सिर्फ तीन कैंडिडेट्स ने किया एप्लाई

लीडर बनने का सपना तो यूथ के दिलों में बसा हुआ है, लेकिन सोशल वर्क से उनको काफी दिक्कत है। भले ही पुराने जमाने के लीडर्स सोशल वर्क कर अपना करियर बनाने की चाह रखते हों, लेकिन नई जनरेशन इससे कतई इत्तफाक नहीं रखती है। अगर नेट में आए एप्लीकेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक तरफ जहां पॉलिटिकल साइंस के लिए 692 एप्लीकेशन आई हैं, वहीं सोशल वर्क के लिए महज 3 कैंडिडेट्स ने एप्लाई किया है।

टीचर बनने की होड़

एक तरफ जहां पॉलिटिक्स में स्टूडेंट्स करियर बनाने की सोच रहे हैं, लेकिन सोशल वर्क से दूर भाग रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ यूथ की सोच इनसे बिल्कुल हटकर है। इस बार बड़ी तादाद में यूथ में टीचर बनने की होड़ लगी हुई है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में नेट के लिए पहुंची एप्लीकेशन की बात करें तो यहां पर एजूकेशन का दबदबा है। पिछले सभी रिकॉर्ड को ब्रेक करते हुए एजूकेशन के लिए सबसे ज्यादा 1393 कैंडिडेट्स ने एप्लाई किया है। इससे तो एक बात साफ है कि स्टूडेंट्स में टीचर बनने की सबसे ज्यादा चाह है।

सिर्फ तीन सब्जेक्ट्स में 'हजारा' पार

यूजीसी नेट की ओवरऑल बात करें तो यहां कुछ सब्जेक्ट्स में स्टूडेंट्स ने काफी इंटरेस्ट दिखाया है, तो कुछ के खाते में महज कुछ एप्लीकेशन ही आई हैं। यूनिवर्सिटी पहुंचे सभी एप्लीकेशन में जगह तीन सब्जेक्ट्स ही ऐसे हैं, जिनमें तादाद एक हजार के पार पहुंच सकी है। बाकी कई सब्जेक्ट्स में एप्लीकेशन 500 से 700 के बीच सिमट कर रह गई है। वहीं कई सब्जेक्ट्स तो दहाई के बाद का आंकड़ा भी नहीं छू सके हैं। हजारा कंप्लीट करने वाले सब्जेक्ट्स में एजूकेशन, हिंदी और हिस्ट्री शामिल है।

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