कानपुर (ब्यूरो)। न्यू ईयर पर अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और सुहाने सफर के लिए इटावा-कानपुर हाईवे से निकलने की सोच रहे हैं तो कोई दूसरा रूट ढूंढ लीजिए। क्योंकि इस हाईवे पर सफर रिस्की हो सकता है। सैटरडे नाइट दैनिक जागरण आईनेक्ट ने इस हाईवे का रियलिटी चेक किया तो हालात काफी चौंकाने वाले निकले। इस 35 किलोमीटर के हाईवे पर जब सुरक्षा के इंतजाम देखे तो तीन घंटे के मूवमेंट के दौरान कहीं पर भी पीआरवी नहीं दिखी। एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अंतर्गत आने वाली इस सड़क पर न तो एंबुलेंस दिखाई दी और न ही हाईवे पर गश्त करती पुलिस। दो वाहन खराब दिखे, इन्हें हटाने के लिए क्रेन भी नहीं थी। ये हालात तब हैं जब बीते एक सप्ताह में इस हाईवे पर 9 हादसे हुए है, जिनकी वजह कोहरा है। इन हादसों में दो की मौत हुई है। 13 लोग घायल हो चुके है।

हर साल होते है छोटे बड़े हादसे
जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते ही दो साल पहले एक बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें 23 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। कई डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स ने एक साथ बैठक की, कुछ दिन तक सख्ती रही। उसके बाद फिर पुराना रवैया शुरू हो गया कुछ दिन पहले ही शासन ने हाईवे किनारे खड़े वाहन हटवाने का आदेश कमिश्नरेट पुलिस को जारी किया था। कमिश्नरेट से थाने आदेश भेजा गया।

लेकिन सड़क पर पड़ी बजरी
हाईवे पर पूरे रास्ते बजरी फैली मिली। इससे फिसलकर टू व्हीलर ड्रइवर्स अक्सर घायल होते रहते है, लेकिन जिम्मेदारों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।

ओवरलोड व्हीकल्स की वजह से गड्ढे
हैवी व्हीकल्स ओवरलोड कर ले जाए जाते है। चाहे लखनऊ का रूट ले लीजिए या प्रयागराज का, दोनों तरफ की सड़कों के बीच नालियां बन गई है। तेज रफ्तार टू व्हीलर्स इसके ऊपर से निकलते समय असंतुलित हो जाते है।

हाईवे के किनारे खड़े हैवी व्हीकल्स
सचेंडी से लेकर महाराजपुर तो बने ब्लैक स्पॉट्स पर तो हैवी व्हीकल्स पहले की तरह खड़े दिखाई दिए। इनको हटवाने का कोई भी इंतजाम नहीं दिखाई दिया। जबकि कोहरे के दौरान हादसों की सबसे बड़ी वजह ये व्हीकल्स ही है।

सफेद पट्टी का मिटना या धुंधला होना
घने कोहरे में केवल सफेद पट्टïी और लाइट व ब्लिंकर का सहारा होता है। हालात ये हैैं कि पनकी मर्जिंग प्वाइंट पर नई स्ट्रिप बनाई गई। इसके अलावा पूरे हाईवे पर धुंधली, मिटी हुई और बीच-बीच में कुछ स्थानों पर ही स्ट्रिप दिखी।

सुरक्षा के कोई इंतजाम न होना
हाईवे पर कहीं भी पीआरवी नहीं दिखाई दी। तीन घंटे के मूवमेट पर रामादेवी मर्जिंग प्वाइंट पर एक ट्रैफिक कांस्टेबिल दिखाई दिया। वैसे आम दिनों में पनकी, नौबस्ता और चकेरी मर्जिंग प्वाइंट पर डॉयल-112 की पीआरवी खड़ी रहती है।

लाइट की व्यवस्था न होने से अंधेरा
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि दिन ढलते ही अंधेरा हो जाता है। जिस जगह का जनरेटर चला दिया जाता है, वहां तो रोशनी हो जाती है लेकिन जहां का नहीं चलता वहां अंधेरा होता है। यहां कैट आई की चमक से आगे वाहन मंजिल की ओर बढ़ते हैं।

ब्लैक स्पॉट्स के पहले कोई संकेतक न होना
वर्तमान में 35 किलोमीटर में 13 ब्लैक स्पॉट्स है। इस पूरी दूरी पर कहीं भी इनके पहले कोई साइनएज नहीं लगा है। वहीं रैप और टर्न के भी साइनएज नहीं दिखाई दिए।

कॉमर्शियल व्हीकल में सवारी बैठाना
कॉमर्शियल व्हीकल्स में सवारी बैठाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बाद भी नौबस्ता रैप, नौबस्ता मर्जिंग प्वाइंट, रामादेवी मर्जिंग प्वाइंट पर कॉमर्शियल व्हीकल्स सवारी बैठाते दिखाई दिए।

टूटे डिवाइडर की वजह से रोड क्रास करना
फुटओवर ब्रिज न होने की वजह से लोग मजबूरी में सड़क पार करने के लिए सड़क का इस्तेमाल करते है। यहां सुविधा के मुताबिक डिवाइडर तोड़े गए है। यहां से लोग निकलते है और हादसे होते है। आबादी के बीच कहीं भी निकलने की जगह नहीं बनाई गई।

तेज रफ्तार और नियमों की अनदेखी
हाईवे पर टू व्हीलर्स भी दिखाई दिए। तेज रफ्तार बिना हेलमेट के लोग बाइक दौड़ाते दिखे। न खुद की जान की चिंता और न ही किसी दूसरे की जान की। बस मंजिल पर पहुंचने की जल्दी।

रॉंग साइड वाहनों का आवागमन
वक्त से पहले घर पहुंचने की जल्दी में रॉंग साइड अपने व्हीकल्स को ले जाते लोग दिखे। चाहे कार हो या ऑटो रिक्शा, ट्रैक्टर हो या दूसरा कोई वाहन, तेज रफ्तार रॉंग साइड से जाते दिखे लोग।

शासन के निर्देश के बाद हादसे रोकने के लिए थानों को आदेश जारी किया गया है। हाईवे किनारे के थानों को गश्ती के दौरान मूवमेंट बढ़ाने और खड़े वाहनों को हटवाने के लिए कहा गया है।
आनंद प्रकाश तिवारी, जेसीपी कानपुर कमिश्नरेट