पुलिस का कहना है कि 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है लेकिन बीबीसी हिंदी से बातचीत में कारखाने में काम करनेवाले मौजूद नीतीश कुमार का कहना था 59 लोगों को मई के पहले सप्ताह में हिरासत में हैं।

नीतीश कुमार बिहार के हैं और उन्होंने बीबीसी हिंदी को बताया कि ओवरटाइम के पैसे को लेकर हड़ताल कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें तीन लोग घायल भी हुए हैं।

उन्होंने बताया कि अंगोलन फैबरिका डि सिमेंटो डो क्वांजा में कई लोग काम कर रहे थे और उनसे वादा किया गया था कि उन्हें ओवरटाइम का पैसा डॉलर में मिलेगा लेकिन ये पैसा नहीं मिलने पर लोग हड़ताल पर चले गए थे। ये कंपनी अंगोला की राजधानी लुआंडा से 300 किलोमीटर दूर सुम्बे में है।

परमिट

नीतीश के अनुसार वो टेक्नीशियन हैं और उन्हें दिल्ली में इंटरव्यू के बाद अंगोला में नौकरी दी गई थी इस शर्त पर कि वर्क परमिट मिल जाएगा लेकिन दस महीने के बाद भी उन्हें परमिट नहीं दिया गया है।

उधर नेशनल पुलिस के मुख्य आयुक्त पाउलो डि अलमिटा ने बीबीसी से कहा कि किसी को भी गिरफ़्तार नहीं किया गया है लेकिन कामगारों के परिसर में समस्या थी और स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि प्रांतीय पुलिस प्रमुख ने बीस लोगों के हिरासत की बात कही है।

खबरों के अनुसार कामगारों के परिसर में कुछ बाइकों में आग लगा दी गई थी और पुलिस अधिकारियों पर पत्थर फेंके गए थे। पुलिस का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि मामला क्या है। उन्होंने गोलियां चलने और आंसू गैस की खबरों से भी इंकार किया।

हालांकि कंपनी में हड़ताल की खबर कई दिनों से थी और गुजरात के मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता शक्तिसिंह गोहिल ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि अंगोला के कारखाने में काम कर रहे भारतीय लोगों के हितों की रक्षा की जाए। अंगोला में भारतीय युवा लोगों को भेजने का काम एजेंसियां करती हैं।

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