कानपुर (ब्यूरो) यूपी में दवा मैन्युफैक्चरिंग उद्योग से जुड़ी स्मॉल और मीडियम कैटेगरी की 400 के करीब ही यूनिटें बची हैं। इस सेक्टर में नए उद्योगों की स्थापना तो दूर जो यूनिटें हैं वही ठीक से नहीं चल पा रही हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात में ऐसा नहीं है। शासन इस पर स्टडी भी करा सकता है।

प्रोफार्मा भी दिया
इस बाबत एक प्रोफार्मा भी चीफ सेकेट्री को दिया गया। यह शिकायत जो एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दी। उसमें खास तौर से सरकारी दवा खरीद के टेंडर में शामिल होने के लिए 5 से 20 करोड़ के सलाना टर्नओवर की शर्त लगाए जाने पर भी आपत्ति की गई। इससे एमएसएमई कैटेगरी के मैन्युफैक्चरर्स टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो पाते। इस पर कहा जाता है कि वह समय पर दवा की आपूर्ति नहीं कर पाते। जबकि ऐसा नहीं है। ऐसा कर अधिकारी कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश मेें लगी दवा की यूनिटें बंदी की कगार पर पहुंच गई हैं।