इसके साथ ही बो शिलाई को सज़ा से मिली विशेष छूट भी खत्म हो गई है। बो शिलाई पर अपने पद के दुरुपयोग, रिश्वत लेने और पार्टी अनुशासन भंग करने के आरोप हैं। बो शिलाई के औपचारिक निष्कासन से ये भी तय हो गया है कि उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला अब आगे बढ़ सकता है।

अप्रत्याशित नहीं

बो शिलाई के खिलाफ ये कार्रवाई अप्रत्याशित नहीं है। चीन के सरकारी मीडिया ने पिछले महीने ही घोषणा की थी कि बो शिलाई को कम्युनिस्ट पार्टी से निकाल दिया गया है। नील हेवुड हत्याकांड में बो शिलाई की पत्नी गू काईलाई को जेल की सज़ा सुनाई जा चुकी है।

हत्याकांड की पड़ताल के दौरान लीपापोती के आरोपों में बो शिलाई के पूर्व सहायक और प्रांतीय पुलिस प्रमुख वांग लिजुन को भी सज़ा हो चुकी है। चीन में ये सारा घटनाक्रम ऐसे समय हो रहा है जब देश में शीर्ष स्तर पर सत्ता हस्तांतरण होने वाला है। आठ नवंबर को कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन होने वाला है जिसमें नये नेताओं का चयन होगा।

चीन कहता रहा है कि बो शिलाई को कम्युनिस्ट पार्टी के पदों से हटाया जाना, कानूनी प्रक्रिया का एक साधारण मामला है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बो शिलाई को बर्खास्त किए जाने की ये बेहद साधारण व्याख्या है। जानकारों के मुताबिक बो शिलाई देश की सर्वोच्च पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के लिए भी दावेदार थे।

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