-नाइटविजन कैमरे में कैद हुई ताजा तस्वीर जारी होने के बाद वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने किया खुलासा

-बाघिन को नए साल में घर यानि दुधवा नेशनल पार्क पहुंचाने के लिए उसको पकड़ने के लिए लगी टीमों ने बनाया स्पेशल प्लान

KANPUR: लखीमपुरखीरी से गंगा बैराज के जंगलों में आवारा बाघ नहीं बल्कि बाघिन पहुंची है। पिछले म्7 दिनों के बाद उसकी नाइटविजन कैमरे में कैद हुई ताजा तस्वीर को देखकर वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने इस बात का खुलासा कर सबको चौका दिया है। इसी वजह से उसको पकड़ने के लिए बनाए गए सभी प्लान फेल हुए। क्योंकि अब तक उसको बाघ माना जा रहा था, लेकिन ये मालूम होने के बाद कि वो बाघिन है। डब्ल्यूटीआई, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग की टीमों ने जो 'स्पेशल' प्लान बनाया है उसके तहत काम करके टीमें उसको फ्क् जनवरी तक हर हाल में पकड़ने का दावा कर रही हैं। जिससे नव वर्ष बाघिन अपने 'घर' में मना सके।

म्7 दिन क्यों लग गए?

करीब म्7 दिन पहले लखीमपुर खीरी से आवारा बाघिन शहर पहुंची थीं, लेकिन उस समय जितनी टीमें उसको खोजने के लिए लगाई गई थी, उनमें से किसी को ये नहीं पता था कि वो बाघिन है। हर किसी को यही मालूम था कि वो बाघ है। डब्ल्यूटीआई के सीनियर चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक दुधवा नेशनल पार्क में जब गिनती होती है तब ये मालूम चलता है कि कितने बाघ और कितनी बाघिन वहां मौजूद हैं? लेकिन उसके बाद अभी तक कोई ऐसी डिवाइस वहां मौजूद नहीं है जिससे ये पता लगाया जा सके कि वहां क्या स्थिति है? ज्यादातर मामलों में बाघ ही वहां से भागे हैं ऐसे में इस बार भी यही अंदाजा था कि वो बाघ है, लेकिन कुछ घंटों पहले जो ताजा तस्वीर नाइटविजन कैमरे में कैद हुई है उससे क्लीयर हुआ कि वो बाघिन है। ऐसे में उसको पकड़ने के लिए फ्ख् एक्सपर्ट समेत स्पेशल टीमें लगाई गई हैं।

एक किलोमीटर के एरिया में

स्पेशल प्लान के तहत उसको चारों ओर से घेर लिया गया है। घेरने के बाद अब ये साफ हो गया है कि बाघिन चंपापुरवा, नत्थापुरवा के बीच के करीब एक किलोमीटर के एरिया में है। अभी तक उसके रहने का एक निर्धारित एरिया ही डिसाइड नहीं था। लेकिन अब वो एरिया निर्धारित हो चुका है जिसके उन चारों कोनों में म्भ् जाल बिछा दिए गए हैं। ब् स्पेशल केज लगा दिए गए हैं। दुधवा नेशनल पार्क से लाई गई कुछ स्पेशल इलेक्ट्रानिक डिवाइस लगाई गई हैं। जिनसे बच पाना उसके लिए नामुमकिन है। दुधवा नेशनल पार्क से आए रेंजर्स भी उसको पकड़ने के लिए लग गए हैं।

ताकि वो 'घर' में मनाए न्यू ईयर

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सीनियर चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक बाघिन को पकड़ने के लिए लगीं टीमों की पूरी कोशिश है कि हर हाल में फ्क् जनवरी की सुबह तक बाघिन पकड़ ली जाए। जिसके बाद उसको तुरंत लखीमपुर लेकर रवाना हो सके और नए साल का जश्न दुधवा नेशनल पार्क में मनाया जा सके। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बाघिन काफी शातिर है। इस वजह से उसने टीमों को कई बार चकमा दिया है।

कोहरे में भी की कॉम्बिंग

डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि सैटरडे को जबरदस्त कोहरा होने के बाद बावजूद भी टीमों ने कई घंटे कॉम्बिंग की। बाघिन ऐसी जगह पर है जहां की ट्रैक्टर से ही कॉम्बिंग की जा सकती है। ऐसे में ट्रैक्टर में जाल बांधकर टीमों ने कोहरे में भी कई घंटे कॉम्बिंग की। जिस जगह पर बाघिन ने पड़वे को मारकर खाया। उस जगह पर आई नेक्स्ट टीम भी कॉम्बिंग टीम के साथ पहुंची। वहां बाघिन के ताजा पग मार्क भी मिले। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बाघिन जहां शिकार करता है वहां उसको खाता नहीं है। और जहां वो शिकार को खाता है। वहां रहता नहीं है। ऐसे में तीन जगहों पर काफी रिसर्च करने के बाद उसको पकड़ने के लिए रणनीति बनाई गई है।

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नाइट विजन कैमरे में कैद हुई ताजा तस्वीर के बाद ये साफ हुआ है कि लखीमपुरखीरी से गंगा बैराज के जंगलों में बाघिन पहुंची है। हमारी पूरी कोशिश है कि फ्क् जनवरी तक उसको पकड़कर दुधवा नेशनल पार्क ले जा सकें।

डॉ। सौरभ सिंघई, सीनियर चिकित्सक, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया