लापरवाही बरत रहे

मलिक ट्रांसपोर्ट में लगी आग चौथे दिन भी सुलगती रही। लेकिन इससे सबक लेने की न तो ट्रांसपोर्टर्स ने जरूरत समझी और न ही केस्को ने। केडीए ऑफिसर्स भी ट्रांसपोर्ट नगर को बीच शहर से बाहर शिफ्ट करने को लेकर लापरवाही बरत रहे हैैं। जबकि केस्को की जर्जर इलेक्ट्रिसिटी लाइन, पोल के नीचे फुटपाथ पर केमिकल व अन्य ज्वलनशील पदार्थ पड़े हुए जो एक चिंगारी पाते ही मलिक ट्रांसपोर्ट की घटना से भी बड़ी तबाही मचाने के लिए काफी हैं।

नीचे दुकान, ऊपर मकान

बाबूपुरवा-किदवई नगर और जूही हमीरपुर रोड के बीच वर्ष 1970 के लगभग ट्रांसपोर्ट नगर बसाया गया था। तब ट्रांसपोर्ट नगर के आसपास आबादी नहीं थी। लेकिन अब चारों तरफ रेजीडेंशियल कालोनी बस चुकी है। आनन्दपुरी, केडीए कालोनी ट्रांसपोर्ट नगर, नयापुल रेलवे कालोनी, जूही, किदवई नगर आदि मोहल्ले तो ट्रांसपोर्ट नगर से सटे हुए हैैं। ट्रांसपोर्ट नगर में ही करीब 250 बिल्डिंग्स ऐसी है जिनमें नीचे ट्रांसपोर्ट ऑफिस व गोडाउन और ऊपरी हिस्सों में फैमिली भी रहती हैं।

ढाई हजार ट्रक आते हैं रोजाना

ट्रांसपोर्ट नगर में दो हजार ट्रांसपोर्ट और इससे जुड़ी शॉप हैैं। हर रोज करीब 2.5 हजार गाडिय़ों का ट्रांसपोर्ट नगर में आवागमन होता है। ट्रांसपोर्ट नगर को आने-जाने वाले ट्रक्स केवल  टाटमिल-बाईपास रोड, जूही हमीरपुर रोड पर ही धमाचौकड़ी नहीं करते बल्कि किदवई नगर, पशुपति नगर आदि मोहल्लों में यमदूत बनकर दौड़ते हैैं। ये हर साल कई लोगों की जिन्दगियों को पहियों तले कुचल देते हैैं। इसी वजह से काफी समय से ट्रांसपोर्ट नगर को सिटी से बाहर किए जाने की मांग हो रही है।

सडक़ पर बना रखे गोडाउन

ट्रांसपोर्ट होने की वजह से बड़े पैमाने पर सामान की लोडिंग व अनलोडिंग भी होती है। इनमें केमिकल, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, कपड़े, साडिय़ां, ऑयल फर्नीचर। ऑयल टैैंकर सहित अन्य ज्वलनशील पदार्थ शामिल है। ट्रांसपोर्टर्स के मुताबिक हर समय ट्रांसपोर्ट नगर में कई अरब रुपए  से अधिक का सामान रहता है। मलिक ट्रांसपोर्ट की तरह कई ट्रांसपोर्टर्स के गोडाउन भी हैं। लेकिन ज्यादातर के पास गोडाउन नहीं हैैं, उनके यहां लोडिंग व अनलोडिंग का सामान फुटपाथ पर ही पड़ा रहता है। अक्सर लोड व खाली गाडिय़ां भी इलेक्ट्रिसिटी लाइनों के नीचे ही खड़ी रहती है। केस्को की इलेक्ट्रिसिटी लाइन व पोल का हाल कानपुराइट्स से छिपा नहीं है। कब टूट जाए, कोई भरोसा नहीं है।

पांच पेट्रोल पम्प भी इसके अंदर

ट्रांसपोर्ट नगर के छोटे से दायरे में पांच पेट्रोल पम्प हैं। जिनमें हर समय हजारों लीटर पेट्रोल व डीजल रहता है। आसपास टायर शॉप व गोडाउन हैं। वैसे भी पुराने टायर तो लगभग हर ट्रांसपोर्ट के बाहर पड़े रहते हैैं। फ्राईडे को मलिक ट्रांसपोर्ट में लगी भीषण आग के बाद लोग इस वजह से डरे हुए थे कि कहीं आग की लपटें ट्रांसपोर्ट के पीछे स्थित पेट्रोल पम्प तक न पहुंच जाए। फायर इम्प्लाइज भी पेट्रोल पम्प को लेकर काफी अलर्ट रहे।

अभी तो कब्जा ही नहीं मिला

चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव की प्राथमिकता वाले कामों में ट्रांसपोर्ट नगर की शिफ्टिंग भी शामिल है। केडीए को पनकी भाऊ सिंह में न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसाना है। लेकिन लगभग एक वर्ष बीतने के बावजूद केडीए अभी तक ट्रांसपोर्ट नगर के लिए प्रपोज्ड पूरी जमीन पर कब्जा भी नहीं ले सका है।

वाह रे केस्को

मलिक ट्रांसपोर्ट में भीषण के आग के बाद भी न तो ट्रांसपोर्टर्स ने सबक लिया है और न ही केस्को ने। अभी भी इलेक्ट्रिसिटी लाइन के नीचे लोड ट्रक व सामान फैला हुआ है। इसी तरह केस्को ने झुके पोल व लटकते तारों को सही करने की जरूरत नहीं समझी है। शायद उन्हें फिर किसी हादसे का इंतजार है।