फ्लैग-'यूपी 100' में है कनेक्टिविटी प्रॉब्लम, वारदात के बाद टाइम पर नहीं पहुंच रही मदद

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- हाईटेक सुविधा 17 दिन में हांफी, कार में लगी एमडीटी में 2जी और 3जी नेटवर्क का भी झोल

-सर्दी बढ़ने के साथ ही सिटी के बाहरी इलाकों में बढ़ी वारदातों की संख्या, बदमाश बेखौफ

KANPUR: सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट यानि 'यूपी 100' को शुरू हुए 17 दिन ही हुए हैं, लेकिन यह सेवा अभी से हांफने लगी है। बीते दिनों शहर के बाहरी इलाकों में हुई कई वारदातों में इसके देरी से पहुंचने की कई शिकायतें मिलीं। सर्द मौसम में आउट स्क‌र्ट्स एरियॉज में वारदातों की संख्या बढ़ जाती है। पिछले दिनों ही डकैती, लूट की कई वारदातें भी हुई। ऐसे में आई नेक्स्ट ने रीडर्स की शिकायत और बढ़ती वारदातों पर लगाम लगाने में 'यूपी-100' के सपोर्ट न दे पाने की वजह जानी तो एक बड़ी फॉल्ट सामने आई। ये वजह है कनेक्टिविटी की। जब गाडि़यों को समय पर सूचना ही नहीं मिल पाएगी तो फिर कैसे 10 मिनट में पुलिस वारदात स्थल पर पहुंच सकेगी?

रिस्पॉन्स टाइम में देरी क्यों?

'यूपी-100' रिस्पांस टाइम में देरी की बड़ी वजह है इसकी कनेक्टिविटी। दरअसल, यह प्रॉब्लम 'यूपी-100' की गाडि़यों की इनके लखनऊ स्थित कंट्रोल रूम की स्थानीय कंट्रोल रूम से कनेक्टिविटी की है। इस वजह से 10 से 15 मिनट में पीडि़त तक पुलिस को पहुंचाने का दावा फेल होने लगा है। क्योंकि इस सेवा में भी टूजी व 3जी कनेक्टिविटी का लोचा है। टेक्निकल दिक्कतों के अलावा इन कारों के लिए ड्राइवर्स का न होना भी एक बड़ी प्रॉब्लम है। अभी यह गाडि़यां थाने के सिपाहियों के भरोसे ही हैं। जबकि ये सेवा शुरू करने से पहले इसको लेकर बड़े दावे किए गए थे।

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कानपुर में 'यूपी -100' एक नजर

- 44 इनोवा

- 16 बोलेरो

- हर गाड़ी में एक एमडीटी यानी मोबाइल डाटा टर्मिनल

- टर्मिनल चलाने के लिए एक बड़ी कंपनी का 3 जी कार्ड

- 80 हजार रुपए डिवाइस का खर्च

- पेट्रोकार्ड

- एक मोबाइल फोन

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लोकेशन की प्रॉब्लम-

- यूपी-100 की गाडि़यों की लखनऊ स्थित कंट्रोल रूम में कनेक्टिविटी के लिए हर गाड़ी में एमडीटी डिवाइस लगाई गई है।

- यह जीपीएस और सिम कार्ड के जरिए कंट्रोल रूम से गाड़ी को कनेक्ट करता है।

- यूपी-100 पर कोई शिकायत पहुंचती है तब जीपीएस लोकेशन के हिसाब से घटनास्थल से सबसे पास में जो यूपी-100 की गाड़ी होती है उसे भेज दिया जाता है।

- वहां पहुंच कर शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई इसकी शार्ट डिटेल भी कंट्रोल रूम पर एमडीटी के जरिए भेजनी होती है।

- एयरटेल कंपनी ने इस डिवाइस के लिए 2जी कार्ड दिया है इस वजह से कनेक्टिविटी और डाटा ट्रांसफर में काफी प्रॉब्लम आ रही है।

- गाड़ी की कंट्रोल रूम में लोकेशन भी नहीं मिल रही है।

- मोबाइल और एमडीटी के जरिए घटनास्थल के वीडियो या ऑडियो को भी रिकार्ड कर उसे पुलिस कर्मियों को कंट्रोल रूम से शेयर करना था लेकिन वह भी नहीं हो पा रहा है।

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हर रोज 400 शिकायतें

यूपी-100 के शुरू होने के बाद पुलिस लाइन में बने डॉयल-100 कंट्रोल रूम में अभी तो सरगर्मी नहीं दिखाई दे रही, लेकिन जल्द ही उसे भी लखनऊ से इंटीग्रेट कर दिया जाएगा। फिलहाल डायल-100 की गाडि़यों और बाइकों को थानों से ही अटैच करा गया है। वहीं 'यूपी-100' कंट्रोल रूम से हर रोज औसतन 400 शिकायतें कानपुर पुलिस को भेजी जा रही है। अधिकारियों को शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लेते रहने के भी आदेश दिए गए हैं।