अगर रोड पर चलते वक्त कोई बस लहराते हुए आपकी ओर आए तो बिना सोचे समझे एक साइड हो जाइएगा। अगर आप किनारे नहीं हुए तो जान जा सकती है। ये हम नहीं खुद रोडवेज के आंकड़े कह रहे हैं। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि रोडवेज बस चलाने वाले ड्राइवर्स की आई चेकअप के बाद खुलासा हुआ है कि ज्यादातर की आंखों में रोशनी न के बराबर है। ऐसे में आप खुद समझ सकते हैं कि जिस ड्राइवर को दिखाई नहीं पड़ता है, अगर वो बस चलाएगा तो अंदर बैठे पैसेंजर्स का भगवान ही मालिक होगा। झकरकटी बस स्टेशन में लगे चेकअप कैंप में 155 ड्राइवर्स की आई चेक की गईं। इनमें से 54 ड्राइवर्स की आंखों को डॉक्टरों ने बस चलाने के लिए अनफिट करार दिया है। डॉक्टर खुद ताज्जुब में हैं कि आखिर ये बस ड्राइवर्स आई साइट वीक होने के बाद भी इस कोहरे में कैसे सडक़ पर बसों को चला रहे हैं?  

सडक़ सुरक्षा की खुली पोल

रोडवेज ने 24वें सडक़ सुरक्षा सप्ताह के तहत झकरकटी बस स्टेशन में आई चेकअप कैंप लगाया गया था। चूंकि आरएम एसके बनर्जी ने पहले ही जारी कर दिया था कि ड्राइवर्स को आई चेकअप के बिना बसों की यात्रा स्लिप ही नहीं दी जाएगी। लिहाजा, मजबूरी में बस ड्राइवर्स को चेकअप करवाना पड़ा। रिजल्ट आया तो सबके सब चौंक गए। चेकअप में 155 ड्राइवर्स में से 54 की रिपोर्ट निगेटिव आई। डॉक्टरों की टीम खुद भी हैरानी थी कि आंखों में तरह-तरह की बीमारियों के बाद भी 54 ड्राइवर्स कैसे बस चला रहे हैं। आनन-फानन में ऑफिसर्स ने इन्हें तत्काल प्रभाव से बस चलाने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।

पूरी तरह से खराब

आई स्पेशलिस्ट डॉ। रमेश नागिया ने बताया कि जांच में दो ड्राइवर्स तो ऐसे मिले हैं, जिनकी एक आंख पूरी तरह से खराब है। जबकि 16 ड्राइवर्स की आंखों में मोतियाबिंद है जिनको तत्काल ही ऑपरेशन की जरूरत है। इसी तरह 32 ड्राइवर्स की दूर की नजर कमजोर है। इन्हें चश्में की जरूरत है पर बिना लगाए बस चला रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक इतनी तकलीफ के बाद भी ड्राइवर बस क्यों चला रहे हैं? समझ में नहीं आता है?

नहीं लगता है हर महीने कैम्प

रूल्स के मुताबिक रोडवेज ड्राइवर्स की आंखों के चेकअप के लिए हर महीने कैंप लगना चाहिए। पर इस रूल्स को रोडवेज ऑफिसर्स फॉलो नहीं करते हैं। नतीजतन, बिना चेकअप के ही ड्राइवर बसों को सडक़ पर दौड़ा रहे हैं। डिपार्टमेंटल सोर्सेज के मुताबिक करीब एक साल से किसी डिपो में कैंप नहीं लगा है। कानपुर मंडल में 6 डिपो आते हैं, जिसमें लगभग 800 ड्राइवर्स हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एक जगह तीस परसेंट से ज्यादा ड्राइवर्स की आंखें खराब हैं तो पूरे मंडल के ड्राइवर्स का क्या हाल होगा?

पैसेंजर्स की जिंदगी से खिलवाड़

रोडवेज ऑफिसर्स की लापरवाही पैसेंजर्स की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है। डे-लाइट में जिनको कम दिख रहा है, वही ड्राइवर्स रात में ड्राइविंग करके खुद के साथ अपने साथ सैकड़ों पैसेंजर्स की भी जान को आफत में डाल रहे हैं। एक्सपर्ट के अनुसार इसी वजह से ठंड में रोडवेज बसों की दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती है।

जांच रिपोर्ट एक नजर में

चेकअप                 155 ड्राइवर्स

एक आंख खराब         2 ड्राइवर्स

मोतियाबिंद              16 ड्राइवर्स

दूर की आई साइट वीक  32

कम रोशनी               4

रोडवेज बसों से हुए एक्सीडेंट्स

1- कल्याणपुर में रोडवेज बस ने टेंपो को मारी टक्कर, महिला की मौत

2- टूंडला में रोडवेज बस भिड़ी, ड्राइवर बुरी तरह हुआ घायल

3- कानपुर देहात में रोडवेज बस घुसी डीसीएम में, डाइवर समेत कई पैसेंजर्स घायल

4- झकरकटी बस अड्डे में ही बस का संतुलन बिगड़ा, पैसेंजर्स बाल-बाल बचे

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"जांच में जिन ड्राइवर्स की आई साइट वीक पाई गई हैं। उन्हें इलाज के लिए छुट्टी देने की योजना है। इलाज के बाद आने पर उनका फिर से चेकअप होगा। अगर इस दौरान वह अक्षम मिले तो उन्हें बैठकी देकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी."

एसके बनर्जी, रीजनल मैनेजर, रोडवेज