- पिछले दस दिन में शहर के चार हजार से अधिक हैंडपंप ने छोड़ा पानी
- सबसे अधिक रसूलपुर, उर्दू बाजार और नौसड़ एरिया में मुश्किल
GORAKHPUR: शहर में एक बार फिर से पानी का संकट गंभीर होने लगा है। विभिन्न एरियाज में जलकल के हैंडपंप्स पानी छोड़ते जा रहे हैं। वहीं करीब 4000 निजी और इतनी ही संख्या में इंडियामार्का हैंडपंप भी सूख गए गए हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि लग रहा है जैसे वॉटर लेवल पाताल में पहुंच गया है।
राप्ती के किनारे गिर रहा जल स्तर
शहर में पेयजल का संकट गहराता ही जा रहा है। पिछले कुछ वर्षो के जल स्तर के आंकड़ों पर नजर डालें तो राप्ती नदी के किनारे वाले शहर के एरियाज में ही भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आई है। जबकि रामगढ़ताल के किनारे वाले इलाकों में वॉटर लेवल में अभी गनीमत है। जलकल के आंकड़ों में राप्ती नदी के किनारे बसे नौसड़ और सूरजकुंड में वॉटर लेवल 150 फीट पर पहुंच गया है। जबकि रामगढ़ताल के किनारे बिछिया और मोहद्दीपुर में अभी 40 से 60 फीट पर पानी मिल जा रहा है।
जियोलॉजिस्ट्स भी मान रहे बड़ा संकट
शहर के सूखते हैंडपंपों की कंप्लेन पर जिम्मेदार भले ही गंभीर न हो रहे हों। लेकिन जियोलॉजिस्ट्स इसे बड़े संकट का संकेत मान रहे हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। शिवशंकर वर्मा का कहना है कि लोगों को लग रहा है कि शहर में पानी का संकट नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि यहां पानी की भयानक कमी का संकेत मिलने लगा है। बता दें, पिछले कुछ वर्षो में हर साल गर्मियों में मोहल्लों में पब्लिक पेयजल संकट से जूझती आ रही है। एक समय था जब पूरे शहर में 40 से 60 फीट पर ही साफ पानी मिल जाता था। लेकिन वर्तमान में इक्का-दुक्का एरियाज में ही इतने कम स्तर पर पानी मिल पा रहा है। कई एरियाज तो ऐसे हैं जहां 100 फीट पर लगे हैंडपंप भी सूखने लगे हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग का क्या हुआ
जीडीए अब तक शहर की बड़ी बिल्डिंग्स में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अप्लाई नहीं करवा पाया है। वहीं निगम की लापरवाही के चलते शहर में पगडंडी और फुटपाथ समाप्त हो गए हैं। इसके चलते बारिश का पानी सड़कों से नाले में होते हुए सीधे राप्ती नदी या रामगढ़ताल में चला जा रहा है। प्रो। शिवशंकर वर्मा का कहना है कि बारिश के समय रोड के किनारे फुटपाथ का पानी धीरे-धीरे जमीन में जाकर भूजल रिचार्ज करने का कार्य करता था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
इस साल पानी को लेकर हुए हंगामे
-15 मई हांसूपुर में एक ट्यूबवेल ने पानी देना बंद कर दिया। लोगों ने सड़क पर किया हंगामा।
-23 मई जनप्रिय विहार कॉलोनी में लोगों ने पानी के लिए किया प्रदर्शन
-5 जून शेषपुर में पानी सप्लाई बंद होने पर पब्लिक ने किया प्रदर्शन
- घासीकटरा के मिर्जापुर में हुआ पानी के लिए हंगामा
- नरसिंहपुर में भी पानी ना आने पर सड़क पर उतरी पब्लिक
यह आंकड़ें चिंतित करने वाले हैं
