- झांसी रेलवे ट्रैक की गंभीरता से जांच करने के बाद 42 जगह लिया गया कॉशन

- पुखरायां हादसे के पहले झांसी-कानपुर रूट पर सिर्फ पांच जगह ही था कॉशन

-इंजीनियर्स को पता थे ट्रैक के हालत, इसके बावजूद क्यों नहीं लिया गया कॉशन

KANPUR। पुखरायां में संडे की भोर इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने की मुख्य वजह क्या है और कौन इसका दोषी है, यह बात हाल ही में झांसी से कानपुर तक रेलवे ट्रैक के गंभीरता से किए गए निरीक्षण रिपोर्ट में साफ बयां हो रही है। घटना के पहले 19 नवंबर तक जहां झांसी से कानपुर तक मात्र दो से पांच जगह कॉशन था। वहीं घटना के बाद रेलवे बोर्ड के ट्रैक की गुणवत्ता के प्रति गंभीर होने पर जांच की गई तो 42 जगह कॉशन लगाया गया। जहां ट्रेन 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक नहीं चल सकती है। वहीं पुखरायां व मलासा के आस पास ऐसे स्थान भी चिन्हित किए गए है। जहां रेलवे ट्रैक तत्काल बदलने की स्थिति में है।

क्या होता है कॉशन

रेलवे ट्रैक मेंटीनेंस इंजीनियरिंग विभाग रेलवे ट्रैक का निरीक्षण कर वह जगह चिन्हित करता है। जहां रेलवे ट्रैक कमजोर है और जहां पर ट्रेन तेज रफ्तार से नहीं निकाली जा सकती है। इस स्थिति में इंजीनियरिंग विभाग कॉशन लेकर रेलवे ट्रैफिक विभाग को देता है। यह कॉशन उस रूट में जाने वाली ट्रेनों के पॉयलट को दिया जाता है। कॉशन 'रिपोर्ट' में लिखा होता है कि किस-किस स्थान पर पायलट को ट्रेन की निर्धारित गति से नहीं चलना है। कॉशन वाली जगह में ट्रेन इंजीनियरिंग विभाग द्वारा निर्धारित गति में ही चलाई जाती है।

गंभीरता से नहीं की गई थी जांच

रेलवे सोर्सेज की माने तो झांसी रेलवे ट्रैक के हालात इंजीनियरिंग विभाग से छुपे नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने जर्जर हो चुके रेलवे ट्रैक के स्थानों में कॉशन नहीं लगाया। जो कि इंदौर-पटना एक्सपे्रस दुर्घटना का मुख्य कारण बना।

सीआरएस ने लगाई थी फटकार

रेलवे सोर्सेज की माने तो दुर्घटना के बाद सीआरएस पीके आचार्या ने घटनास्थल के आस पास लगभग चार सौ मीटर रेलवे ट्रैक का निरीक्षण किया था। रेलवे ट्रैक का निरीक्षण करने के तत्काल बाद ही उन्होंने रेलवे ट्रैक मेंटीनेंस इंजीनियर को फटकार लगाई थी। उन्होंने पूछा था कि ऐसे जर्जर ट्रैक में ट्रेन को 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक चलाने का आर्डर किस अधिकारी ने दिया था।