरूर हुई, लेकिन अजय शाही द्वारा तैयार कराया ऑनलाइन सेंटर उसका जवाब था। सिविल लाइन में उन्होंने एक हाईटेक स्टूडियो तैयार कराया। जहां से उनक सभी स्कूल और उनकी अन्य ब्रांच की पढ़ाई शुरू हुई। आज भी इस हाईटेक स्टूडियो का यूज स्कूल में होता है।

अमेरिका के बच्चे ने मैम से बनवाया वीडियो

गोरखपुर के एक सरकारी स्कूल सरैया की प्रिंसिपल अनिता श्रीवास्तव ने कोरोना काल ही नहीं बल्कि, आज भी अपने डिजिटल अंदाज से बच्चों के साथ ही हर किसी को ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। कोरोना के समय में कम संसाधन में खुद के दम पर बच्चों की ऑनलाइन क्लास कराना है वो भी सरकारी स्कूल के बच्चों को ये अपने आप ही एक चुनौती थी, जिसे उन्होंने पूरा किया। उनके बनाए पॉड कास्ट इतने हिट होते थे कि एक समय अमेरिका के बच्चे ने एक फुटबॉल खिलाड़ी का पॉडकास्ट बनाने की रिक्वेस्ट सोशल मीडिया के माध्यम से टीचर अनिता श्रीवास्तव से की। इसे इन्होंने पूरा भी किया था। अनिता ने डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की साथ ही 8 ई-पुस्तिका का भी निर्माण किया।

हिम्मत नहीं हारी की नई पहल

एडी स्कूल की टीचर डॉ। बिंदु पाण्डेय स्टूडेंट्स के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। कोरोना काल में इस लोकप्रियता की वजह से इन्होंने यूट्यूब से सीखकर खुद से ऑनलाइन सेटअप तैयार कराया। ऑनलाइन क्लास लेने में इन्हें महारथ तो नहीं हासिल थी, लेकिन इन्होंने सबकुछ सीखकर बच्चों को ऐसा पढ़ाया कि हर कोई हैरान रह गया। इंटर क्लास को हिंदी और संस्कृत पढ़ाने वाली टीचर बिंदू पाण्डेय ने अपनी काबिलियत से बच्चों को एक समय भी निराश नहीं किया। खुद को हाइटेक कर बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन जारी रखी। स्कूल में तो उन्हें डिजिटल गुरु भी कहा जाने लगा।

घर को बना दिया क्लास रूम

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इंग्लिश डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। अजय कुमार शुक्ला अपने यूनिक स्टाइल में पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। कोविड के समय स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित ना हो। इसके लिए इन्होंने अपने घर को ही क्लास रूम की तरह से डिजाइन कर लिया। इसके साथ ही वह हमेशा कुछ इनोवेटिव करते रहते हैं। स्टूडेंट्स की पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए वह पढ़ाई के साथ-साथ मॉक इंटरव्यू भी ऑर्गनाइज करते रहते हैं, जिससे उनको आगे किसी भी कॉम्प्टीशन में दिक्कत ना आए। इसके साथ ही क्लास रुम में भी वह तरह-तरह की एक्टिविटीज भी ऑर्गनाइज करते रहते हैं।

ऑनलाइन मोटिवेशन, घर पर भी स्टडी

कॉमर्स टीचर हितेश पांडेय ने कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। एक टीचर के साथ ही वह मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं जो समय-समय पर स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते रहते हैं। क्लास के साथ वह ऑनलाइन भी काफी सक्रिय रहते हैं। एग्जाम के समय जरूरत पडऩे पर वह बच्चों को अपने घर पर भी बुला के पढ़ाते हैं, जिससे बच्चों की तैयारी में कोई कमी ना रह सके। बच्चों के परफेक्ट रिवीजन के लिए वह तरह-तरह के नए तरीके अपना कर पढ़ाते हैं।

क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे

इस दिन को मनाने के पीछे एक खास वजह यह है कि 5 सितंबर 1888 को भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है। ऐसे में इस दिन को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। बता दें, डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति होने के साथ ही देश के पहले उपराष्ट्रपति, भारत रत्न से सम्मानित, शिक्षाविद, हिंदू विचारक, भारतीय संस्कृति के संवाहक और भारतीय संस्कृति के संवाहक भी थे।