लीबिया की अंतरिम सरकार ने बाब अल-अज़ीजि़या परिसर को ढहाने का फैसला किया है। अगस्त में कर्नल गद्दाफ़ी की सरकार के गिरने के बाद हज़ारों नागरिक उस परिसर को भीतर से देखने गए जो लगभग 40 साल तक देश पर हुकूमत करने वाले कर्नल गद्दाफ़ी की सत्ता का केंद्र रहा था।

पुरानी यादें

बीबीसी संवाददाता केरोलाइन हावले का कहना है कि परिसर को देखने आई एक महिला फूट-फूट कर रोने लगी, और कहा कि इसी अहाते में कभी उसके भाई का क़त्ल कर दिया गया था। उसने कहा, "काश मेरा भाई आज ज़िंदा होता!"

रविवार के दिन जब बुलडोज़रों ने परिसर में प्रवेश किया तो लोगों ने गोलियां दाग़कर अपनी खुशी का इज़हार किया। युवाओं ने अपने मोबाइल फ़ोन पर उस दृश्य की तस्वीर क़ैद की जब एक सुरक्षा टावर बुलडोज़र की ठोकरों से ज़मीन की तरफ़ गिर रहा था।

मत

कुछ लोगों का कहना है कि परिसर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाए ताकि दर्दनाक यादों से जुड़ा ये प्रतीक चिन्ह हमेशा के लिए मिट जाए। लेकिन एक राय बाब अल-अज़ीजि़या के कुछ हिस्से को संग्रहालय के तरह संजोने के भी है। पिछले हफ़्तों के दौरान परिसर में क्रांति से जुड़ी वस्तुओं को बेचने के लिए एक बाज़ार लग गया था।

बनी वलीद

इस बीच हफ़्तो से कर्नल गद्दाफ़ी के जन्म स्थान सिर्त पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश कर रही देश की अंतरिम सरकार की फौजों ने बनी वलीद में प्रवेश कर जाने का दावा किया है।

सिर्त के अलावा बनी वलीद शहर अभी भी देश के पूर्न नेता के वफ़ादारों के क़ब्ज़े में है। हालांकि फौज का कहना है कि दूसरे पक्ष की तरफ़ से उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि सिर्त पर क़ब्ज़े के लिए वो एक नई रणनीति तैयार कर रहे हैं।

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि एनटीसी फ़ौज के भीतर वो गति नहीं नज़र आती। साथ ही उन पर शहरियों को लूटने के आरोप भी लग रहे हैं।

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