लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में इन दिनों आई फ्लू काफी तेजी से फैला रहा है, जिसके चलते विभिन्न सरकारी अस्पतालों की नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में इन मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। आलम यह है कि ओपीडी में 60-80 फीसदी मामले आई फ्लू के ही आ रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बारिश के मौसम में नमी के चलते आई फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी होती है। ऐसे में लोगों को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बिना डॉक्टर से परामर्श लिए कोई भी आई ड्राप या दवा का यूज न करें। समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। सरकार की तरफ से भी अस्पतालों को अलर्ट करते हुए जरूरी एहतियात बरतने और दवाओं की पुख्ता व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं।

डबल हो गये आई फ्लू के मामले

केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के डॉ। अरुण शर्मा ने बताया कि बारिश के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ने के कारण आई फ्लू के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। यह वायरस और बैक्टीरिया दोनों की वजह से हो सकता है। ऐसे में आंख में कोई समस्या होने पर सबसे पहले आंखों के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। पहले ओपीडी में ऐसे 10-15 ही मामले आते थे, जो अब बढ़कर 25-30 मरीज तक हो गये हैं। ऐसे में लोगों को अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

बच्चों से फैल रहा ज्यादा

बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की डॉ। कुसुम कला ने बताया कि ओपीडी में इस समय आई फ्लू के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं। लोगों की आंखों में लाली, पानी आना, खुजली होना जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ओपीडी में रोजाना करीब 80 फीसदी तक मामले आई फ्लू के आ रहे हैं, जिसमें बच्चों से लेकर बड़े तक सब शामिल हैं। यह बच्चों में तेजी से फैल रहा है, क्योंकि बच्चे स्कूल जा रहे हैं। अगर वहां किसी को इंफेक्शन है तो उससे यह दूसरों में फैल रहा है। बच्चे बार-बार आंख मलते हैं और पानी आने पर उसे हाथों से ही साफ कर देते हैं, जो इसके फैलने की वजह बनता है।

बिना सलाह कोई आई ड्राप या दवा न लें

सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के डॉ। एसके तिवारी ने बताया कि ओपीडी में अगर 100 मरीज आ रहे हैं तो उसमें 70 के करीब मरीज आई फ्लू के ही होते हैं। इसमें स्कूल, ऑफिस जाने वालों के अलावा पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। आंख में कोई भी समस्या होने पर खुद से कोई भी आई ड्राप या मेडिसिन इस्तेमाल न करें। इंफेक्शन कितना फैला है उसी के आधार पर आई ड्राप और दवादी जाती है। किसी में आई ड्राप तो किसी में आई ड्राप और दवा, दोनों देनी पड़ती है। अस्पताल में सभी दवाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में अगर आंखों में कोई समस्या हो तो आंखों को ठंडे पानी से दिन में 4-5 धोएं। इससे काफी राहत मिलेगी। इंफेक्शन 7-10 दिन में ठीक हो जाता है।

बच्चों का रखें विशेष ध्यान

लोहिया संस्थान के नेत्र रोग विभाग की डॉ। शिखा अग्रवाल ने बताया कि आई फ्लू 5-50 वर्ष के बीच के लोगों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। ओपीडी में रोजाना 50 के करीब मरीज आ रहे हैं। इसमें बच्चे भी शामिल हैं। ऐसे में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चों का रूमाल और तौलिया अलग रखें, आंखों में काला चश्मा लगाएं, अगर किसी को इंफेक्शन है तो उससे दूरी बनाकर रखें, हाथों को अच्छे से साफ करें, अगर सेनेटाइजर का यूज कर रहे हैं तो उसे लगाने के बाद आंखों को न छुएं।

आई फ्लू के लक्षण

- आंखें लाल होकर सूजना

- आंखों से खून भी आ सकता है

- खुजली, दर्द और गड़न महसूस होना

- आंखों से लगातार पानी आना

- पलकों पर सूजन व खुजली होना

- धुंधला नजर आना

- पलकें आपस में चिपक जाना

- तेज रोशनी खराब लगना

इन बातों का रखें ख्याल

- आंखों को गंदे हाथों से न छुएं

- बच्चों को बार-बार आंखों को मलने व छूने से रोकें

- आसपास किसी को आई फ्लू होने की आशंका पर आंखों को साफ पानी से धोएं

- ठंडे पानी से सिकाई करें

- काला चश्मा लगायें

- अगर किसी को घर में आई फ्लू की दवा डालते हैं तो उसके बाद अपने हाथों को साबुन से धोएं