गोरखपुर (ब्यूरो)। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो.इकरामुद्दीन ने कहा कि वफा का संकलन हमारी हजारसाला तहजीब का दर्पण है। चौधरी कैफुलवरा ने कहा कि उर्दू की जितनी सेवा मुस्लिम शायरों ने की है, उतनी ही ङ्क्षहदू शायरों ने भी की है। प्रो.मुशीर अहमद ने कहा कि वफा की शायरी में आम आदमी की बात है। डा.सत्या पांडेय ने वफा की कृतियों पर काम किए जाने की बात उठाई। संचालन डा.कलीम कैसर ने किया। इस अवसर पर अरशद राही, प्रवीण श्रीवास्तव, डॉ। मंगलेश श्रीवास्तव, डॉ। प्रतिभा गुप्ता, विजय श्रीवास्तव, महेश अग्रवाल, सुरेंद्र जायसवाल आदि मौजूद रहे। डॉ.अमरनाथ जायसवाल और डॉ। अशफाक अहमद उमर ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में चौधरी कैफुलवरा को सरताज-ए-उर्दू सम्मान, प्रो.मुशीर अहमद को प्रो.महमूद इलाही सम्मान, फारुक जायसी को शबनम गोरखपुर सम्मान दिया गया।