कानपुर (ब्यूरो) दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम फूलबाग स्थित नगर निगम के एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) पहुुंची। सेंटर को एनजीओ के माध्यम से चलाया जाता है। यहां के मैनेजर सोनू ने बताया कि यहां पर पिटबूल और रॉटविलर जैसे खूंखार डॉग्स को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही कभी इन डॉग्स को यहां पर लाकर रखा गया है। जबकि नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि जब भी किसी पिटबुल और रॉटविलर को जब्त किया जाता है तो यहीं रखा जाता है? ऐसे में सवाल उठता है कि नगर निगम झूठे दावे क्यों कर रहा है? अधिकारियों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

डेली 40 डॉग्स का स्टरलाइजेशन
एबीसी सेंटर के मैनेजर सोनू ने बताया कि यहां पर सिर्फ स्ट्रीट डॉग्स के लिए जगह बनाई गई है। रोजाना औसतन चालीस स्ट्रीट डॉग्स का स्टरलाइजेशन किया जाता है। सर्जरी के बाद तीन से चार दिन में उसी जगह टीम डॉग को वापस छोड़ देती है। एक समय पर यहां पर 100 से अधिक से डॉग्स रहते हैं।

लोख खुद से छोड़ रहे
शहर में लगातार कई घटनाओं के बाद नगर निगम ने सितंबर के आखिरी हफ्ते में पिटबुल और रॉटविलर पालने पर बैन लगा दिया था। साथ ही पकड़े जाने पर पांच हजार रुपए जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के नियम भी सख्त किए थे। हालांकि बाद में डॉग्स को कुछ शर्तो पर रखने का आदेश दिया गया था। नगर निगम की सख्ती और इन नस्ल के डॉग के हमले के डर के चलते मालिक अब पिटबुल और रॉटविलर को घर से हटा रहे हैं। चुपचाप सड़कों पर दूर ले जाकर इनको छोड़ रहे हैं, अब तक शहर में सिर्फ 1256 डॉग्स का रजिस्ट्रेशन किया गया है।

क्या है डब्लूएचओ की गाइडलाइन
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की गाइडलाइन के तहत सिटी और डॉग की आबादी के बीच एक निश्चित रेशियो होना चाहिए। कानपुर की जनसंख्या 40 लाख के आसपास है, ऐसे में सिटी में स्ट्रीट डॉग की संख्या दो से तीन फीसदी तक होनी चाहिए, यानि एक लाख के आसपास होनी चाहिए। हालांकि, इस समय इनकी संख्या कई गुना ज्यादा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए और इनकी आबादी को बढऩे से रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

ये बड़े हादसे हो चुके
-लखनऊ में अपनी मालकिन को ही काटकर मार डाला।
-कानपुर के सरसैया घाट पर गाय का मुंह नोच डाला।
-ओ-ब्लॉक किदवई नगर में एक युवक पर हमला किया।
-लाजपत नगर में नौवीं के छात्र को रॉटविलर ने घायल किया

कोट
शहर में जब पिटबुल, रॉटविलर या अन्य किसी खूंखार डॉग को जब्त किया जाता है तो उसे फूलबाग में बने एबीसी सेंटर में रखा जाता है।
आरके निरंजन, पशु चिकित्सक अधिकारी, नगर निगम