फूड प्वॉयजनिंग क्या है?
अगर कोई हेल्थ प्रॉब्लम हमारे खाए हुए खाने की वजह से होती है तो उसे फूड प्वॉयजनिंग कहते हैं। दरअसल खाने वाली चीजें जब बैक्टीरिया, पैरासाइट या दूसरे जम्र्स से इंफेक्टेड हो जाती हैं तो इन कंटैमिनेटेड फूड के पेट में जाने के बाद इनडाइजेशन हो जाता है और फूड प्वॉयजनिंग यहीं से शुरू होती है। डॉक्टर्स के मुताबिक फूड प्वॉयजनिंग के सिम्पटम्स कभी कुछ घंटों में ही दिखने शुरू हो जाते हैं तो कभी एक से दो दिन बाद इसके सिम्पटम्स दिखाई देते हैं. 
foodpoisoning
फूड प्वॉयजनिंग के सिम्पटम्स क्या हैं?
फूड प्वॉयजनिंग के दौरान आपको डायरिया   के साथ वॉमेटिंग शुरू हो सकती है। इसके अलावा फीवर, हेडेक, स्टमक क्रैम्प भी हो सकता है।

किस तरह की फूड से फूड प्वॉयजनिंग के चांसेज ज्यादा होते हैं?
अधपके नॉन-वेजिटेरियन फूड या ‘रेडी टु ईट फूड’ जैसे कुक्ड स्लाइस मीट, सॉफ्ट चीज और प्री पैक्ड सैंडविचेज भी फूड प्वॉयजनिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं। बाजार में खुले रखे गोलगप्पे या चाट और पकौड़े खाने से भी फूड प्वॉयजनिंग हो सकती है। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स को फ्रेश नहीं खाया गया तो इनसे भी फूड प्वॉयजनिंग के चांसेज बने रहते हैं।

फूड प्वॉयजनिंग का रिस्क किन लोगों को ज्यादा होता है?
छोटे बच्चे, पे्रगनेंट वुमन और ओल्ड एज के लोग फूड प्वॉयजनिंग की चपेट में आसानी से आ सकते हैं क्योंकि इनकी इम्यूनिटी थोड़ी कमजोर होती है, सो इन्हें ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। इसके अलावा डायबिटीज, कैंसर के पेशेंट या वीक इम्यूनिटी के लोगों को भी फूड प्वॉयजनिंग को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।

फूड प्वॉयजनिंग के बाद क्या ट्रीटमेंट किए जाने चाहिए?
ज्यादातर लोग जिन्हें फूड प्वॉयजनिंग होती है, वे बिना ट्रीटमेंट के भी ठीक हो जाते हैं। दिल्ली में फिजीशियन डॉ। दीपक मल्होत्रा कहते हैं, ‘फूड प्वॉयजनिंग के बाद घरेलू इलाज के तौर पर सबसे पहले आप खुद को हाइड्रेटेड रखें.  इसके लिए हर थोड़ी-थोड़ी देर में इलेक्ट्रॉल या ग्लूकोज पीते रहें। जब तक आप बेहतर फील ना करें तब तक आप आसानी से डाइजेस्ट होने वाला खाना खाएं। बेहतर होगा कि दिनभर में तीन हेवी मील लेने के बजाय दो स्मॉल मील थोड़े-थोड़े टाइम गैप में खाएं। डायरिया से ठीक होने के तुरंत बाद भी कोई सॉलिड चीज ना खाएं.’ अगर डायरिया दो दिन से ज्यादा हो गया तो तीसरे दिन ब्लीडिंग के चांसेज भी हो सकते हैं। दवा के असर ना होने पर भी बिना डॉक्टर से कंसल्ट किए न तो दवा बंद करें ना ही चेंज करें।

Keep your food at the appropriate temperaturefood safe temperature

  • किसी भी खाने को पकाते वक्त टेम्प्रेचर कम से कम 100 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.
  • कुक्ड फूड को गर्म करते वक्त भी टेम्प्रेचर 63 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होना चाहिए। इससे नीचे के टेम्प्रेचर का बैक्टीरिया पर कोई असर नहीं होगा.
  • रूम टेम्प्रेचर पर रॉ या कुक्ड फूड में बैक्टीरिया तेजी से ग्रो करते हैं.
  • किसी भी फूड को बैक्टीरिया से बचाने के लिए फ्रिज में रखते वक्त फ्रिज का टेम्प्रेचर 8 से 4 डिग्री सेल्सियस या इससे नीचे रखें.
  • फूड प्वॉयजनिंग के बाद अगर वॉमेटिंग और डायरिया कांटिन्यू रहे तो घरेलू ट्रीटमेंट आजमाने से बचें और तुरंत डॉक्टर से  कंसल्ट करें।


Things to watch out for

  • घर के बाहर कोई खुली हुई खाने की वस्तु न खाएं, ये आपके लिए हानिकारक हो सकती है.
  • बाजार में खुले में बिक रहे फल और फलों के जूस न पिएं। ये आपकी सेहत बनाने के बजाय उस पर बुरा असर डाल सकते है.
  • इस मौसम में फ्रेश खाना ही खाएं। बासी खाने को एवाइड करें.
  • पीने के पानी को लेकर बहुत ही सजग रहें। क्योंकि ज्यादातर पेट की बीमारियां और इंफेक्शन दूषित पानी की वजह से होते हैं.
  • खाना तैयार हो जाने के बाद खाने को सही ढंग से पैक करके रखें।
  • किचन में गंदगी को जमा नहीं होने दें और पानी का कलेक्शन प्वाइंट भी न बनने दें।
  • पार्टीज में ज्यादा तला-भुना खाना खाने से बचें। ये आपके डाइजेशन को खराब कर सकता है।
  • इस मौसम में ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। एक स्वस्थ लीवर वाले व्यक्ति दिन में सात लीटर तक पानी पी सकते हैं।
  • अपने फ्रीज की रेगुलर सफाई करिए। फ्रीज में गंदगी होने से उसके अंदर रखे सभी खाद्य पदार्थों में इंफेक्शन हो सकता है.
  • सब्जियों और फलों, खासकर हरी सब्जियों को अच्छी तरह से पानी से धोकर ही प्रयोग में लाएं.

डॉ। बीपी प्रियदर्शी,
असिसटेंट प्रोफेसर मेडिसिन डिपार्टमेंट, मेडिकल कॉलेज

असरदार लहसुन
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी के मुताबिक फूड प्वॉयजनिंग के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत बनने वाले बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी के खिलाफ लहसुन दूसरे एडवांस एंटीबॉयोटिक्स से 100 गुना ज्यादा कारगर है।

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