GORAKHPUR: बच्चा खाना कम डाटा अधिक खाता है। जी हां जबसे ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है बच्चे मोबाइल से क्लास के अलावा भी साइट खोलकर मौज-मस्ती करने लगे हैं। इससे कुछ ही देर में उनका डाटा समाप्त हो जा रहा है। वहीं, मोबाइल के चक्कर में उनकी भूख प्यास भी खत्म हो गई है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे हाइटेक भी हुए हैं और मोबाइल पर लापरवाही बरतने से साइबर क्राइम के शिकार भी हो रहे हैं। पढ़ाई के दौरान बच्चे का एक क्लिक उन्हें गलत साइट पर भी पहुंचा देता है। इसमें फंसकर बच्चे अपना बहुत कुछ गवां देते हैं। आज के दौर में ना चाहते हुए भी सभी बच्चों के हाथ में मोबाइल है। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। अब उन्हें अपने बच्चे की ऑनलाइन क्लास की निगरानी करनी होगी और बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है इसका भी हिसाब रखना होगा। ये बातें मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा आर्गनाइज वेबिनार में एक्सपर्ट ने शेयर की।

दादा के अकाउंट से निकाल लिए पैसे

वेबिनार में चर्चा के दौरान एक चौका देने वाला मामला भी सामने आया, जिसमें ऑनलाइन पढ़ाई करने वाला एक बच्चा अपने दादा के अकाउंट पर ही हाथ साफ कर दिया। वेबिनार में शामिल साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि बच्चे के हाथ में मोबाइल होने से उनके दिमाग में तमाम सोशल साइट से अच्छी बुरी दोनों ही तरह की बातें समा रही हैं। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के बहाने बच्चे गेम खेल रहे हैं उससे उनके दिमाग में गलत आइडियाज आ रहे हैं। जिसका गलत यूज वे अपने घर के अंदर ही करने लग रहे हैं। उन्होंने पैरेंट्स को सजेस्ट किया कि वे बच्चे को एटीएम या क्रेडिट कार्ड गलती से भी ना दें। एक्सपर्ट ने बताया कि गार्जियन बच्चों को मोबाइल देकर अपनी जिम्मेदारी भूल जा रहे हैं। जबकि, अब उनकी जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है। एक बार बच्चा गलत रास्ते पर निकल गया फिर उसे वापस लाना मुश्किल हाे जाता है।

स्कूल करें पैरेंट्स की मदद

वेबिनार में पैरेंट्स ने सवाल किया कि सभी गार्जियन को मोबाइल या इंटरनेट की अच्छे से जानकारी नहीं होती है। पैरेंट्स से कहीं अधिक जानकारी बच्चों को होती है। अब बच्चे मोबाइल में कौन सा एप क्यों डाउनलोड किए हैं या यूज किए हैं। बच्चे के मोबाइल में कौन सा गलत एप है इसकी जानकारी कैसे पैरेंट्स को होगी। इसका जवाब देते हुए आरपीएम एकेडमी स्कूल के डायरेक्टर व गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय शाही ने बताया कि आपका सवाल अच्छा है। इसके लिए स्कूल को कदम उठाना चाहिए। टीचर को पैरेंट्स से बात करनी चाहिए। इस दौरान पैरेंट्स भी उनके बच्चे ने मोबाइल में जो भी एप डाउनलोड किया है या फिर बच्चा कोई साइट यूज कर रहा है। उसके बारे में टीचर को बताकर पड़ताल करनी चाहिए। सभी स्कूल इसपर काम करें तो ऐसे पैरेंट्स की मुश्किल कम हो सकती है।

एंटी सोशल चीजों की करें कम्प्लेन

एक्सपर्ट ने बताया कि इंटरनेट के जरिए आपकी महत्वपूर्ण जानकारी लीक हो जा रही है। सरकारी हो या प्राइवेट स्कूल की साइट सभी जगहों पर फ्रॉड करने वाले मिलते जुलते नामों से गलत वेबसाइट बनाकर शिकार फंसाने के लिए जाल बिछाए बैठे हैं। नए बच्चे जो अभी कोरोना काल में मोबाइल से पढ़ना शुरू किए हैं उन्हें ये जरा भी खबर नहीं है कि कौन सी साइट गलत है और कौन सही। एक्सपर्ट ने बताया कि मोबाइल में किसी भी एप की रिपोर्ट करने का भी ऑप्शन आता है। उस पर जाकर किसी भी ऐसे एप जो आपको गलत लगे उसकी रिपोर्ट कर सकते हैं। ये कम्प्लेन सीधे साइबर क्राइम एक्सपर्ट के पास जाता है। इसके बाद उसपर कार्रवाई करने में आसानी होती है।

