कानपुर(ब्यूरो)। शहर में ग्रीनरी बढ़ाने और एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए मियावाकी पद्धति से लगाए गए पौधों का असर दिखने लगा है। अरबन जंगल तैयार करने के लिए विजय नगर स्थित चिल्ड्रेन पार्क समेत अन्य जगहों पर बीते दो सालों में लगभग डेढ़ लाख पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे अब पेड़ का रूप लेने लगे हैं और सिटी की आबोहवा भी बदल दी है। जहां पहले एक्यूआई(एयर क्वॉलिटी इंडेक्स)लेवल 300 से ज्यादा बना रहता था, वहीं कुछ महीनों से विजय नगर के आसपास एयर पॉल्यूशन में काफी हद तक गिरावट देखी गई है। इसकी सबसे मुख्य वजह है अरबन जंगल एरिया है। इसी को देखते हुए इस साल भी नगर निगम मियावाकी पद्धति से बड़ी संख्या में पौधे लगाने का प्लान बना रहा है।

उजाड़ पड़ा था पार्क
नगर निगम ने विजयनगर के उजड़े पड़े ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क में बीते साल कई ट्रक मलबा और गंदगी साफ करने के बाद मियावाकी पद्धति (जापानी पद्धति) से एक लाख पौधे लगाए थे, जो अब पेड़ का रूप लेने लगे हैं, वहीं, मसवानपुर के शनैश्वर मंदिर के पास 5400 और पनकी के आंबेडकर पार्क में 39 हजार पौधे लगवाए। जागेश्वर अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन पार्क में 15 हजार पौधे लगाए गए हैं। वहीं, जूही गढ़वा रतनशुक्ल में 80 हजार पौधे लगाए हैं। इसके अलावा भी कई जगह पौधे लगाए हैं।

मियावाकी ने बदली तस्वीर
मियावाकी पद्धति से लगाए गए पौधों से पार्कों समेत अन्य जगहों की तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है। इससे कई उजड़े पार्क हरे-भरे हो गए हैं। डिवाइडरों और खाली पड़ी जगहों पर भी पौधे लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा तमाम पार्कों से कब्जे हटाकर हराभरा करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। उद्यान अधिकारी का कहना है कि अगले साल तक ग्रीनरी लोगों को आकर्षित करेगी, साथ ही पॉल्यूशन पर भी काफी कंट्रोल हो सकेगा।

ये मुख्य पौधे
जामुन, मौलश्री, आडू, नाशपाती, शहतूत, करौंदा, मेहंदी, तुलसी, अर्जुन, पिलखन, शीशम, गोल्डमोहर, कैजुरिना, सुखचैन, गूलर, आम, बॉटल ब्रश, जेट्रोफा, बांस, कनैर, पारस पीपल, अशोक, अमरूद, नींबू, किन्नू, फाइकस, टिकोमा। चम्पा, कलैंड्रा आदि शामिल है।

यहां बनाई वाटिका
नवग्रह वाटिका कारगिल पार्क, पंचवटी व नक्षत्र वाटिका, परशुराम वाटिका आर्यनगर और नानाराव पार्क का भी निर्माण कराया गया है। इसके अलावा अमृत योजना के तहत आठ पार्कों का सुंदरीकरण कराया गया है।

क्या है मियावाकी पद्धति
छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेजी से बढ़ते हैं। गड्ढा खोदने के भी पहले तीन प्रजातियों की एक लिस्ट बनानी होती है। इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है। जिसके बाद एक गड्ढा बनाकर कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है, सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है। इसी को मियावाकी पद्धति कहा जाता है। जिसका आविष्कार मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने किया था।

फैक्ट प्वांट्स
- 1 लाख पौधे ट्रैफिक चिल्डे्रन पार्क में
- 5400 मसवानपुर के शनैश्वर मंदिर के पास
- 39 हजार पनकी के आंबेडकर पार्क में
- 15 हजार जागेश्वर अस्पताल परिसर में
- 80 हजार जूही गढ़वा रतनशुक्ल कॉलेज में

1.70 लाख पौधे इस बार का टारगेट
नगर निगम को 2022-2023 में सिटी के अलग अलग एरिया में 1.70 लाख पौधों को लगाने का टारगेट मिला हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा पौधे पनकी सरायमिता में लगाए जाएंगे। उद्यान अधिकारी के मुताबिक, जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।


पॉल्यूशन का मानक स्तर (पीएम2.5)
50 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक- गुड
100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक- सेटिस्फैक्टरी
200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक- मॉडरेट
300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक- पूअर
400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक- वेरी पूअर
400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ज्यादा- सीवियर
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विजय नगर एरिया में पीएम10 का स्तर

यूपीपीसीबी के आंकड़े
- जरीबचौकी-157.62 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
- पनकी साइट-1- 166.97 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
- शास्त्रीनगर- 133.72 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
- दादानगर- 313.10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
नोट: आंकड़े मार्च के हैं और पीएम 10 का स्तर माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में हैं
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कानपुर स्मार्ट सिटी लि। के सेंसर्स में स्थिति-
20 अप्रैल-70 माइक्रोग्राम प्रतिघनमीटर
19 अप्रैल- 52 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
18 अप्रैल- 31 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
17अप्रैल-78 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
16अप्रैल-86 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
15 अप्रैल- 49 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर

कोट
&&मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने के लिए सिटी के कई जगहों को चिन्हित किया गया है। पनकी सरायमीता में काफी संख्या में पौधा लगाने का कार्य होगा। इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाने का मकसद है कि सिटी का पॉल्यूशन कम कर वातावरण को शुद्ध किया जाए&य&य
डॉ। वीके सिंह, उद्यान अधीक्षक, नगर निगम