लखनऊ (ब्यूरो)। मरीजों को डॉक्टर की सलाह के लिए अस्पताल तक की दौड़ लगाने से बचाने में ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी वरदान साबित हो रही है। बड़ी संख्या में लोग ई-संजीवनी के माध्यम से सलाह हासिल कर रहे हैं। डिप्टी सीएम ने इस सेवा को और रफ्तार देने का फैसला किया है। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों को योजना के प्रचार-प्रसार बढ़ाने के निर्देश दिए हैं ताकि मरीजों को आसानी से विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिल सके।

55 लाख से अधिक को मिला लाभ

यूपी में अब तक 55 लाख से अधिक मरीजों को ई-संजीवनी टेली कंसल्टेंसी सेवा के माध्यम से इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा चुकी है। जरूरतमंद मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। मौजूदा समय में प्रदेश में 16665 हब एवं स्पोक के रूप में पंजीकृत हैं। जिसमें 12229 स्पोक्स हैं, जबकि 4327 हब कम स्पोक्स ओर 29 हब हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि स्पोक्स में सीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आते हैं, जो कि बड़े सेंटर से जुड़े होते हैं। बड़े सेंटर हब होते हैं। स्पोक्स सेंटर में जिन मरीजों को सलाह दे पाना संभव नहीं होता है, उन्हें हब में बैठे डॉक्टर सलाह देते हैं। स्पोक्स यानी छोटे सेंटर पर मरीजों को दवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं। ई-संजीवनी की लोकप्रियता व भरोसा लगातार बढ़ रहा है।

तीन करोड़ मरीजों की बनी आभा आईडी

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि आयुष्मान डिजिटल मिशन के तहत प्रदेश के 3 करोड़ से अधिक लोगों की आभा आईडी बनाई गई है। 2 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड बनाए गए हैं। स्कैन एंड शेयर मॉड्यूल्स के तहत 2 लाख टोकन जारी किए जा चुके हैं। हेल्थ सिस्टम को डिजिटल का रूप देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे मरीजों को कम समय में इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इससे अधिक से अधिक मरीजों को कम समय में उपचार मिल सकेगा।