लखीमपुरखीरी से गंगा बैराज के जंगलों में पहुंचे बाघ को पकड़ने के लिए पिछले 46 दिनों से डेढ़ दर्जन से ज्यादा टीमें मशक्कत कर रही हैं, लेकिन वो अब भी उनकी पहुंच से दूर है। वो इतने दिनों से अपने 'घर' यानि दुधवा नेशनल पार्क से बाहर है। वो कहां जा रहा है? किसका शिकार कर रहा है? उसको पकड़ने के लिए डल्यूटीआई, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग की टीमें क्या प्लान बना रही है? टीमें किन-किन एरियाज में कॉम्बिंग कर रही हैं? इन सभी सवालों के उत्तर तो आई नेक्स्ट आज भी आपको बताएगा लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल जिसका कि उत्तर आपको अभी तक नहीं मालूम है। वो सवाल है कि आखिर जब 'घर' में सारी सुविधाएं उसको मिल रही थीं तो वो वहां से क्यों भागा? जंगल में कॉम्बिंग कर रही टीमों की प्लानिंग के दौरान इस बात का खुलासा हुआ। आपको जानना है इसका उत्तरपढि़ए आई नेक्स्ट रिपोर्टर मनोज खरे, कुशाग्र पांडेय और फोटोग्राफर अभिनव शुक्ला की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

अब रिसर्च और स्टडी का सहारा

करीब 46 दिनों से बाघ का पीछा कर रहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा टीमों के कुछ मेंबर्स थर्सडे को ख्यौरा के जंगलों में कॉम्बिंग के दौरान उस वक्त सकते में आ गए जब चार घंटे कॉम्बिंग करने के बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा। उनके चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती थी। पहले दिन से कॉम्बिंग के दौरान टीमों के कदम से कदम मिलाकर चल रही आई नेक्स्ट टीम उस वक्त अचानक रुक गई जब करीब वन विभाग की टीम के आधा दर्जन मेंबर्स कोने में बैठकर कुछ डिस्कस कर रहे थे। लगातार बाघ के चकमा देने के बाद वो अब बाघ के पूरे कैरेक्टर पर की गई रिचर्स और स्टडी को डिस्कस कर आगे के कदम उठाएंगे। बाघ के नेचर के कई पहलुओं में सबसे महत्वपूर्ण है वो वजह जिसकी वजह से वो लखीमपुर से यहां आया?

109 में से सिर्फ कुछ ही

दुधवा नेशनल पार्क के वरिष्ठ चिकित्सक और डब्ल्यूटीआई की स्पेशल टीम को लीड कर रहे डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक दुधवा नेशनल पार्क में करीब 109 बाघ हैं। इनमें सिर्फ एक-दो बाघ ही बाहर क्यों आए? सब बाहर क्यों नहीं भागते हैं? उनका जवाब था कि जब बाघ पैदा होता है तो उसकी मां उसको प्यार करती है और दुलारती है। क्योंकि वो बाघ की मां है यानि आने वाले कल के 'राजा' की मांडॉ। सौरभ के मुताबिक हर मां की तरह बाघ की मां की भी उसको ये समझाती है कि वो राजाओं के वंश का है। ऐसे में उसको अपना 'साम्राज्य' बढ़ाना होगा.आमतौर पर हर बाघ ऐसा नहीं सोच पाता है। लेकिन जब बाघ युवा होता है तो मां के इस आदेश को पूरा करने की कोशिश करता है। इसमें कई तो कुछ दूर तक टेरेटरी बनाने के बाद वापस 'घर' आ जाते हैं। लेकिन इसमें से कुछ ही अपने घर से काफी दूर निकलकर अपना साम्राज्य बढ़ाकर मां के आदेश को पूरा कर पाते हैं। उन्हीं में से एक है गंगा बैराज पहुंचा यह बाघ। रिसर्च के निष्कर्ष और एक्सपर्ट के मुताबिक बाघ के ग्रुप में एक मेल और 4 फीमेल होती हैं। फीमेल ही शिकार करके लाती हैं और फिर सबसे पहले मेल ही खाता है। ऐसे में फीमेल भी यही चाहती हैं कि मेल बाघ बहादुर और बड़े साम्राज्य वाला हो।

