गोरखपुर (ब्यूरो)।पानी का जीवन में इतने महत्व के बाद भी दुरुपयोग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जल संरक्षण से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो अगर पानी के वेस्टेज पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वैसे वॉटर हार्वेस्टिंग के प्रति गोरखपुराइट्स अवेयर हैं। रेलवे और रोडवेज हार्वेस्टिंग कर लाखों लीटर पानी बचा रहे हैं।

री-साइकिल और री-यूज से बचेगा 50 हजार लीटर पानी

पानी की बर्बादी रोकने के लिए रोडवेज ने भी ऑटोमेटिक बस वॉशिंग प्लंाट के साथ वॉटर री-साइकिलिंग प्लांट लगाना शुरू कर दिया है। अब बसों की धुलाई में खर्च होने वाला पानी नालियों में नहीं बहेगा। गोरखपुर रीजन के एसएम धनजी राम ने बताया कि प्लांट लगने से जहां रोडवेज प्रशासन पानी की बचत करेगा। वहीं, गोरखपुर डिपो में बसों की धुलाई क्षमता भी दोगुनी हो जाएगी। अब तक 50 बसों की धुलाई हो पाती है, लेकिन ऑटोमेटिक बस वॉशिंग प्लांट लग जाने से 100 से अधिक बसों की धुलाई आसानी से हो सकेगी। एक बस की धुलाई में औसत 500 लीटर से ज्यादा पानी खर्च हो जाता है। इससे रोजना 50 हजार लीटर से अधिक पानी की बचत होगी।

रोजाना एक लाख लीटर पानी बचाता है रेलवे

रेलवे स्टेशन स्थित वाशिंग पिट में बोगियों की धुलाई में खर्च होने वाली पानी की बर्बादी पर रोक लग गई है। भूमिगत जल के स्तर को अनुरक्षित रखने के उद्देश्य से रेलवे प्रशसन से ओल्ड वाशिंग पिट में भी वाटर री-साइकिलिंग प्लांट तैयार कर दिया है। ऐसे में अब न्यू और ओल्ड वाशिंग पिट में रोजाना करीब एक लाख लीटर पानी की बचत हो रही है।

जलकल डिपार्टमेंट ने की अपील

जलकल के असिस्टेंट इंजीनियर सौरभ सिंह ने बताया कि अवेयनेस से पानी को बचाया जा सकता है। इसको लेकर हमेशा अभियान भी चलाया जाता है। हालांकि, लोगों को पानी की महत्ता खुद समझनी होगी, ताकि ज्यादा पानी बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि अगर कहीं वाटर सप्लाई में लीकेज हो तो तत्काल जलकल डिपार्टमेंट को सूचना दें। इसके साथ ही गाडिय़ों की धुलाई करते समय बाल्टी का प्रयोग करें। सभी अगर जागरूक होंगे तो सिटी में पानी की प्रॉब्लम भी नहीं होगी।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग से बनेगी बात

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग एक ऐसा सिस्टम है जो पानी जल संरक्षण में काफी हद तक लाभदायक है। सिटी के कुछ होटल और ऑफिस में यह लग भी गया है। गोरखपुर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग अभी घरों में अनिवार्य तो नहीं है लेकिन लोगों को इसके बारे में अवेयर किया जा रहा है। हालांकि जीडीए व्यावसायिक भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग के प्रावधान बनाने की तैयारी कर रहा है। इसका पालन कड़ाई से कराने की भी पहल की जा रही है। जल संरक्षण से जुड़े लोगों का कहना है कि अब वाटर हार्वेस्टिंग से जल का संरक्षण काफी मात्रा में होगा। लोगों को घरों में इसका इस्तेमाल करना शुरू कर देना चाहिए।

ऐसे बचा सकते हैं पानी

- हर दिन बालों को शैम्पू न करें।

- ब्रश करते समय टैप को बंद रखें।

- शावर, टब की जगह बाल्टी से स्नान करें।

- बरसात के पानी को स्टोर कर काम में लाएं।

- पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का प्रयोग करें।

- वॉशिंग मशीन में एकसाथ कपड़े धो सकते हैं।

- हर नागरिक में जल संरक्षण के लिए जागरुकता लानी होगी।

- जल संरक्षण के लिए गांव में और शहरों में तालाब की संख्या बढ़ाई जाए।