6 अगस्त को हुआ था मर्डर

कल्याणपुर के आवास विकास में रहने वाले रिटायर्ड ऑर्डिनेंस ऑफिसर श्रवण कुमार 6 अगस्त को घर पर अकेले थे। उनकी पत्नी सुष्मिता रोज की तरह केंद्रीय विद्यालय पढ़ाने गई थीं। सुष्मिता लौटी तों श्रवण कुमार का खून से लथपथ शव पड़ा हुआ था। पुलिस स्पॉट से जूतों के निशान, बीयर की खाली कैन, खुरपी, कुल्हाड़ी आदि चीजें मिली थीं। एसएसपी यशस्वी यादव ने केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया था।

लोन अदा करने के लिए

क्राइम ब्रांच ने मोबाइल सर्विलांस से मिले क्लू के आधार पर माली ब्रजभूषण को उठाकर सख्ती से पूछताछ की, तो उसने सच्चाई उगल दी। माली ने बताया कि उसने सोसायटी से तीन लाख का लोन लिया था। पूरी सैलरी लोन अदा करने में चली जाती थी। जिससे छुटकारा पाने के लिए उसने राजू कबाड़ी और धोबी मिथलेश के साथ लूट की योजना बनाई। जिसके तहत वे लोग श्रवण कुमार के घर गए। श्रवण ने माली को देखकर गेट खोल दिया। जिसके बाद तीनों अन्दर चले गए। उन लोगों ने पानी पीने के बाद श्रवण पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। श्रवण के नीचे गिरते ही उनके गले से चेन और हाथ से दो अंगूठी उतार ली। वे अलमारी को खोल नहीं पाए और जल्दबाजी में वहां से भाग गए।

गुडवर्क पर सवाल?

कल्याणपुर पुलिस और क्राइम ब्रांच ने गुडवर्क कर गुपचुप तरीके से दो आरोपियों को जेल भेज दिया। उनको मीडिया के सामने भी नहीं लाया गया। उनकी गिरफ्तारी भी मीडिया वालों से छुपाई गई। देर शाम को कल्याणपुर एसओ आनन्द प्रकाश ने गुडवर्क की जानकारी मीडिया को दी। सवाल उठता है कि पुलिस ने इतनी जल्दबाजी क्यों की। उनको किस बात का डर था कि वे आरोपियों को मीडिया के सामने नहीं लाए। एसएसपी ने भी प्रेस क्रांफ्रेंस क्यों नहीं की।

हिस्ट्रीशीटर है धोबी

हत्या के आरोप में गिरफ्तार धोबी मिथलेश गोविन्दनगर का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर मारपीट, चोरी, लूट समेत कई मुकदमे दर्ज हैं। क्राइम ब्रांच को घटना स्थल से जूते और चप्पल के निशान मिले थे। जिसके सहारे वे कातिल तक पहुंच गए। उन्होंने माली को गिरफ्तार करने के बाद घर की तलाशी ली, तो वहां से वही जूते मिल गए।