अब भंग की जा चुकी टीम अन्ना के सदस्य रहे केजरीवाल ने कोयला आवंटन से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता नितिन गडकरी के घर के घेराव का आह्वान किया था।

किरण बेदी ने इससे असहमति जताते हुए कहा था कि वह सत्ताधारी दल के नेताओं के घर के घेराव के पक्ष में हैं क्योंकि अभी विपक्ष इस बारे में कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है।

किरण बेदी ने इसके बाद रविवार को हुए घेराव में शामिल भी नहीं हुईं और उन्होंने उसके बाद ट्विटर के ज़रिए अपनी मंशा स्पष्ट की। बेदी ने कहा, "मैं सिर्फ़ उन लोगों को ज़िम्मेदार ठहराना चाहती हूँ जो सत्ता में हैं। मैं विपक्षी दलों से भी इसी तरह की माँग करती हूँ."

'आवाज़'

किरण बेदी से एक पाठक ने कहा कि कोयला घोटाले में तो सभी प्रमुख दल शामिल हैं और एक अन्य का कहना था कि केजरीवाल का आंदोलन भ्रष्टाचार के विरुद्ध है किसी दल के विरुद्ध नहीं तो बेदी ने लिखा, "इसमें कोई शक़ नहीं है। मगर जो लोग सत्ता में हैं पहले उन्हें पकड़ा जाना चाहिए। घोटालों के विरुद्ध आख़िरकार जो आवाज़ उठी है उसे कमज़ोर नहीं किया जाना चाहिए."

साथ ही बेदी ने विपक्षी पार्टियों को घेराव से अलग रखने की अपनी मंशा का स्पष्टीकरण देते हुए लिखा, "हाँ मैं विपक्षी पार्टियों के घेराव के विरुद्ध थी क्योंकि आपको उनके वोट की ज़रूरत है और वे लोग सरकार को घोटालों पर घेरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."

इससे पहले रविवार को केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसोदिया और अन्ना हज़ारे के कुछ अन्य सहयोगियों ने प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के घेर के घेराव की भी कोशिश की थी।

केजरीवाल का इस बारे में कहना था कि जनता को भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही हज़ारों करोड़ के घोटाले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, "वे लोग देश की इस दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने मिलजुलकर कोशिश की है कि संसद न चल सके."

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