गोरखपुर (ब्यूरो)।बहुत से स्टूडेंट के अंदर रिजल्ट फोबिया यानी परिणाम का डर भी देखने को मिल रहा है। स्कूल टीचर्स की मानें तो स्टूडेंट परिणाम को लेकर इस कदर बेचैन हुए हैं कि बोर्ड की वेबसाइट पर 24 घंटे में 75 बार रिजल्ट सर्च कर रहे हैं।

फेक न्यूज से बढ़ रहीं धड़कन

बोर्ड एग्जाम देने वाले 10वीं और 12वीं के अधिकतर स्टूडेंट सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आए दिन फेक न्यूज आ रही है। जिससे स्टूडेंट की धड़कन और बढ़ जा रही हैं। बुधवार को सीबीएसई का एक सर्कुलर पूरे दिन वायरल होता रहा। इस सर्कुलर में लिखा था कि गुरुवार को बोर्ड रिजल्ट जारी करने जा रहा है। इसके बाद स्टूडेंट अपने-अपने स्कूल में फोन मिलाना शुरू कर दिए। टीचर्स भी परेशान हो गए। बोर्ड तक जब वायरल सर्कुलर पहुंचा तो आनन-फानन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही सीबीएसई ने उसे फेक बताया। तब जाकर स्टूडेंट का राहत मिली।

रिजल्ट फोबिया का लक्षण

। घबराहट

। भूख कम लगना

। चिड़चिड़ापन

। वॉमिटिंग

। नींद ना आना

। सामाजिक दूरी

। पेट में दर्द होना

। धड़कन का तेज होना

। अत्याधिक खाना

। दस्त होना

। मुंह सूखना, प्यास लगना

। हाथों को बार-बार रगडऩा या अंगुलियां पुटकाना

। कहीं भी मन नहीं लगना, किसी काम को करने से पहले इच्छा ना होना

। सुसाइड की मनोवृत्ति आदि

सुझाव

। घर में समय बिताएं, मोबाइल और टीवी पर अधिक वक्त ना बिताएं

। ध्यान लगाएं, मेडिटेशन करें

। आने वाले रिजल्ट को एक्सेप्ट करने की क्षमता रखें

। भविष्य में आगे की परीक्षा पर बल दें, जो भी गलतियां हुई हैं, उनसे सबक लेकर आगे उसे दूर करने का प्रयास करें

। अपनी बातों को फैमिली और दोस्तों से शेयर करें। अपनी योग्यता को सुधारें, सोशल मीडिया से बिल्कुल ही दूर रहें।

। घबराहट हो रही हो तो फैमिली से बातें करें उन्हें बताएं

पहली बार बोर्ड एग्जाम दिया है। थोड़ा डर तो लग ही रहा है। मेरा पेपर अच्छा हुआ है, नंबर भी अच्छे ही आएंगे। रिजल्ट को लेकर बहुत परेशान नहीं हूं। मेरे कई फ्रेंडस बार-बार बोर्ड की वेबसाइट सर्च करते रहते हैं।

आदित्य कुमार, क्लास 10

रिजल्ट जो भी आएगा उसे स्वीकार करना चाहिए। अभी हमारे पास समय है, अपनी कमियां दूर कर सकते हैं। कई स्टूडेंट रिजल्ट को लेकर काफी परेशान हैं। वे दिन भर बोर्ड की वेबसाइट पर रिजल्ट सर्च करते रहते हैं।

ओंकार गुप्ता, क्लास 12

बोर्ड एग्जाम देने के बाद स्टूडेंट घर पर हैं। इस समय फैमिली का पूरा ध्यान बच्चों पर होना चाहिए। पैरेंट््स बच्चों को अपनी अच्छी काहानियां सुना सकते हैं। बच्चों को इधर उधर अच्छी जगहों पर घुमाने ले जाएं। किसी भी हाल में बच्चों को अकेला ना छोड़ें।

- डॉ। आकृति पांडेय, साइकोलाजिस्ट