कानपुर (ब्यूरो)। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में रैैंकिंग पाने के लिए कालेजों को स्टूडेंट फैकल्टी रेशियो, क्वालिटी रिसर्च (स्कोपस में पब्लिश होने वाली), इंटरनेशनल और नेशनल स्टूडेंट की संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। यह बातें थर्सडे को क्रिस्प के प्रो। बलराज चौहान ने कहीं। वह सीएसजेएमयू में आयोजित कैपिसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप ऑन एनआईआरएफ एंड एनईपी 2020 मेें बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए थे। यहां सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड और रैैंकिंग के लिए सिलेक्ट 78 कालेजों के टीचर और प्रिंसिपल समेत 100 से ज्यादा कॉलेजों से फैकल्टी ट्रेनिंग के लिए आई थी।
20 स्टूडेंंट पर एक टीचर जरूरी
सेशन के बाद क्वेश्चन आंसर सेशन में एनआईआरएफ और नैक में बेस्ट परफार्मेंस के लिए कालेजों को गुरुमंत्र दिया गया। कालेजों के प्रिंसिपल्स को बताया गया कि एनआईआरएफ में रैैंक पाने के लिए 20 स्टूडेंट्स पर एक टीचर चाहिए। इसके अलावा नैक में ग्रेड पाने के लिए 30 स्टूडेंट पर एक टीचर चाहिए। जबकि कालेजों में इस रेशियो को फॉलो नहीं किया जा रहा है। ऐसा न करने पर एनआईआरएफ और नैक की टीम द्वारा स्टूडेंट फैकल्टी रेशियो वाले कॉलम में आपको जीरो नंबर मिलेंगे। इस मौके पर सीडीसी डायरेक्टर प्रो। राजेश कुमार द्विवेदी, प्रोवीसी प्रो। सुधीर कुमार अवस्थी और आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो। संदीप कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।
स्कोपस में पब्लिश हो रिसर्च
प्रो। बलराज चौहान ने बताया कि मैक्सिमम कालेजों में रिसर्च के नाम पर केवल खानापूरी की जा रही है। इन पर एनआईआरएफ नंबर नहीं देता है। एनआईआरएफ में रिसर्च वहीं काउंट की जाती हैैं जो स्कोपस में पब्लिश हुई हों। कालेजों को नैक मेें ग्रेड पाने और एनआईआरएफ में रैैंक पाने का सीधा बेनीफिट स्टूडेंट्स को मिलेगा। इन दोनों की ओर से ग्रेड और रैैंक पाने वाले कालेजों में फैकल्टी की कमी नहीं रहेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर रहेगा। क्वालिटी रिसर्च होगी।