सुनीता के पिता भारतीय मूल के हैं जबकि उनकी मां स्लोवानियाई मूल की हैं। सुनीता दूसरी बार अंतरिक्ष की यात्रा कर रही हैं, इससे पहले वो 2006 में अंतरिक्ष में जा चुकी है। पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सुनीता छह महीने तक स्पेस में रही थीं।

बेकोनुर से रवाना होने वाले अंतरिक्ष यान में सुनीता के साथ रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर यूरी मालेनशेनको और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के आकिहितो होशिदे जाएंगे। यूरी मालेनशेनको अपने साथ अपनी बेटी की एक गुड़िया भी अंतरिक्ष में ले जाएंगे।

46 साल की सुनीता अंतरिक्ष यात्रा एक्सपिडिशन-32 के चालक दल में एक फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर जाएंगी और अंतरिक्ष केंद्र पहुंचने पर अंतरिक्ष यात्रा एक्सपिडिशन-33 की कमांडर होंगी। नासा ने पिछले साल अपनी अंतरिक्ष शटल परियोजना बंद कर दी थी जिसके बाद से अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए रूसी सोयूज़ रॉकेट ही फिलहाल सबसे प्रमुख साधन है।

सुनीता का इस बारे में कहना था, ''मुझे पूरी आशा है कि ये यात्रा बिना किसी परेशानी की होगी। मेरी टीम बहुत अच्छी है और हम लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। इसलिए इस यात्रा में सब कुछ सामान्य होना चाहिए.''

कार्यक्रम

नासा के मुताबिक, सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगियों का अंतरिक्ष केंद्र में कार्यक्रम बहुत व्यस्त होगा। इनमें दो स्पेस वॉक, जापानी और अमरीकी वाणिज्यिक और रूसी आपूर्ति यानों का शोध शामिल होगा।

सुनीता और उनकी टीम नवंबर के मध्य में धरती पर वापस लौटेगी। 188 दिनों की अब तक की सबसे लंबी अंतरिक्ष यात्रा, खुले अंतरिक्ष में चार बार बाहर निकलकर चहल-क़दमी और इस दौरान अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर शून्य में तैरते हुए बिताए 29 घंटे और 17 मिनट- ये सारी उपलब्धियां सुनीता अपने नाम पहले ही दर्ज करा चुकी हैं।

सुनीता का चयन 1998 में नासा ने किया था। उन्हें एक्सपिडिशन-14 की सदस्य के तौर पर 2006 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में काम सौंपा गया था और बाद में वह एक्सपिडिशन-15 से जुड़ गईं। वह अंतरिक्ष में इतना समय बिताने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। जबकि अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। उनसे पहले दिवंगत कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी थीं।

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