5वां बाघ है ये

डॉ। सौरभ के मुताबिक रहमानखेड़ा से जिस टाइगर को ऑपरेशन के दौरान पकड़ा वो करीब 109 दिनों तक बाहर रहा जबकि भीरा से 21 दिन के बाद ही बाघ पकड़ा गया था। किशनपुर से 37 और पूरनपुर से 38 दिनों के बाद बाघ को पकड़ा गया था। ये वो बाघ हैं जो कि दुधवा से बाहर आए थे। इन चार के अलावा अब पांचवां बाघ है जो कि गंगा बैराज पहुंचा है। उनके मुताबिक ये बाघ भी तभी पकड़ में आए जबकि वो हिम्मत हार गए थे। एक बार फिर सारी रिसर्च और एक्सपर्ट के डिस्कशन से ये बात धीरे-धीरे निकल कर सामने आ रही है कि वो बाघ तभी पकड़ में आएगा जबकि वो ये समझ ले कि अब बस बहुत हो गया। इसके बाद वो एक जगह रुक जाएगा जहां से उसको आसानी से पकड़ा जा सकता है। दुधवा से आगे निकलते ही बाघ को गन्ने के बड़े-बड़े जंगल मिलते हैं। जिनको वो बड़ी आसानी से पहचान लेता है। वो आगे बढ़ता जाता है और पीछे अपनी कोई निशानी छोड़ता जाता है। जिससे वो भटकता नहीं है। जब उसको लगता है कि वो भटक रहा है तो वो पीछे हो जाता है या फिर वहीं रुक जाता है। लेकिन अगर ज्यादा दूर आ जाता है तो फिर वो जल्दी पीछे नहीं जाता है।

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बिठूर, बिंदकी और गंगा बैराज के जंगलों में कॉम्बिंग

थर्सडे को डॉ। डीएस चौहान, डॉ। सौरभ सिंघवी और डॉ। उत्कर्ष शुक्ला की टीमों ने बिठूर, बिंदकी और गंगा बैराज के जंगलों में कई घंटों कॉम्बिंग की। टीम ने ख्यौरा, नत्थापुरवा समेत एक दर्जन से ज्यादा इलाकों में सघन कॉम्बिंग की। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि फ्राइडे को कॉम्बिंग जारी रहेगी। जिन एरिया में उसके जाने की थोड़ी संभावना होगी। वहां पर टीमें सुबह से ही कॉम्बिंग शुरू कर देंगी। उनके मुताबिक आज इस बात पर उनका पूरा जोर रहेगा कि किसी भी सूरत में उसके ठिकाने का पता लग सके।

अफवाहों से टीम हो रही परेशान

वन विभाग की टीम के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है अफवाहें। अफवाहों की वजह से टीमें भ्रमित हो जाती है। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि लोग अगर बाघ को देखें या उसके पग देखें तो तुरंत कॉन्टेक्ट करें। बिना वजह से अफवाहें न उड़ाएं। खुद अलर्ट रहें और दूसरों को करें।

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बाघ के डर से पुलिस चौकी बंद

आई नेक्स्ट टीम ने वेडनेसडे रात को गंगा बैराज और आसपास के एरिया का जायजा लिया तो पता चला कि बाघ के डर से पुलिस भी घबरा गई है। हाल ये था कि रात में गंगा बैराज अस्थाई पुलिस चौकी और स्थाई पुलिस चौकी दोनों ही खाली दिखीं। किसी भी चौकी में एक भी जवान नहीं दिखा। आई नेक्स्ट टीम ने पूरे इलाके का दौरा किया लेकिन किसी भी कोने में पुलिस दिखाई नहीं दी। अस्थाई पुलिस चौकी में खाली कुर्सियां पड़ी थीं। स्थाई पुलिस चौकी के बाहर कई बाइकें खड़ी थीं लेकिन चौकी का गेट बंद था। ये हकीकत जानने के बाद आप खुद समझ सकते हैं पुलिस कितना डरती है।