वो हैवान की तरह खेलता था मेरे शरीर से

मैं उस वक्त बहुत छोटी थी। हाईस्कूल में पढ़ रही थी। घर की फाइनेंशियल कंडीशन बहुत अच्छी नहीं थी। इसी दौरान मेरी बड़ी बहन की तबियत बहुत खराब हो गई। उस वक्त डॉ। साहब (डॉ। सतीश चंद्रा) बहन का इलाज करने घर पर आए थे। डॉक्टर साहब ने पिताजी की गरीबी का फायदा उठाकर अपनी बातों में फंसाना शुरू कर दिया। डॉक्टर साहब ने मुझे अपनी क्लीनिक में जॉब दी और साथ में पढ़ाने भी लगे। उस वक्त डॉ। साहब मेरे और मेरे परिवार के लिए भगवान का दूसरा रूप थे। लेकिन मुझे नहीं पता था कि भगवान के भेष में एक राक्षस की गंदी निगाहें मुझ पर और मेरे परिवार पर पड़ गई हैं। पढ़ाने के दौरान ही डॉ। सतीश ने मुझे बीमार बताकर इलाज शुरू किया। इलाज के नाम पर डॉक्टर मुझे नशे के इंजेक्शन लगाने लगा और बेहोशी की हालत में मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाता था। हर दिन मुझे नशे के इंजेक्शन लगाकर नशे का आदी बना दिया और मेरे साथ गलत काम करते रहे। उस वक्त मैं इंटरमीडिएट में थी। मुझे पता था कि मेरे साथ गलत हो रहा है लेकिन मैं अपनी मां और पिता को कुछ भी नहीं बता पा रही थी। मैं डॉ। सतीश से नफरत करने लगी थी लेकिन नशे की लत लग जाने के कारण वो मेरा शारीरिक और मानसिक शोषण करता रहा। बेहोशी की हालत में डॉ। सतीश चंद्रा हैवान की तरह मेरे शरीर के साथ खेलता था। मुझे पता था कि डॉ। सतीश और भी कई मासूम लड़कियों का जीवन बर्बाद कर चुका है। मैं डॉ। सतीश को खत्म करना चाहती थी लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी। करीब एक महीने पहले मुझे पता चला कि डॉ। सतीश चंद्रा की गंदी निगाहें अब मेरी बहन पर हैं। बस उस दिन मैंने फैसला कर लिया कि समाज से इस गंदगी को साफ करके  रहूंगी। डॉक्टर को उसके किए

का ऐसा अंजाम दूंगी कि मासूम लड़कियों के साथ गलत करने वालों की रूह तक कांप जाए। ऐसा प्रतिशोध जिसका कोई भी मलाल नहीं होगा।

खौफनाक मौत देनी थी

विद्या ने बताया कि डॉ। सतीश चंद्रा को खौफनाक मौत देनी थी। इसके लिए पूरी प्लानिंग की थी। मैंने 15 जुलाई को डॉ। सतीश चंद्रा को फोन करके कहा कि मुझे आपके साथ सेक्स करने की इच्छा हो रही है। इस पर डॉ। सतीश ने 21 जुलाई को रनिया स्थित राही होटल में मिलने के लिए बुलाया। मैं सुबह ही रनिया पहुंच गई। लगभग ढाई घंटे इंतजार करने के बाद डॉ। सतीश चंद्रा वहां पहुंचे और मैं उनके साथ होटल पहुंच गई। मुझे मालूम था कि डॉ। सतीश वोदका पीते हैं। मैंने पहले से ही एक वोदका की बोतल खरीद कर उसमें नशे की गोलियां मिला दी थीं। ये वही नशे की गोलियां थी जो डॉ। चंद्रा इलाज के नाम पर मुझे दिया करते थे। होटल के रूम में पहुंचते ही मैंने डॉ। सतीश को वोदका पिलाई। इसके बाद हम नजदीक आ गए। धीरे-धीरे डॉ। चंद्रा पर नशीली गोलियों का असर होने लगा। बस इसी पल का मुझे इंतजार था। मैंने पहले डॉ। चंद्रा के होठों को स्टेपल करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाई। इसके बाद मैंने डॉ। चंद्रा के हाथ-पैर बेड से बांध दिए और मुंह पर टेप लगा दिया। डॉ। सतीश चंद्रा के सर्जिकल नाइफ से ही उनका गला काट दिया। डॉ। चंद्रा का खून पूरे बेड पर गिर रहा था और वो तड़प रहे थे। उन्हें तड़पता हुआ देखकर मुझे सुकून मिल रहा था। जीत का अहसास हो रहा था। मैंने उसके खून से ही दीवार पर इबारत लिखी कि ‘जब मनुष्य प्रकृति से छेड़छाड़ करता है तो प्रकृति अपने आप को स्वयं संतुलित करती है.’ डॉ। सतीश चंद्रा के दिल की धडक़न बंद हो चुकी थी लेकिन अभी उसके गुनाहों की सजा उसे पूरी तरह से नहीं मिली थी। साथ ही समाज में डॉ। चंद्रा की तरह घूम रहे राक्षसों को संदेश भी देना था। इसलिए मैंने डॉ। चंद्रा के प्राइवेट पार्ट को सीजर से काट दिया।

