पूरे घर को उससे उम्मीद थी

दो मंजिल के एक छोटे से मकान के ग्राउंड फ्लोर में स्थित एक रूम के अंदर एक कुर्सी पर दुबकी सी बैठी एक 23 साल की लडक़ी की आंखें ये बता रही थीं कि वो कितनी डरी हुई है। उसके डरने की वजह भी लाजिमी है, क्योंकि उसकी बहन पर मर्डर का आरोप है। जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर उसके पास पहुंचा तो उसके कुछ बोलने से पहले ही वो बोल पड़ी मुझको मेरी बहन दे दो। ये लडक़ी कोई और नहीं बल्कि प्रीति की बड़ी बहन कामिनी थी। रिपोर्टर ने उसको ढांढस बांधने की कोशिश की तो उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। उसके मुंह से निकला कि उसकी मेरी बहन को मुझसे दूर कर दिया। वो आईएएस बनना चाहती थी। पूरे घर को उससे उम्मीद थी कि वो एक दिन सबके दुख दूर करेगी। पढऩे में वो बहुत तेज थी। वो मुझसे छोटी जरूर थी पर पढ़ाई में मुझसे काफी आगे थी। मेरे हाईस्कूल के पेपर में उसने मुझको पढ़ाया। वो मेरी हर प्रॉब्लम को सॉल्व कर देती थी। पर वो इस तरह घुट-घुटकर जी रही, कभी किसी को इसका अहसास नहीं होने दिया। इतना बताने के बाद वो सिसक-सिसककर रोने लगी। रिपोर्टर कुछ और पूछता उससे पहले ही उसने 11 साल पहले की वो कहानी बताई जो उसके परिवार के लिए सबसे मनहूस दिन था।

‘सबसे मनहूस दिन था वो’

बरसात का मौसम था, रिमझिम-रिमझिम पानी बरस रहा था। फैमिली मेंबर्स एक साथ बैठकर गपशप कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर से किसी ने आवाज लगाई। तभी हमारी बड़ी दीदी सुमन बाहर निकलीं तो उनका पैर फिसल गया और वो गिर गईं। आवाज सुनकर सब दौड़े। तो देखा कि दीदी जमीन पर पड़ी थीं। सबने मिलकर उनको उठाया। उनकी आंखें नहीं खुल रही थीं। बस उसी मनहूस दिन दीदी बीमार हो गईं और उनको इलाज शुरू हो गया।

सिर में आई थी सूजन

दीदी को बगल में रहने वाले डॉक्टर के पास सब ले गए तो उन्होंने कहा कि सिर में सूजन आ गई है। पापा ने पूछा किसको दिखाएं तो वो बोले मैं अभी दवा दिए देता हूं। पर आप डॉ। सतीश चंद्रा को दिखा लीजिए अच्छे डॉक्टर हैं। पैसे भी कम लगेंगे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो दीदी को उनके क्लीनिक ले गए। जब पापा को सुमन दीदी को ले गए तो उनके साथ प्रीति और मैं भी गई। उसने सुमन दीदी का इलाज शुरू कर दिया और धीरे-धीरे हमारी गरीबी का फायदा उठाकर घर में आना-जाना शुरू कर दिया। प्रीति की बहन के मुताबिक वो सबसे अंजान थी। रिपोर्टर से इतना बताने के बाद फिर वो कामिनी की आंखें अपनी बहन की शायद उस दशा को याद करने लगीं जिसने उसको कातिल बना दिया।

किसी को कुछ नहीं बताया

कामिनी ने बताया कि दस साल तक डॉ। सतीश चंद्रा उसकी बहन को यातनाएं देता रहा पर उसने कभी किसी को कुछ नहीं बताया। डॉक्टर शायद इस बात को जान गया था कि प्रीति घर में सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट और स्मार्ट है। बस उसकी नजर इसी वजह से उस पर पड़ गई।

उसके सपनों का उठाया फायदा

प्रीति पढ़ाई में तेज थी। आईएएस बनना चाहती थी। पर आर्थिक स्थिति की वजह से कुछ समझ नहीं पा रही थी। डॉक्टर ने उसको इस बात का पूरे विश्वास के साथ एहसास दिलाया कि वो उसके सपनों को पूरा करा देगा। वो अपनी फैमिली के लिए सबकुछ करना चाहती थी। पर उस हैवान की हैवानियत ने उसको उस जगह पहुंचा दिया जहां से निकलकर फिर जिंदगी शुरू शायद कीलों की राह पर चलने के बराबर होगा।

लाइफ में कुछ करना था उसको

8 बाई 10 फुट के एक कमरे की बिना प्लास्टर की हुई दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थीं कि वो एक दिन कुछ जरूर करेगी। ग्रेजुएशन, बीएड, टीईटी करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। शहर के एक प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में पढ़ाई शुरू की। वहां जो पढ़ाया गया उसको अपने जीवन में भी उतारने की कोशिश की। वहां पढ़ाई गईं महान लोगों की लिखी पंक्तियां दीवार में लिख रखी थीं, जिससे उन पर चलकर वो वहां पहुंच सके जहां वो पहुंचना चाहती थी। पर समय ने उसका साथ नहीं दिया।

जरा ध्यान दीजिए

प्रीति की बहन और उसकी फैमिली से कई पहलू जानने के बाद आई नेक्स्ट ने साइकियाट्रिस्ट से उन स्थिति को जानने की कोशिश की, जिससे वो गुजर रही थी। तो मालूम चला कि अगर प्रीति को किसी का सच्चा साथ मिला होता तो शायद स्थिति कुछ और होती। सच्चे साथ में सबसे पहले पैरेंट्स आते हैं।