एक बार फिर आपका अखबार आपको जान पर खेलकर न सिर्फ बाघ के नए ठिकाने पर ले चलेगा बल्कि आपको ये भी बताएगा कि किन-किन लोगों ने मौत को पास से महसूस भी किया। लखनऊ, उन्नाव और कानपुर वन विभाग की टीमों का अब अगला कदम क्या होगा? क्या पहले के प्लान के तहत वो बाघ को पकड़ेंगे या फिर कोई दूसरा प्लान बनाया है? बाघ का ये नया ठिकाना कब तक यहां रहेगा? ऐसे ही तमाम सनसनीखेज सवालों के उत्तर जानने के लिए पढि़ए आई नेक्स्ट रिपोर्टर मनोज खरे, कुशाग्र पांडेय और फोटोग्राफर अभिनव शुक्ला की ये रिपोर्ट

टाइम-सुबह के करीब चार बजे

जगह-लुधवाखेड़ा से एक किलोमीटर दूर

शरीर में सिहरन पैदा करने वाली हवा के झोकों के बीच मदनपुर के रहने वाले पीपरी हाथ में लालटेन लेकर नित्य-क्रिया के लिए झाडि़यों के बीच पहुंचेकरीब दस मिनट वहां रुकने के बाद जब वो वहां से चले तो कुछ दूर पर झाडि़यां हिलती हुई दिखाई दींक्योंकि उनको ये एहसास था कि बाघ यहां नहीं आएगा लेकिन करीब आधा किलोमीटर चलने के बाद उनका पैर एक गीली जगह पर पड़ गया। जैसे ही उन्होंने वहां से पैर निकाला तो कुछ चुभाजैसे ही उन्होंने लालटेन से अपने पैर की ओर देखा तो पैर खून से सना हुआ थाये देखकर वो चौंक गए। उनको लगा कि पैर में कुछ लग गया है जिससे इतना खून निकलालेकिन फिर अच्छी तरह से देखने के बाद उनको मालूम चला कि पैर में कुछ नहीं लगा है। बल्कि कोई जानवर मरा है जिसका खून है। नीचे देखा तो मालूम चला कि बाघ ने अपना शिकार यहीं मारा था।

बाघ के शिकार का मांस

जीहां, आई नेक्स्ट से बातचीत में पीपरी ने बताया कि बाघ ने एक बछड़े को मार दिया था, जिसका की मांस वहां पड़ा हुआ था। ये देखते ही वो वहां से भागा और सीधे गांव पहुंचा। वहां उसके ये बताते ही लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए और हाथों में डंडा और दूसरे औजार पकड़ लिए। हर कोई हाथों में डंडा तो पकड़े हुए था लेकिन फिर भी उनके दिलों में जो दहशत थी, उसको वो लोग थर्सडे को दोपहर को बयां नहीं कर पा रहे थे। उसने बताया कि सबने सूरज निकलने का इंतजार किया। फिर वो करीब दो दर्जन लोगों के साथ उस जगह पर पहुंचे जहां बाघ ने शिकार किया था। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कुछ घंटों के बाद वहां से पूरा मांस गायब था। ये देखकर सब दंग रह गए। डीएफओ राम कुमार के मुताबिकबाघ अमूमन एक बार शिकार किया हुआ भोजन नहीं खाता है लेकिन जिस बछड़े को बाघ ले गया था वो करीब फ्00 किलोग्राम का था। मांस ज्यादा और ताजा था। इस वजह से बाघ दोबारा वहां उसको खाने के लिए वहां पहुंचा था। डीएफओ रामकुमार अपनी टीम केसाथ वहां जायजा लेने पहुंचे थे।

टाइम-सुबह के साढ़े चार बजे

जगह-कनऊआपुरवा से आधा किलोमीटर दूर

'हां, मैंने दिल दहलाने वाली दहाड़ सुनी है'

चारों ओर फैला अंधेरा। साएं-साएं करता हुआ सन्नाटा और ठंडी-ठंडी हवा के बीच जैसे ही बाघ की दहाड़ सुनीमनबदना के रहने वाले रज्जू के होश उड़ गए। उसको कुछ समझ में नहीं आया और कांपते हुए वो बस्ती की ओर भागने लगाअचानक एक जगह ऊबड़-खाबड़ रास्ते में उसका पैर टकराया और गिर गया.लेकिन अगले ही पल वो उठा और फिर दौड़ने लगाआपको ये जानकर हैरानी होगी कि उसके पैर में मोच आने के बाद भी वो एक पल भी नहीं रुका और भागता रहा। क्योंकि उसको ये एहसास हो चुका था कि मौत उसके बिल्कुल करीब है।

लेकिन आवाज नहीं निकली

करीब दो किलोमीटर दौड़ने के बाद जब उसके तीन साथी मिले तो उसकी जान में जान तो आ गई लेकिन मुंह से आवाज नहीं निकली। ये डरावनी कहानी आई नेक्स्ट टीम को खुद रज्जू ने बताई। आई नेक्स्ट रिपोर्टर से जब रज्जू ये डरावनी कहानी बता रहा था, उस वक्त धूप थी लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर वो डर साफ देखा जा सकता था। दहशत का आलम ये था कि कई बार पूछने के बाद करीब अंधे घंटे के बाद वो चिल्लाकर बोला कि हां, 'मैंने बाघ की दहाड़ सुनी थी'

'भइया पूरा इलाका खाली हो गया'

रज्जू के दोस्त बलुआ ने बताया कि वैसे लोग रात में भी कई जगह घास-फूस की झोपड़ी बनाकर यहां रुक जाते थे लेकिन अब तो दिन भी पूरा इलाका खाली हो गया है। हाल ये है कि लोगों ने डर की वजह से पूरे के पूरे इलाके को खाली कर दिया है। जहां डेढ़-दो सौ लोग हमेशा रहते थे, बच्चे तो गाय और दूसरे जानवरों को चराया करते थे मात्र कुछ घंटों में ही वो पूरा इलाका ही वीरान हो गया। लोग इतने दहशत में आ चुके हैं कि उनकी रातों की नींद चली गई है।