-एक बार फिर हाथ से फिसल गई आवारा बाघिन

-कोहरे और ठंड की वजह से दो घंटे देरी से शुरू हुई कॉम्बिंग

-दो अधिकारी बीमार, कैम्प में अलाव की व्यवस्था की गई

KANPUR :

गंगा बैराज में कड़ाके की ठंड और कोहरे के बीच बाघिन को पकड़ना टेढ़ी खीर हो गया। वन विभाग और डब्ल्यूटीआई की टीम मंगलवार को बाघिन के पास तो पहुंच गई, लेकिन वो कोहरे की वजह से बाघिन पर निशाना नहीं लगा पाए और बाघिन उनके हाथ से निकल गई। अब टीम उसको फिर से घेरने की प्लानिंग कर रही है।

देरी से शुरू हुई कॉम्बिंग

गंगा बैराज में डेरा जमाए डब्ल्यूटीआई टीम ने तीन दिन पहले बाघिन को ट्रेस कर लिया था। टीम ने उसके करीब में दो मचान भी बना लिए हैं। टीम ने मंगलवार को उसको ट्रेंकुलाइज करने की तैयारी की थी। जिसके तहत वन विभाग और डब्ल्यूटीआई की छह टीम सुबह 7 बजे कैम्प पर पहुंच गई, लेकिन वहां पर घना कोहरा होने की वजह से टीम कॉम्बिंग शुरू नहीं कर पाई। करीब दो घंटे बाद कुछ कोहरा छटने पर टीम ने जंगल में जाने की हिम्मत जुटाई।

आधा किलोमीटर के दायरे में

गंगा कटरी में डब्ल्यूटीआई की टीम ने बाघिन को आधा किलोमीटर के एरिया में रोक रखा है। इस एरिया के बाहर टीम ने ब्0 जाल लगा दिए हैं, ताकि अगर बाघिन वहां से निकलने की कोशिश करें तो वो उसमें फंस जाए। डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक जंगल में जब टीमें घुसी तो वहां बाघिन थी। वो आहट पाकर इधर-उधर घूमने लगी। जिसे देख रेंजर ने उस पर निशाना साधने की कोशिश की, लेकिन वो कोहरे की वजह से कामयाब नहीं हो पाए। जिसके चलते रेंजर टीम समेत तेजी से मचान की ओर बढ़े, ताकि वो उस पर चढ़कर बाघिन को ट्रैंकुलाइज कर सकें। जब टीम मचान पर पहुंची, तो बाघिन गन की रेंज से दूर हो गई। जिससे वो उस पर निशाना नहीं लगा पाए। टीम तीन घंटे मचान पर बैठे बाघिन के गन की रेंज में आने का इंतजार करती रही, लेकिन वो आगे नहीं आई।

दो अधिकारियों को लगी ठंड

वन विभाग और डब्ल्यूटीआई टीम के लिए ये आपरेशन और टफ होता जा रहा है। ठंड ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है। बर्फीली हवाओं के बीच पानी में पैदल कॉम्बिंग करने से टीम के दो अधिकारी बीमार हो गए। उन्हें डॉक्टर ने आराम की सलाह दी है। जिसके बाद से कैम्प में अलाव जलाया जा रहा है।