-विजयनगर में बस की टक्कर से बाइक सवार इंजीनियर की मौत

-उसके शव को देखकर सदमे में चली गई डॉक्टर बेटी, घंटों शव से चिपकी रही

KANPUR : पापा पापा उठो मेरी बात का जवाब दो। पापा मैंने बड़ी मुश्किल से उसको सुलाया है। वो बार-बार नानू नानू बोल रही थी। मैं उसको दूध भी नहीं पिला पाई और फोन आ गया कि आपके चोट लग गई है। वो नानू को पूछेगी तो मैं क्या जवाब दूंगी। देखो तुमको कहीं चोट नहीं लगी है। फिर क्यों लेटे हो। पापा पापा उठो। अरे कोई मेरे पापा को क्यों नहीं उठाता है। देखो इनकी बॉडी भी ठंडी हो रही है। उठ जाओ पापा। आपके बिन कुछ नहीं हो सकता है। ये दर्द भरा दास्तां किसी फिल्म की नहीं, बल्कि शुक्रवार को हैलट का था, जहां रोड हादसे में मरे एक इंजीनियर के शव से चिपककर उसकी डॉक्टर बेटी रो रही थी। उसको इतना गहरा सदमा लगा है कि वो डॉक्टर होने के बाद भी पिता की मौत का यकीन नहीं कर पा रही है। इसीलिए वो अपने पापा की बॉडी से चिपककर उन्हें उठाने की कोशिश कर रही थी।

ऑफिस से घर जा रहे थे

कल्याणपुर के कैलाश विहार में रहने वाले नागेंद्र नाथ तिवारी लघु सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर थे। उनके परिवार में पत्नी नंदा, दो बेटे सौरभ, विशाल और डॉक्टर बेटी पूजा है। पूजा के पति आकाश भी डॉक्टर हैं। नागेन्द्र बिधनू स्थित ऑफिस में कार्यरत थे। वो रोज की तरह सुबह बाइक से ऑफिस गए थे। वहां पर काम खत्म करने के बाद वो वापस घर जा रहे थे कि विजयनगर में सब्जीमण्डी के पास प्राइवेट बस ने बाइक में पीछे से टक्कर मार दी। वो उछलकर रोड पर गिर गए। जिसे देख ड्राइवर बस से उतरकर भाग गया। राहगीर की सूचना पर पुलिस ने मौके पर जाकर नागेंद्र को हॉस्पिटल ले गई, जहां डॉक्टर ने उनको मृत घोषित कर दिया।

एक भी चोट नहीं लगी

नागेन्द्र हमेशा हेलमेट पहनकर बाइक चलाते थे। वो हादसे के समय भी हेलमेट पहने थे, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई। उनके बाहरी हिस्से में एक भी चोट नहीं लगी है। यहां तक उनके रगड़ तक का निशान नहीं मिला है। इसके बाद भी उनकी मौत हो गई। जिसे देख हैलट में मौजूद उनके साथी यहीं कह रहे थे कि नागेन्द्र की मौत ही आ गई थी। वरना ट्रैफिक नियम का पालन करने वाले नागेन्द्र की मौत न होती।

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तो बच जाती नागेन्द्र की जान

हादसे को देखते ही राहगीरों ने कंट्रोल रूम में सूचना दे दी थी, लेकिन आधे घंटे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। इस दौरान नागेन्द्र रोड पर ही पड़े रहे। राहगीरों ने उनको पास के एक हॉस्पिटल में ले गए, जहां उनको हैलट रेफर कर दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अगर पुलिस टाइम से पहुंचकर उन्हें हॉस्पिटल ले जाती तो शायद उनको बचाया जा सकता था।