उन्होंने कहा कि चैनल पर जिस तरह से इस घटना को पेश किया गया, ये एक मीडिया कंपनी की सामाजिक ज़िम्मेदारी की प्रतिबद्धता दर्शाती है। मात्र एक साल पहले शुरू हुए संगत टीवी को चलाने के पीछे है संगत ट्रस्ट, जो ब्रिटेन में पंजीकृत ग़ैर-सरकारी संस्था है। जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में इस चैनल को तारीफ़ मिल रही है, उससे संस्था के सभी लोग, ख़ासकर ट्रस्टी रनबीर सिंह अटवाल बेहद खुश हैं।

दरअसल, इस चैनल पर ज़्यादातर पंजाबी भाषा में सिख धर्म से जुड़े कार्यक्रम पेश किए जाते हैं, लेकिन जिस तरह से चैनल ने ब्रिटेन में दंगों की लगातार टेलीविज़न कवरेज की, उससे इसे बहुत वाहवाही मिली है। कई अंतरराष्ट्रीय चैनलों जैसे बीबीसी, स्काई न्यूज़ और आईटीवी ने संगत टीवी की टीवी फ़ुटेज का इस्तेमाल किया है। ब्रिटेन में छपे कई लेखों में चैनल की तारीफ़ की गई है।

चैनल का सफ़र

तो कैसे हुआ ये सब? अटवाल बताते हैं कि जब लंदन और ब्रिटेन के दूसरे शहरों में लूटपाट की घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ, तो समुदाय के बड़े बुज़ुर्गों ने चैनल चलाने वालों से कहा कि उन्हें इस घटना पर रिपोर्ट करनी चाहिए।

अटवाल कहते हैं, “हमारे स्वयंसेवक बहुत उत्तेजित थे। उन्होंने कैमरे उठाए और जाकर कवरेज करना शुरू कर दिया। हमे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। लोगों को टीवी के माध्यम से जब सीधी जानकारी मिली तो उन्हें ये बात बहुत पसंद आई। हमारे स्वयंसेवकों ने रात भर लगातार काम किया.”

अटवाल कहते हैं कि चूँकि स्वयंसेवकों को धन का लालच नहीं था, उन्होंने जान की परवाह किए बिना लगातार काम किया। नहीं तो अगर कोई तन्ख्वाह पाने वाला कर्मचारी होता, तो उसे लगता कि बिना बात के क्यों ख़तरा मोल लिया जाए।

उनके मुताबिक़ चैनल की कोशिश थी कि सड़कों की तस्वीरें लोगों तक सीधी पहुँचाई जाए और समुदाय तक ये बात पहुँचाई जाए कि वो अपने धार्मिक स्थानों की रक्षा करें। उन्होंने कहा, “हमारे साउथहॉल में बचावकर्मी पूरी-पूरी रात वहाँ बैठे। इससे लुटेरों में संदेश गया कि लोग एक-जुट हैं और एक-दो दिनों में ही हालात में सुधार आ गया.”

चैनल के रिपोर्टरों ने पुलिसकर्मियों को लिफ़्ट भी दी ताकि वो प्रभावित जगहों तक जल्द पहुँच सकें। इस मदद की बदौलत दोषी पकड़े भी गए। अटवाल के मुताबिक़ चैनल की लगातार कवरेज से समुदाय को एकजुट करने में मदद मिली और अब इस धार्मिक चैनल पर समाचार को बाकायदा जगह देने का सोचा जा रहा है।

अटवाल कहते हैं, “चैनल की बदौलत आम लोगों में सिखों के प्रति प्यार पैदा हुआ है, जो प्यार हम 50 सालों में भी पैदा नहीं कर सके। चैनल को अब दस गुना से ज़्यादा लोगों ने देखना शुरू कर दिया है.”

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