एरिया प्रभावित घर
रसूलपुर 800
सिधारीपुर 470
बहरामपुर 400
जाफरा बाजार 350
उर्दू बाजार 700
नौसड़ 1200
चिलमापुर 300
सेमरा 250
जंगल नकहा 200
नया गांव 300
इनका भी हाल ठीक नहीं
इंडियामार्का हैंडपंप 1200
देसी हैंडपंप 2800
फैक्ट फाइल
महानगर की जनसंख्या- 6,72,072 (अनुमानित जनसंख्या 13 लाख)
महानगर का कुल एरिया- 147.5 वर्ग किमी
वार्ड की संख्या- 70
बड़े ट्यूबवेल - 106
छोटे ट्यूबवेल - 26
पेयजल उत्पादन (नलकूप)- 90 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे)
सिटी में पेयजल की आवश्यकता- 135 एलपीसीडी (लीटर पर कैपिटा पर डे)
मांग के हिसाब से कमी- 41.3 एलपीसीडी (लीटर पर कैपिटा पर डे)
पेयजल की खपत (प्रति व्यक्ति प्रतिदिन)- 99.93 एलपीसीडी (लीटर पर कैपिटा पर डे)
ओवर हेड टैंक- 25
अंडरग्राउंड टैंक - 1
स्टोरेज कैपिसिटी- 19460 किलो लीटर
स्टैंड पोस्ट- 475
पाइप लाइन- 1125 किमी
पानी सप्लाई की समय- 12 घंटे (सुबह 5 से 10 बजे, दोपहर 12 से 2 बजे और शाम 5 से 10 बजे)
हैंडपंप की संख्या- 3975
पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति एरिया- 68 प्रतिशत
कुल कनेक्शन - 58537
घरेलू कनेक्शन - 56121
अघरेलू कनेक्शन - 2416
नोट - ये आंकड़े जलकल के हैं।
इसलिए गिर रहा है वॉटर लेवल
- शहर में लगातार पानी का दोहन होना
- जमीन में पानी जाने की जगह की कमी
- वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का लागू न होना
- सीवर और बारिश के पानी का एक में मिलना
- बड़ी बिल्डिंग्स के निर्माण के दौरान लगातार पानी बर्बाद होना
- पोखरे और कुएं समाप्त होना
- बारिश के पानी का उपयोग भूजल के रूप में न हो पाना
क्या होने चाहिए उपाय
- बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए बचे पोखरों और कुओं को सुरक्षित किया जाए
- पानी की बर्बादी रोकने के लिए जनजागरुकता अभियान चलाना
- पोखरों में नाले, नालियों का पानी न जाने दिया जाए
- शहर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सख्ती से लागू कराया जाए
कॉलिंग
शहर में गर्मी बढ़ते ही पानी की प्रॉब्लम शुरू हो गई है। उर्दू बाजार में तो ये दिक्कत अप्रैल से शुरू होकर अगस्त तक बनी रहती है। दस साल पहले इस एरिया में भूजल स्तर काफी अच्छा हुआ करता था।
संदीप कुमार, सर्विसमैन
शहर में अगर अभी से पानी बचाने के लिए कोशिश शुरू नहीं की गई तो आने वाले दिनों में और बड़ी प्रॉब्लम होने वाली है।
संगीता देवी, हाउसवाइफ
जिम्मेदारों को पानी बचाने और संरक्षित करने की दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। अगर पानी बचाने की पहल अभी से शुरू नहीं हुई तो काफी दिक्कत होगी।
- प्रणव, सोशल वर्कर
नगर निगम को पानी बचाने के लिए लोगों को अवेयर करने की जरूरत है। नहीं तो आने वाले समय में स्थिति बहुत ही खराब हो जाएगी।
रामबचन, सर्विसमैन
पानी न रहने या गंदा पानी आने से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है। स्थिति यह हो जाती है कि घर के सभी कार्य पूरी तरह से ठप हो जाते हैं।
- सुमन देवी, हाउसवाइफ