डॉक्टर की वाइफ सब जानती थी

विद्या ने बताया कि उसने कई बार डॉ। सतीश चंद्रा की करतूत के बारे में उसकी वाइफ और घर वालों से शिकायत की थी। लेकिन उन्होंने उसकी कोई मदद नहीं की। इतना ही नहीं उन्होंने कभी भी डॉ। सतीश चंद्रा को सुधारने का कोई प्रयास भी नहीं किया। इसलिए उन्हें भी सबक सिखाना चाहती थी। डॉ। चंद्रा का प्राइवेट पार्ट काटने के बाद उसे एक प्लास्टिक बैग में पैक करके सीटीआई चौराहे से उसकी वाइफ के नाम पर पार्सल कर दिया था।

मैं खुद क्लू छोड़ रही थी

विद्या ने बताया कि मर्डर करने के बाद वो पुलिस के लिए खुद क्लू छोड़ती गई। पहले उसने डॉ। चंद्रा की वाइफ के नाम पार्सल किया। उसने

बताया कि मर्डर के बाद फरार होने के पीछे भी वजह थी। अगर वो उसी दिन सरेंडर कर देती तो डॉ। सतीश चंद्रा की करतूतों का पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाता। विद्या ने बताया कि इस बार भी पुलिस पीछे रह गई। और आखिर में उसे खुद पुलिस के पास जाना पड़ा। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एसएसपी यशस्वी यादव कातिल विद्या को गिरफ्तार करने का दावा करते रहे।

एक और डॉक्टर का पहुंचना है अंजाम तक

डॉ। सतीश चंद्रा की हत्या कबूल करने वाली विद्या ने बताया कि अभी एक और डॉक्टर का शिकार करना है। कारण पूछने पर विद्या का कहना था कि मासूम लड़कियों के साथ गलत करने वाले सभी हैवानों को जीने का कोई हक नहीं है। इलाहाबाद में रह रहे उस डॉक्टर ने कल्याणपुर में रहने वाली सात साल की बच्ची के साथ रेप किया था। उस डॉक्टर ने कानपुर में ही रह कर मेडिकल की पढ़ाई की थी। मैंने पुलिस को उसके बारे में सब बता दिया है। अब देखना है कि पुलिस उसके खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। हालांकि पुलिस ने उस डॉक्टर का नाम ओपन नहीं किया।

मैंने पूरे समाज का शिक्षा दी है

जीवन के जिस मोड़ पर आज विद्या खड़ी थी, वो कभी उसकी मंजिल का हिस्सा नहीं था। पढ़ाई में होशियार विद्या ने एमए करने के बाद बीएड कम्पलीट किया था। इसके बाद टीईटी कॉम्पटीशन को भी क्लियर कर लिया था। विद्या टीचर बनना चाहती थी। लेकिन उसे इस बात का मलाल नहीं है कि वो टीचर बनकर बच्चों को शिक्षा नहीं दे सकी। क्योंकि विद्या का मानना है कि कि उसने जो कुछ किया है, वो पूरे समाज के लिए एक शिक्षा है। गलत के साथ गलत होता है और बुरे का अंत बुरा ही होता है।

हिटलर से मिली प्रेरणा

विद्या ने मीडिया को फेस करते हुए कहाकि ये कदम उठाने के लिए उसे हिटलर से प्रेरणा मिली। विद्या ने अपने घर में हिटलर के कई कोट्स को लगा रखा है। जिसमें से एक कोट से वो बहुत प्रभावित हुई। जिसमें हिटलर ने लिखा है कि ‘मैं एक भयानक जुआ खेल रहा हूं और मुझे इसे जीतना ही होगा.’ विद्या का कहना है कि वो भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद को भी मानती है और महात्मा गांधी को भी मानती है।

उसका ही हथियार इस्तेमाल किया

डॉ। सतीश चंद्रा ने विद्या को अपने जाल में फंसाने के लिए जिस नशीली दवा नाइट 5 को हथियार के तौर पर यूज किया था। उसी नशीली गोली को विद्या ने भी डॉ। सतीश चंद्रा का मर्डर करने के लिए हथियार के तौर पर यूज किया। विद्या ने बताया की नशे का आदी होने की वजह से उसकी दवाईयां चल रही थी। इसलिए उसे मेडिकल स्टोर से नाइट 5 आसानी से मिल गई थी।

अगर छूट गई तो

विद्या का कहना है कि समाज से गंदगी को साफ करने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है। लेकिन जब ऐसा नहीं होता है तब हम लोगों को ये जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। अगर मैं यहां से छूट गई तो आगे भी इस जिम्मेदारी को निभाऊंगी। समाज को गंदा कर रहे ऐसे हैवानों को अपने हाथों से सजा दूंगी।

मेंटली डिस्टर्ब हो चुकी है

एसएसपी यशस्वी यादव ने बताया कि लगातार कई सालों से मानसिक और शारीरिक शोषण होने की वजह से विद्या का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। उसे नशे का लती बना दिया गया था। जिसकी वजह से पहले उसका इलाज डॉ। महेंद्रू से चल रहा था। इस वक्त विद्या स्वरूप नगर के डॉ। हेमंत पांडे से इलाज करा रही थी। उन्होंने बताया कि विद्या के जुर्म की सजा उसे मिलेगी। लेकिन इसके साथ ही विद्या की मानसिक स्थिति को भी ध्यान में रखा जाएगा। क्योंकि वो अपराधी होने के साथ ही एक विक्टिम भी है।