कानपुर (ब्यूरो) पहला केस : मुरादाबाद के कांठ थानाक्षेत्र के अकबरपुर चेंदरी निवासी एक कांस्टेबिल ने बताया कि वह पॉलीटेक्निक कर चुका था। एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा था। दो साल नौकरी करने के बाद अचानक न जाने क्या सूझा कि देश सेवा करने की ललक जाग उठी। मिलिट्री में जा नहीं सकते थे लिहाजा यूपी पुलिस की भर्ती देख फिजिकल और एग्जाम दिया और पुलिस में भर्ती हो गए। पहली पोस्टिंग चौबेपुर में हुई और बिकरू कांड का साक्षी बना। गोली लगी घायल हुआ और ठीक होने के बाद नौकरी पर आने लगा। ड्यूटी के दौरान लापरवाही का आरोप लगा और लाइन हाजिर हो गए। टेक्निकल सिपाही इन दिनों पुलिस लाइन में है।

दूसरा केस : अलीगढ़ निवासी रिटायर्ड सीओ का बेटा बीटेक करने के बाद नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा था। दो साल पहले पिता के दबाव में नौकरी छोड़ कर सब इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वाइन कर ली। ट्रेनिंग के बाद जब कानपुर में पोस्टिंग हुई तो सोचा कि सच्चाई और ईमानदारी से पिता की तरह पूरी नौकरी करूंगा। सब इंस्पेक्टर ने बताया कि उसे नहीं पता था कि पुलिस की नौकरी में इतना झमेला होता है। कमिश्नरेट की एक विंग में काम करने के दौरान पहले लाइन हाजिर और उसके बाद निलंबन हो गया। अब पिता की सलाह मानकर बहाली के लिए लखनऊ, अलीगढ़ और कानपुर के बीच चक्कर लगा रहे हैैं।

कानपुर में 132 टेक्निकल पुलिस कर्मी
ये दो मामले तो केवल उदाहरण हैैं। हालात ये हैैं कि कमिश्नरेट में 132 ऐसे पुलिसकर्मी हैैं, जिनके पास टेक्निकल डिप्लोमा या डिग्री है। इनमें 11 इंस्पेक्टर, 44 सब इंस्पेक्टर और 67 सिपाही हैैं। इन लोगों को टेक्निकल पोस्टिंग भी दी गई है लेकिन इस पोस्टिंग में काम करने के दौरान ये पुलिसकर्मी अंजान भय से ग्रसित रहते हैैं। सूत्रों की माने तो लगातार हो रही कार्रवाई की वजह से पुलिसकर्मी दहशत हैैं। इन्हें डर बना रहता है कि कहीं कोई कार्रवाई न हो जाए।

घुसना पड़ता है अपराधियों के बीच
कमिश्नरेट की तमाम विंग में काम कर रहे पुलिसकर्मियों की माने तो कभी एसीपी का तो कभी इंस्पेक्टर का गुडवर्क कराने का दबाव रहता है। इसकी वजह से नेटवर्क बनाना पड़ता है। इस नेटवर्क को बनाने के लिए जेब से रुपए तो खर्च होते ही हैैं, साथ ही कई बार अपराधियों से बातचीत करनी पड़ती है। जो इनफार्मर होता है वह क्रिमिनल भी हो सकता है। यही वजह है तमाम विंग में तैनात पुलिसकर्मी डिप्रेशन में जा रहे हैैं।

'' जो भी टेक्निकल पुलिसकर्मी हैैं। उन्हेें साइबर सेल या साइबर अपराधियों की धरपकड़ के लिए लगाया जा रहा है। कार्रवाई होने के बाद समय से जांच के बाद बहाली भी हो जाती है.ÓÓ
बीपी जोगदण्ड, पुलिस कमिश्नर