गोरखपुर (ब्यूरो)।गोरखपुर में आज भी पति के बलबूते पत्नियां आईएएस, पीसीएस, टीचर और बैंक की जॉब पाने की तैयारी कर रही हैं। यहां कोचिंग में डेली पति उन्हे छोडऩे और लाने जाते हैं।

कॉम्प्टीशन टाइम में बढ़ जाती है भीड़

कोचिंग संचालकों की मानें तो कॉलेज गोइंग छात्राएं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पूरे साल करती हैं। जबकि कॉम्प्टीशन नजदीक आने पर कोचिंग में शादीशुदा महिलाओं की भीड़ बढ़ जाती है। अक्सर ऐसा होता है कि जब टीचर्स की वेकेंसी या फिर टेट, सीटेट का एग्जाम करीब आता है तो जेंट्स आकर अपनी पत्नियों का एडमिशन कोचिंग में तैयारी के लिए कराते हैं। घर गृहस्थी देखने वाली इन महिलाओं का कहना है कि एग्जाम के समय पति उनको पूरा आराम देेते हैं, ताकि वो अच्छे से तैयारी कर सकें।

बिहार में निकली टीचर वैकेंसी

कोचिंग संचालकों का कहना है कि बिहार बोर्ड ने टीचर की वैकेंसी निकाली है, जिसे पहले केवल बिहार के लोग ही भर सकते थे। अब बिहार सरकार ने रोक हटा ली है। इस एग्जाम में किसी भी प्रदेश का कैंडिडेट बैठ सकता है। इसके बाद से ही कोचिंग में खास तौर से महिलाओं की भीड़ फिर से बढऩे लगी है। डेली दर्जनों पति-पत्नी कोचिंग आ रहे हैं कोर्स और फीस की डिटेल लेकर जा रहे हैं। कई तो ऑन द स्पॉट एडमिशन भी करा रहे हैं। इससे शादीशुदा महिलाओं की संख्या कोचिंग में बढ़ रही है।

महिलाएं करती हैं इन कॉम्प्टीशन की तैयारी

परिवार से जुड़ चुकी अधिकतर महिलाएं शादी के बाद भी यूपीएससी, बैंक, एनएम, जीएनएम, टेट, सीटेट और बीएड की तैयारी के लिए कोचिंग करती हैं। इसमे उन्हें परिवार का भी अच्छा सपोर्ट मिलता है।

समाज में बहुत सारी अच्छाइयां और बुराइयां हैं, लेकिन किसी एक की वजह से सभी लोग कुसुरवार नहीं हो सकते हैं। कॉम्प्टीशन की तैयारी में घरेलू महिलाएं भी बढ़-चढ़कर पार्टिसिपेट कर रही हैं।

प्रमोद कुमार गुप्ता, पावा एकेडमी, नौसड़ रोड

शिक्षा का उपयोग समाज को सही डायरेक्शन प्रदान करना है। कई घरेलू महिलाएं कॉम्प्टीशन निकाल चुकी हैं और परिवार का नाम बढ़ा रही हैं। कोचिंग में भी उनके पति एडमिशन कराने आते हैं।

नवल सिंह, संस्कार शिक्षा संस्थान, मोहद्दीपुर रोड

कॉम्प्टीशन के समय महिलाओं की संख्या कोचिंग में बढ़ जाती है। अधिकतर महिलाएं टीचर और बैंक की जॉब चाहती हैं। इस समय बिहार में टीचर की वैकेंसी आई है। इसके लिए काफी लोग आ रहे हैं।

अमित सिंह, फिजिक्स वाला, गोलघर

आलोक मौर्य और ज्योति मौर्य की कहानी एक सबक के रूप में कार्य करती है। लेकिन इसको लेकर हर किसी को उसी नजर से देखना गलत है। यहां कई ऐसी कहानियां हैं जहां पर महिलाओं ने कुछ बनकर परिवार की कमान संभाली है।

आशू सिंह, पिलर्स कोचिंग, हरिओम नगर