इस पर रहा फोकस

-ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पैरेंट्स को करनी होगी बच्चों की निगरानी।

-बच्चे ने मोबाइल में क्या-क्या डाउनलोड किया इसकी जानकारी स्कूल से करें शेयर।

-बच्चों को किसी भी हाल में एटीएम या क्रेडिट कार्ड ना सौंपे।

-ऑनलाइन पढ़ाई के बाद ये जरूर वॉच करें बच्चा कहीं गेम तो नहीं खेल रहा है।

-बच्चे का गलत क्लिक उसे गलत साइट पर पहुंचा सकता है।

-हर डिपार्टमेंट के साइट से मिलती जुलती जालसाजों ने बना रखी है वेबसाइट।

-एंटी सोशल चीजों को करनी चाहिए रिपोर्ट।

-बच्चों को प्यार से बताएं अच्छी बूरी बातों की जानकारी।

-पूरी दुनिया में साइबर क्राइम के बढ़ रहे केस।

-बढ़ गई है चाइल्ड पोर्नोग्राफी।

कोट

पैरेंट्स से कहीं अधिक स्मार्ट और एक्सपर्ट मोबाइल के बच्चे हो गए हैं। अब स्कूल के टीचर को चाहिए कि वे लगातार पैरेंट्स से बात करें। पैरेंट्स को जो कुछ गलत लगता हो उसे टीचर से शेयर करना चाहिए।

अजय शाही, अध्यक्ष, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन

ऑनलाइन पढ़ाई में माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ गई है। पहले स्कूल भेजकर वे पांच घंटे बच्चे को भूल जाते थे। लेकिन इस समय बच्चे घर से पढ़ाई कर रहे हैं तो उनकी निगरानी पैरेंट्स को ही अब करनी है।

चारूशीला सिंह, टीचर

इस समय मोबाइल खोलो तो कुछ ऐसी साइट हैं जो बार-बार डिस्प्ले करती है। जिस पर एक क्लिक करते ही वो खुल जाता है। ज्यादातर साइटें गलत होती है, जो बच्चों के दिमाग पर गलत असर छोड़ती हैं।

पुणेन्दु शुक्ला, पैरेंट

एक बच्चे ने तो अपने दादा के अकाउंट पर ही ऑनलाइन हाथ साफ कर दिया। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के बाद बहुत ऐसे मामले आ रहे हैं। इसलिए एटीएम और क्रेडिट कार्ड बच्चों को ना सौंपे।

शशिशंकर राय, साइबर एक्सपर्ट

इंटरनेट के जरिए आपकी महत्वपूर्ण जानकारी हथिया लेना साइबर क्राइम है। इस तरह की साइट बच्चों को प्रलोभन देकर उनके मन की चोरी कर रही है। एंटी सोशल चीजों की हमें तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए।

डॉ। हिमांशु पांडेय, एक्सपर्ट, मंडलीय मनोवैज्ञानिक सेंटर

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ना तो बच्चे तैयार थे और ना ही हम तैयार थे। ऐसे में जब ये शुरू हुई तो हमलोग से अधिक बच्चे मोबाइल में कम ही दिन में एक्सपर्ट हो गए। ऐसे में पैरेंट्स कैसे जानेगा कि बच्चे क्या कर रहे हैं।

अस्मित श्रीवास्तव, पैरेंट्स

ऑनलाइन पढ़ाई के बाद बच्चों से मोबाइल ले लेना चाहिए। बच्चे के हाथ में अधिक देर तक मोबाइल होना उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। वहीं कई बच्चे तो मोबाइल की वजह से घर से निकलना ही छोड़ दिए हैं।

कृष्णा चटर्जी, प्रिंसिपल, एमपी ग‌र्ल्स स्कूल