- एक्सक्यूज मी कैपेंन को लेकर हुए वेबिनार में महिलाओं ने परेशानी साझा करने के साथ समाधान की उठाई मांग

- वर्किंग वीमेन, कॉलेज की छात्राएं भी हुई वेबिनार में शामिल, व्यापारी संगठनों ने भी दिया समाधान का भरोसा

KANPUR: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान एक्सक्यूज मी के जरिए सिटी में पिंक टॉयलेट के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। इस मुद्दे पर महिलाओं ने खुल कर बात की। सिविक बॉडीज और शहर के प्रमुख व्यापार मंडलों की ओर से भी इस समस्या पर ध्यान दिया गया। नतीजा यह हुआ कि शहर में 20 पिंक टॉयलेट बनाने का ऐलान हुआ, लेकिन पिंक टॉयलेट कैसे हो, इन्हें बनाने में किन बातों का ध्यान रखा जाए। यह कहां पर बने? दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से इस मसले पर भी शहर की महिलाओं और प्रमुख संगठनों से वेबिनार के जरिए बातचीत की गई। इस दौरान उन्होंने पिंक टॉयलेट की जरूरत से लेकर इसे लेकर उनकी खुद की परेशानियों को भी साझा किया।

सिर्फ जेंट्स टॉयलेट क्यों

वेबिनार के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता रिचा मिश्रा ने कहा कि सिटी में ज्यादातर जगहों पर सिर्फ जेंट्स टॉयलेट ही दिखते हैं। जिन जगहों पर पब्लिक टॉयलेट बनते भी हैं। वहां महिलाओं के लिए बहुत कम जगह होती है। वहां पर साफ सफाई की भी प्रॉब्लम होती है और ज्यादातर जगहों पर मेल स्टॉफ ही होता है। इस वजह से अक्सर महिलाएं ऐसे पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से बचती हैं। बाजार में शापिंग के दौरान घंटों टाइम लगता है। ऐसे में टॉयलेट लगने पर उसे या तो रोके रखना पड़ता है या फिर घर के लिए भागना पड़ता है। हमने नगर निगम में लेडीज टॉयलेट के लिए कई बार बात की, लेकिन इस पर कभी गंभीरता से कोई कदम नहीं उठाए गए।

हमेशा नजरअंदाज किया

सिटी में इतने सालों में कितने पिंक टायलेट बने। इस सवाल का जवाब नगर निगम या शहर के प्रमुख सामाजिकसंगठनों के पास शायद न हो, लेकिन बड़ा मसला यह है कि महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट की जरूरत को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं गया। इसे हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा। वीमेंन इश्यूज पर काम करने वाली सुरभि द्विवेदी ने वेबिनार में बताया कि इसे लेकर कभी महिला संगठनों की ओर से भी सशक्त आवाज नहीं उठी। इस प्रॉब्लम की गंभीरता को समझा ही नहीं गया। यही वजह रही कि शहर में पिंक टॉयलेट आज भी गिने चुने ही हैं।

.तो मुश्किल हाे जाए आसान

वेबिनार में शामिल सुरभि द्विवेदी ने कहा कि नवीन मार्केट हो या फिर कोई और मार्केट यहां एक तो पब्लिक टॉयलेट दिखते नहीं हैं। जो हैं भी वह यूज करने लायक नहीं है। इतनी स्मेल आती है और गंदगी रहती है कि इसे यूज नहीं किया जा सकता है। इसे लेकर किससे शिकायत करें। नगर निगम में बोलो तो वह व्यापार मंडल पर जिम्मेदारी डाल देते हैं और उनसे कहो तो वह नगर निगम को दोष देते हैं। झेलना तो शॉपिंग करने आई महिलाओं को पड़ता है। पिंक टॉयलेट को लेकर अगर नगर निगम, व्यापार मंडल, सामाजिक संस्थाएं अगर कोआर्डिनेशन से काम करें तो यह मुश्किल आसानी से सुलझ सकती है।

खुल कर कह भी नहीं सकते

कॉलेज छात्रा ईशा ने वेबिनार के दौरान अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कई बार पब्लिक प्लेसेस में महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट का न होना शर्मिदगी की वजह भी बन जाता है, लेकिन इसे हम खुल कर कह भी नहीं सकते है। सिर्फ चुपचाप झेलना ही होता है। कानपुर की आबादी लाखों में है। इसमें लाखों महिलाएं यहां रहती है, लेकिन पब्लिक प्लेसेस पर महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। सवाल उठता है कि आखिर महिलाएं जाएं तो जाएं कहां।

कोआर्डिनेशन से दूर हाेगी प्रॉब्लम

सिटी के सबसे पॉश नवीन मार्केट व्यापार मंडल के महामंत्री सरताज ने बताया कि मार्केट में कई पब्लिक टॉयलेट हैं। कई की चाभियां दुकानदारों के पास भी हैं। जो साफ सफाई की व्यवस्था भी कराते हैं, लेकिन नगर निगम अगर इस व्यवस्था को देखे और इनकी साफ सफाई का इंतजाम कराए तो ज्यादा बेहतर होगा। इसमें व्यापार मंडल की ओर से भी पूरा सहयोग मिलेगा।

