गोरखपुर (ब्यूरो)।उनको रोकने पहुंचे चीफ प्रॉक्टर डॉ। सत्यपाल सिंह से उनकी तीखी नोकझोंक हुई और इसके बाद हाथापाई हो गई। इसमें कार्यकर्ता उग्र हो गए और उन्होंने प्रॉक्टर पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन स्टूडेंट्स के खिलाफ कैंट थाने में तहरीर दी।

वीसी का फूंका पुतला

एबीवीपी कार्यकर्ता सुबह 11:30 बजे वीसी प्रो। राजेश सिंह का पुतला फूंकने के लिए मेन गेट पर इकट्ठा हुए। वह जैसे ही पुतला फूंकने गए। वैसे ही प्रॉक्टर ने पुतला छीनने का प्रयास और तीखी नोकझोंक और हाथापाई हो गई। इसके बाद भी कार्यकर्ता पुतला फूंक कर ही शांत हुए। वहीं, एबीवीपी के अनुसार इस हाथापाई में प्रांत मंत्री सौरभ गौड़ भी चोटिल हो गए, जिन्हें प्राथामिक उपचार के लिए भेजा गया।

कार्यवाही न करने पर प्रदर्शन

प्रांत मंत्री सौरभ कुमार गौड़ ने बताया कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी इकाई के कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी में व्याप्त अनियमितता और पूर्व में दिए ज्ञापन पर कोई कार्यवाही न किये जाने को लेकर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। राजेश सिंह का पुतला दहन किया। प्रांत राज्य यूनिवर्सिटी कार्य प्रमुख ऋ षभ सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी में आये दिन छात्रों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी में अनियमितता निरंतर नए रिकॉर्ड को स्थापित कर रही है। इस अवसर पर इकाई मंत्री चंद्रपाल यादव, संजीव त्रिपाठी, शुभम राव, प्रभात राय, अर्पित कसौधन, अभिजित शर्मा, अनुराग मिश्रा, विवेक सिंह, ओमकार मिश्रा, साक्षी गुप्ता, सूरज मौर्य, प्रिंस तिवारी, शिवम पांडेय, आशीष त्रिपाठी, अभिषेक मौर्या आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

इन सवालों के जवाब के लिए हुआ बवाल

- छह माह में आयोजित होने वाली प्री-पीएचडी परीक्षा दो साल में क्यों हुई?

- सत्र 2018-19 के छात्रों का लगभग चार वर्ष पूरा होने के बाद भी शोध-प्रबंध क्यों नहीं जमा कराया गया?

- यूजीसी द्वारा निर्धारित तीन वर्ष की अवधि में एक भी छात्र का शोध प्रबंध जमा क्यों नहीं जमा हुआ?

- शोध जमा करने का फीस साढ़े तीन हजार से बढ़ाकर 10 हजार क्यों किया गया?

- 32 हजार 500 रुपए प्रति सेमेस्टर पार्ट टाइम पीएचडी फीस जमा होना क्या शोध का व्यापार नहीं है। तीन वर्ष में शोध संबंधी किन-किन सुविधाओं का विस्तार हुआ है?

सस्पेंड होंगे स्टूडेंट

यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार उग्र प्रदर्शन करने वाले कुछ स्टूडेंट्स को चिह्नित कर लिया गया है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी और उन्हें यूनिवर्सिटी से सस्पेंड किया जा रहा है। इसके साथ ही इनको उकसाने वाले कुछ व्यक्तियों को भी चिह्नित किया गया है, जिनके खिलाफ भी यूनिवर्सिटी प्रशासन कार्यवाही कर रहा है। छात्रों की कोई भी गंभीर मांग यूनिवर्सिटी प्रशासन के समक्ष लंबित नहीं है। इससे पहले भी कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी के ताले तोड़े हैं और उनकी पहचान कर ली गई है, जरूरत पड़ी तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। चीफ प्रॉक्टर डॉ। सत्यपाल सिंह ने कहा, बिना आईडी कार्ड के यूनिवर्सिटी कैंपस और हॉस्टल में किसी भी स्टूडेंट, टीचर और कर्मचारी को किसी भी हाल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

वीसी से सभी त्रस्त

गुआक्टा के अध्यक्ष प्रो। केडी तिवारी और महामंत्री प्रो। धीरेंद्र सिंह ने बताया कि आज यूनिवर्सिटी की जो दुर्गति है। वह प्रो। राजेश सिंह के तानाशाही, अहंकारी एवं निरंकुश रवैये का परिणाम है। इनके आचरण से क्या छात्र, क्या अभिभावक, प्राध्यापक, डिग्री कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी के कर्मचारी सभी दुखी हैं। इनका कार्यकाल यूनिवर्सिटी के इतिहास में अभिशाप है। हमारी गोरखपुर के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों एवं राजनेताओं से अपील है कि जितना शीघ्र हो सके इस वीसी को गोरखपुर से रुखसत करावें, नहीं तो प्रॉक्टर के साथ जो घटना हुई है उसकी पुनरावृत्ति भी हो सकती है। गुनाह कुलपति कर रहे हैं और सजा किसी और को मिल रही है। वीसी के अधिनायकवाद से मुक्ति हेतु चलाए जा रहे किसी भी आंदोलन का गुआक्टा न केवल समर्थन करती है बल्कि आगे उसमें सहभागिता भी करेगी।