कानपुर (ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के हैलट हॉस्पिटल में आग और एसिड से जले और झुलसे पेशेंट के ट्रीटमेंट का इंतजार और बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2018 में शुरू हुआ बर्न यूनिट का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है। हैलट की इमरजेंसी ब्लाक के सामने प्लास्टिक, बर्न एवं रीकंस्ट्रेक्टिव यूनिट का निर्माणाधीन है जो बजट के खेल में फंसी हुई है। ऐसे में शहर ही नहीं आसपास के 17-18 सिटीज के गंभीर पेशेंट को उर्सला रेफर करना पड़ रहा है। जहां पर आठ बेड की बर्न यूनिट पर पेशेंट लोड बढ़ रहा है। मजबूरन पेशेंट को एनबी वन और एनबी टू यूनिट में रखकर ट्रीटमेंट करना पड़ रहा है।

26 बेड की यूनिट
हैलट में सर्जरी डिपार्टमेंट में 12 बेड की बर्न यूनिट संचालित थी। जो कोरोना महामारी के कारण बंद कर दी गई। जिसे कोरोना का ट्राएज एरिया बना दिया गया था। हैलट में वर्ष 2017 में आठ करोड़ की लागत सेप्लास्टिक, बर्न एवं रीकंस्ट्रेक्टिव यूनिट की स्थापना का निर्णय लिया गया था। जो अभी तक पूरा नहीं हो सका। निर्माणाधीन 26 बेड की बर्न यूनिट में 20 बेड जनरल वार्ड और छह बेड का आईसीयू होगा।

अधूरी है यूनिट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रो। प्रेमशंकर ने बताया कि बजट के कारण बर्न यूनिट में देरी हो रही है। इसके लिए प्रिंसिपल की ओर से लगातार शासन को अवगत कराया जा रहा है। जिससे यूनिट का काम पूरा हो सके और बर्न के पेशेंट का ट्रीटमेंट शुरू किया जा सके।

हैलट में बर्न यूनिट शुरू हो जाने बर्न पेशेंट्स का इलाज बेहतर हो सकेगा। उर्सला में आठ बेड की यूनिट हर समय मरीजों से भरी रहती है। बर्न पेशेंट्स को कई सप्ताह तक इलाज दिया जाता है। जिससे अन्य पेश्ट्स को परेशानी उठानी पड़ती है।
- डॉ। आनंद मोहन, सीएमएस उर्सला