वेबिनार में क्या बोली महिलाएं

इस मसले पर पहले कभी खुल कर बात नहीं हुई। जबकि यह महिलाओं की एक बेहद बेसिक समस्या है। संबंधित विभाग भी इसे हमेशा नजरअंदाज करते आए हैं। उन्हें समझना होगा कि महिलाओं के लिए यह कितनी बड़ी प्रॉब्लम है।

- सुरभि द्विवेदी

एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान और घर घर टॉयलेट बनाने की बात होती है वहीं दूसरी तरफ पब्लिक प्लेसेस खासकर मार्केट एरियाज में टॉयलेट हैं ही नहीं जहां सबसे ज्यादा महिलाएं ही शॉपिंग करने जाती हैं। सिटी में कम से कम हर बाजार में तो एक अच्छा पिंक टॉयलेट बन ही जाना चाहिए।

- रिचा मिश्रा

इस प्रॉब्लम को ज्यादातर महिलाएं बिना शिकायत के झेलती हैं। कम बात करती है.जबकि इससे उनकी सेहत पर असर पड़ता है। इस मसले पर झिंझक छोड़ने की जरूरत है। अपनी समस्या के लिए आवाज उठाने की जरूरत है।

-मीनाक्षी

सिटी में साफ सुथरे पिंक टॉयलेट कहीं नहीं दिखते। कम से कम बाजारों में तो इसका निर्माण हो ही। इन्हें बनाने के साथ ही इनकी सुरक्षा और हाईजीन का भी ध्यान रखा जाए। भले ही इसके लिए कुछ यूजर चार्ज लिया जाए।

-एकता अस्थाना

सिटी में इस मसले पर पहले इतना खुल कर कभी बात नहीं हुई। यह महिलाओं की एक जेनुयन प्रॉब्लम है। जिसे सॉल्व करने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। टॉयलेट बनाने के साथ उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी लेनी होगी।

- कविता मिश्रा

पब्लिक प्लेस पर टॉयलेट की व्यवस्था न होने पर सबसे ज्यादा प्रॉब्लम महिलाओं को ही होती है। सिटी की प्रमुख बाजारों में टॉयलेट नहीं दिखते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस अभियान के जरिए एक बेहद संवेदनशील मुद्दे को उठाया है।

- संज्ञा श्रीवास्तव

स्कूल, कॉलेज के आसपास या किसी भी पब्लिक प्लेस खास कर मार्केट प्लेस पर पिंक टॉयलेट होना बेहद जरूरी है। साथ ही इनकी साफ सफाई और सिक्योरिटी के लिए अगर सिर्फ महिलाओं को ही रखा जाए तो बेहतर होगा।

- पूजा

यह बेहद गंभीर इश्यू है। इस ओर सिविक बॉडीज को ध्यान देना चाहिए। महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा पिंक टॉयलेट बने। उनका बेहतर तरीके से रखरखाव हो तो ग‌र्ल्स की बड़ी प्रॉब्लम सुलझ जाएगी।

- ईशा

क्या बोली पब्लिक

कानपुर में वैसे तो कई जगहों पर बड़े बड़े टॉयलेट बने हैं, लेकिन मार्केट एरियाज में यह नहीं दिखते। इससे महिलाओं को खासकर परेशानी होती है।

-अमिता पाठक

शहर में इतने बाजार है,लेकिन कहीं भी महिलाओं के लिए साफ सुधरे टॉयलेट नहीं दिखते। इससे जरूरत पड़ने पर उन्हें परेशानी होती है।

- संगीता तिवारी

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का एक्सक्यूज मी कैंपेन महिलाओं से संबंधित एक बेहद जरूरी प्रॉब्लम को उठा रहा है। इसके समाधान के लिए सभी को आगे आना चाहिए।

- रेनू सिंह

इस न बोले जाने वाली प्रॉब्लम को उठा कर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बेहतरीन पहल की है। इससे महिलाओं की एक बेहद बेसिक समस्या दूर होने की दिशा में काम होगा।

- अर्पित पांडेय

सिटी में इतने ग‌र्ल्स कॉलेज, महिलाओं से जुड़े इंस्टीटयूशंस हैं, लेकिन महिलाओं की बेसिक जरूरत के प्रति कोई संवेदनशील नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे को उठाकर अच्छी पहल की है।

- पूनम झा

घर से बाहर होने पर टॉयलेट जैसी प्रॉब्लम के लिए महिलाओं का परेशान होना बेहद दुखद है। सिविक बॉडीज को इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने चाहिए। आखिर यह आधी आबादी की बात है।

- शैलजा वर्मा

भीड़भाड़ वाली जगहों पर पिंक टायलेट होना बेहद जरूरी है। नगर निगम जिला प्रशासन इस पर गंभीरता से काम करे। जिससे महिलाओं की इस बड़ी समस्या का समाधान हो सके।

- शसेंद्र कुमार मिश्र