- 96 घंटे से बाघ ने नहीं किया कोई शिकार, वन विभाग, डब्ल्यूटीआई और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ टीमों की 64 घंटे कॉम्बिंग के बाद भी नहीं मिला कोई सुराग

एक बाघ। 9म् घंटे। ख्भ् टीमें और म्ब् घंटे की कॉम्बिंग। नतीजा शून्य। ये गणित का कोई फॉर्मूला नहीं बल्कि वो सच्चाई है जिसको जानने के बाद हर किसी के हाथ-पांव फूल चुके हैं। जी हां, गंगा बैराज के जंगलों में पहुंचे बाघ का पिछले चार दिनों से कोई सुराग नहीं मिला है। टीमें लगातार कॉम्बिंग कर रही हैं। उसके बाद भी न तो पग मार्क मिले हैं और न ही कोई शिकार मिला है। यानि पिछले 9म् घंटे से भूखा बाघ अब काफी खूंखार हो चुका है। वन विभाग के अधिकारियों से लेकर हर किसी के मन में बस एक ही सवाल उठ रहा है कि कहीं वो आदमखोर न हो जाए? इस खबर के पीछे हमारा मकसद अधिकारियों को सचेत करना है, क्योंकि करीब एक लाख लोग बाघ प्रभावित एरिया में रहते हैं। फिर भी यही कोशिश होनी चाहिए कि बाघ को पकड़कर लखीमपुर नेशनल पार्क या फिर जू पहुंचाया जाए। क्यों वो बहुत कीमती है।

सैटरडे को हुई क्म् घंटे कॉम्बिंग

सैटरडे को लगातार क्म् घंटे गंगा बैराज के जंगलों में कॉम्बिंग की गई। पिछले करीब ब् दिनों में करीब म्ब् घंटे की कॉम्बिंग के बाद भी ख्भ् टीमों को बाघ का कोई सुराग नहीं मिला है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के चिकित्सक डॉ। देवेंद्र सिंह चौहान के नेतृत्व में टीम तड़के ही ख्यौरा, कनवापुर, पहाड़ीपुर के जंगलों की ओर निकल पड़ीं। डॉ। देवेंद्र चौहान के मुताबिक कॉम्बिंग के दौरान उनको कहीं भी बाघ के पग मार्क नहीं मिले। ग्रामीणों की सूचना पर कई जगह चेक किया गया लेकिन एक भी जगह बाघ का शिकार तक नहीं मिला।

भ् किलोमीटर के एरिया को छान मारा

रिटायर्ड रेंजर्स की टीम का नेतृत्व कर रहे अहमद वली खान ने बताया कि रेंजर्स ने करीब भ् किलोमीटर एरिया का चप्पा-चप्पा छान मारा लेकिन बाघ का कोई क्लू नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि चंपापुरवा में कलिहा से बातचीत के दौरान पता चला कि नील गाय मरी पड़ी है। ये सुनते ही हम लोग उस तरफ दौड़े लेकिन वहां पर जाने के बाद मालूम चला कि नील गाय को जंगली सुअरों ने मार दिया था। उस पर बाघ ने कोई हमला नहीं किया, क्योंकि जहां उसका शव पड़ा था वहां एक भी पग मार्क नहीं मिला। नील गाय के शव को चेक किया गया तो भी इस बात की पुष्टि हुई है कि नील गाय को बाघ ने नहीं मारा।

दस दिन से रोज बांधा जा रहा है पड़वा

कनवापुर के अमित ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए आई टीमों के साथ वो रोज शाम को जंगल की ओर नाव से नदी पार करके जाता है। वहां जाल लगा हुआ है जिसमें दो पड़वे बांधे जाते हैं। करीब चार दिनों से वो लोग रोज दो पड़वे वहां बांधकर आ रहे हैं लेकिन वो बिल्कुल सही सलामत है। रोज सुबह जब दोनों पड़वों को खाने-पीने के लिए दोबारा खेत लाते हैं तो कोई खरोंच तक नहीं होती है। ऐसा सिर्फ एक जगह नहीं कई जगह पर किया गया, लेकिन हर जगह पर पड़वे सही सलामत रहे। अगर बाघ इस तरफ आता तो हर कीमत पर वो पड़वों को नुकसान जरूर पहुंचाता। वीडी मिश्रा ने बताया कि चार दिनों से बाघ का कोई सुराग नहीं मिलना बेहद चिंता का विषय है। सिर्फ गंगा बैराज ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के जंगलों में कॉम्बिंग की जा रही है पर नतीजा कुछ निकलकर नहीं आया।

क्ख् कैमरे, ख् हाथी

कॉम्बिंग में दो हाथियों का यूज भी किया जा रहा है। हाथियों और गाडि़यों से लगातार कॉम्बिंग की जा रही है। महावत अनीस और इंद्रेश ने बताया कि दोनों हाथी ट्रेंड हैं। ये चार ऑपरेशन में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा जंगल में क्ख् कैमरे लगाए गए हैं। कॉम्बिंग के अलावा वन विभाग की टीम पेट्रोलिंग भी कर रही है लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा है।

कई जंगलों की सीमाएं सील

वन विभाग की टीम ने सुरक्षा के चलते गंगा बैराज के आसपास के जंगल को सील कर दिया है। जंगल के चौतरफा छह प्वाइंट बनाए गए हैं। जिसमें वन विभाग के जवान ड्यूटी पर लगाए गए हैं। एक प्वाइंट में तीन से चार जवानों की ड्यूटी है। उनको ड्यूटी प्वाइंट से हटने की इजाजत नहीं है। उनको खाने के लिए लंच पैकेट भी मौके पर ही पहुंचाया जा रहा है।

अगर देखें तो हरकत न करें

डब्ल्यूटीआई के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक टाइगर की करीब क्0 दिनों पहले कैमरे में तस्वीर कैद हुई थी उससे साफ है कि वो सब एडल्ट यानि शावक है। वो पूरी तरह से स्वस्थ है। सबसे अच्छी बात है कि वो नॉर्मल बिहेवियर का है, लेकिन पिछले ब् दिनों से शिकार करने का कोई सुराग न मिलना ठीक संकेत नहीं है। अभी तक तो उसने किसी इंसान पर हमला नहीं किया है। इसलिए गंगा बैराज समेत अन्य वो इलाके, जहां पर बाघ के होने की संभावना है। वहां पर अगर किसी के सामने वो आ जाता है, तो व्यक्ति वहां से भागे नहीं, बल्कि बिना हरकत किए वहां पर खड़ा रहे। इससे बाघ खुद वहां से चला जाएगा। टाइगर तभी हमला करेगा, जब उसको कोई डराने की कोशिश या अन्य हरकत करेगा।

नील गाय है सबसे पसन्दीदा

डब्लूटीआई के ऑफिसर डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक बाघ की सबसे पसन्दीदा खुराक नील गाय है। वो नील गाय का शिकार कर उसको झाडि़यों के बीच छुपा देता है। नील गाय बड़ा जानवर होता है। इसलिए वो एक बार में उसका गोश्त नहीं खा पाता। वो दो से तीन दिन तक उसका गोश्त खाता है। जिससे वो अगले एक-दो दिन शिकार करने से बच जाता है। अगर वो नील गाय का शिकार नहीं कर पाता है, तो वो जंगली सुअर और फिर बछड़े को टारगेट करता है, लेकिन कॉम्बिंग टीम को पिछले ब् दिनों में इसका कोई भी सुबूत नहीं मिला है।

कहां-कहां की गई कॉम्बिंग

क्। गढ़ीसिलौली

ख्। ख्यौरा

फ्.उन्नाव के जंगलों में

ब्। कनवापुर

भ्। नत्थापुरवा

म्। चंपापुरवा

7. पहाड़ीपुर

9. छोटा मंगलपुर के जंगल

क्0. बड़ा मंगलपुर के जंगल

क्क्। शुक्लागंज