कानपुर (ब्यूरो)। ग्र्राउंड वाटर को बचाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने जेएनएनयूआरएम स्कीम शुरू की गई थी। जिससे कानपुराइट्स के हर घर तक ट्रीटेड सरफेस ड्रिकिंग वाटर पहुंच सके। लोगों को ग्र्राउंड वाटर इस्तेमाल करने की जरूरत ही न पड़े। लेकिन 15 साल बाद भी लाखों घरों तक वाटर सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। इसका नतीजा ये हो रहा है कि लाखों लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए ग्र्राउंड वाटर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से ग्र्राउंड वाटर गिरता जा रहा है।

एवरेज 60 सेंटीमीटर
भूजल के यूज के कारण सिटी का ग्र्राउंड वाटर लेवल हर वर्ष गिरता जा रहा है। जो अब बढक़र एवरेज 60 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष तक पहुंच चुका है। इस समस्या के हल की कोशिशें वर्ष 2007 में शुरू हो गई थी। जवाहर लाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन के अन्र्तगत सिटी के 110 वार्ड के सभी घरों में पहुंचाने के लिए दो प्रोजेक्ट लांच किए गए थे। इन प्रोजेक्ट्स के अन्र्तगत सरफेस वाटर यानि गंगा रीवर के पानी को ट्रीटकर 3 लाख नए घरों में वाटर कनेक्शन किए जाने थे।

तीन प्लांट बनाए थे
इसके लिए गंगा बैराज के पास एक नया इंटेक प्वाइंट और 200-200 एमएलडी के दो और गुजैनी 28.5 एमएलडी कैपेसिटी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए गए थे। बेनाझावर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता वृद्धि के अलावा नए जोनल पम्पिंग स्टेशन, क्लियर वाटर रिजरवॉयर व ओवरहेड टैंक्स के अलावा जलकल के पुराने नेटवर्क तक पानी पहुंचाना शामिल था। जिससे कि पुराने नेटवर्क से जुड़े घरों को भी भरपूर पानी मिल सके। उन्हें बिल्कुल भी ग्र्राउंड वाटर का यूज न करना पड़े।

कामयाब नहीं हुई कवायद
जेएनएनयूआरएम के दोनों ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट्स को मिलाकर अब तक 869 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन इन प्रोजेक्ट्स में करप्शन के कारण कानपुराइट्स के घरों तक ट्रीटेड सरफेस वाटर पहुंचाने में कामयाबी नहीं मिल सकी। 3 लाख की जगह केवल 46 हजार ही हाउस कनेक्शन नए हुए हैं। इसमें भी जलनिगम के पास केवल 12 हजार कनेक्शन की लिस्ट है। बाकी कनेक्शन का अता-पता नहीं है।

अब उम्मीद भी नहीं
कुल मिलाकर बात की जाए तो जेएनएनयूआरएम से केवल वाटर 78.5 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर ही अधिक मिल पा रहा है। जबकि जेएनएनयूआरएम में लगभग 500 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर का इंतजाम किया गया था। पाइप लाइन बिछाने में हुए जबरस्त करप्शन के कारण जल्दी घरों तक ड्रिकिंग वाटर पहुंचने की फिलहाल उम्मीद भी नहीं है।

ग्र्राउंड वाटर का यूज मजबूरी
गांधीग्र्राम, शिवकटरा, हरजेन्दर नगर, चकेरी, चन्दारी, गदियाना, सतबरी, शंकराचार्य नगर, यशोदा नगर, पशुपति नगर सहित दर्जनों मोहल्लों में अबतक वाटर सप्लाई नहीं हो सकी है.इन इलाकों में बने जोनल पम्पिंग स्टेशन, ओवरहेड टैंक शोपीस बने हुए है। लोग ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से जूझ रहे हैं। नतीजा ये हो रहा है कि लोग सबमर्सिबल पम्प लगाने को मजबूर है। केवल पिछले एक दशक में ही एक लाख से अधिक सबमर्सिबल पम्प लग चुके हैं। लाखों घरों में चल रहे सबमर्सिबल पम्प के कारण पर डे करोड़ों लीटर ग्र्राउंड वाटर लिया जा रहा है। ये भी हर वर्ष ग्र्राउंड वाटर लेवल गिरने की एक बड़ी वजह है।