बर्फ़ पिघलने के बाद से ही एक अस्पताल के प्रांगण में मौजूद कब्रों से शव निकालने का काम शुरु हो गया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक नाज़ियों के दौर के इन शवों में से कई की हड्डियां टूटी हुई हैं जो संभवत: अस्पताल के कर्मचारियों की ओर से पहुंचाई गई चोटों का नतीजा है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ये शव उन लोगों के हो सकते हैं जिन्हें मानसिक शारीरिक विकलांगता के चलते मार दिया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों ने ऐसे हज़ारों लोगों की हत्याएं की थीं जिन्हें वो शारीरिक रुप से अक्षम मानते थे। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है इन लोगों की मौत की सही वजह का पता लगाने से पहले कई तरह की जांच की जानी ज़रूरी हैं।

निकाले गए शवों की उम्र 14 से 90 साल के बीच है। शोधकर्ता अब इनके परिजनों और वंशजों को खोजने की प्रक्रिया में जुटे हैं। साथ ही उन लोगों की भी खोज की जा रही है जिनका ताल्लुक अस्पताल के कर्मचारियों से है।

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