-होली में सालों से चले आ रहे अवेयरनेस कैम्पेन के बावजूद हर्बल कलर्स के यूज को लेकर पब्लिक में उदासीनता
-मार्केट में केमिकल से बने कलर्स की सप्लाई लगभग 95 परसेंट, हर्बल रंग अभी भी लोगों से कोसों दूर
-मुनाफाखोर हर्बल कलर्स में भी मिलावट करके मार्केट में बेच रहे
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KANPUR।
अगर आपने इस होली में रंग खेलने के लिए हर्बल कलर्स खरीदे हैं या फिर खरीदने का मन बनाकर बेफिक्र हैं कि मिलावटी कलर्स से बच जाएंगे तो इस खबर को ध्यान से पढ़ लीजिए, क्योंकि जरूरी नहीं है कि आपके पास जो हर्बल कलर्स के पैकेट हों वो वास्तव में नेचुरल कलर्स ही है। जी हां इसकी वजह ये है कि मुनाफाखोरों ने हर्बल कलर्स के नाम पर भी मिलावटखोरी का धंधा शुरू कर दिया है। वहीं कलर्स की बिक्री का जो डाटा सामने आ रहा है वो भी बेहद चौकाने वाला है। तमाम अवेयरनेस कैम्पेन के बावजूद हर्बल कलर्स की सेल मात्र भ् परसेंट ही हो पाती है। जबकि ख्0 से ख्भ् परसेंट मिलावटी कलर्स हर्बल बताकर पब्लिक के बीच खपाए जा रहे हैं।
ये हर्बल कलर्स मिलावटी हो सकते हैं
शहर के रंग मार्केट में हर्बल रंगों की सेल सिर्फ भ् प्रतिशत ही है। बाकी लोग केमिकल रंगों का ही यूज करते हैं। जनरलगंज के रंग कारोबारी आकाश ने बताया कि हर्बल रंग बहुत महंगे होते हैं। इसलिए उनकी बिक्री आमतौर पर कम होती है। पिछले दो सालों से मार्केट में हर्बल कलर्स लिखे हुए पैकेट भी सस्ते दामों पर अवेलेबल हो रहे हैं। जोकि हर्बल कलर के नाम पर मिलावटी कलर होते हैं। वहीं गोविन्द नगर में रंग कारोबारी विनीत गुप्ता ने बताया कि हर्बल रंग बहुत कम मात्रा में ही बिकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हर्बल रंगों का महंगा होना भी है। वहीं हटिया रंग बाजार में रंग कारोबारी दिनेश गुप्ता ने बताया कि हर्बल रंग महंगे होते हैं। इसलिए सबकी पॉकेट पर फिट नहीं बैठते हैं।
रंग रेट(रुपये प्रति किलो)
गुलाबी क्000
हरा म्00
पीला भ्00
काला म्00
बैंगनी 700
अबीर भ्0
गुलाल भ्0
ये होते हैं रोग
डॉ। हेमन्त मोहन ने बताया कि कैमिकल रंगों के यूज से डर्मेटाइटिस, स्किन एलर्जी जिसमें लाल चकत्ते पड़ते हैं और पानी आता है, कार्निया में घाव, रेटीना में इंफेक्शन जैसे रोग होते हैं। जिसमें आंखों की रोशनी भी जा सकती है। उन्होंने बताया कि पिछले साल ऐसे कई केसेज सामने आए थे, जिसमें पेशेंट ने हर्बल कलर यूज करने की बात कही। इसके बाद भी डर्मेटाइटिस और आंखों की प्रॉब्लम हो गई।
भ्00 करोड़ का कारोबार
सिटी में रंगों का कारोबार भ्00 करोड़ रुपए का है। यहां अहमदाबाद, मुम्बई से रंग आता है। क्00 ग्राम असली रंग से भ्0 किलो तक रंग तैयार किया जाता है। सिटी में हटिया, गोविंद नगर, बर्रा, नौबस्ता, चौक आदि इलाकों में रंगों की बड़ी मार्केट है।
ऐसे होती है रंगों में मिलावट
रंगों में बेसिक डाई, एसिड, बेजोडिन, बालू, डेक्सट्रीन खाद, स्प्रिट, मिट्टी का तेल, ग्लूकोज पाउडर, सोडा, आरारोट आदि मिलाया जाता है। रंग में चमक लाने के लिए स्प्रिट व मिट्टी के तेल का प्रयोग करते हैं।
रंग मिलावट
हरा कॉपर सल्फेट
लाल रोडामिन बी, मरकरी सल्फाइड
बैंगनी क्रोमियम आयोडाइड
गुलाबी सिंथेटिक दाना, यूरिया
काला रेड आक्साइड
सफेदा एल्युमिनियम ब्रोनाइड
फॉर योर इंफर्मेशन
- हथेली पर रंग रखकर उंगली से घिसने पर दाने नजर आएं, कांच जैसी कटिंग व चमक दिखे तो रंग न यूज करें
- रंग खेलने से पूर्व तेल, क्रीम का यूज करें
- हल्के रंगों का ही प्रयोग करें
- रंग खेलते समय थोड़ी-थोड़ी देर में मुंह व आंखें पानी से धोते रहें
घर पर बनाएं नेचुरल कलर
- मेंहदी में आरारोट मिलाकर पीस लें। हरा रंग बन जाएगा
- टेसू के फूल को पानी में मिलाकर सूखा लें। नारंगी रंग बन जाएगा
- ख्:क् में बेसन व हल्दी मिला लें। पीला रंग बन जाएगा
- शकरकंद के फूलों को सुखाकर पीस लें। नीला रंग बन जाएगा