लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने बुधवार को अपना 66वां दीक्षांत समारोह मनाया। समारोह में 107 मेधावियों को 193 मेडल दिए गए। वहीं, 43 हजार 398 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। एलयू के दीक्षांत समारोह में मेडल में गर्ल्स मैजिक दिखा। 107 मेधावी स्टूडेंट्स में से 79 छात्राओं ने पदक पर कब्जा जमाया। वहीं, 28 छात्रों को भी मेडल मिले। समारोह में सबसे अधिक मेडल अपराजिता सिंह को मिले। एमए एआईएच की स्टूडेंट रहीं अपराजिता को 8 गोल्ड मेडल और एक बुक प्राइज मिला है।

श्रेयांश और इफत को 8 गोल्ड

एमएससी मैथ्स व सांख्यिकी के स्टूडेंट श्रेयांश शुक्ला को आठ गोल्ड व एक ब्रोन्ज मेडल व बुक प्राइज दिया गया। शिया पीजी कॉलेज से एलएलबी थर्ड ईयर की पढ़ाई करने वाली इफत खान को आठ गोल्ड मेडल दिए गए। वहीं, अमन स्वर्णकार को भी छह गोल्ड मेडल से नवाजा गया। आयुषी मेहरा को पांच गोल्ड मेडल, अनुष्का सिंह को पांच गोल्ड मेडल मुस्कान कुमारी को पांच गोल्ड मेडल मिले। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने की। बतौर मुख्य अतिथि आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक पद्मश्री प्रो। बलराम भार्गव और विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी शामिल हुईं।

दुनियाभर में 6 में से 1 डॉक्टर भारतीय

मुख्य अतिथि ने सभी डिग्री धारकों और मेधावियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि हम आजादी के 75वें वर्ष में हैं और यह हमारी आजादी का अमृत काल है। आईटी और मोबाइल सेक्टर, क्रिकेट और बॉलीवुड के अलावा देश की रक्षा सेवाओं ने देश को स्थिरता दी है। उन्होंने देश के अंतरिक्ष और परमाणु पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में 6 में से 1 डॉक्टर भारतीय है। इसी तरह पूरी दुनिया में 5 में से 1 नर्स भारतीय है और भारत 65 फीसदी जेनेरिक दवा और लगभग 60 फीसदी वैक्सीन का निर्माता है। उन्होंने समय की पाबंदी, व्यावसायिक ज्ञान और योग्यता, पेशे में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी, सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ पौधे लगाना के प्रति भी स्टूडेंट्स को प्रेरित किया।

छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया

कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि एलयू बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में शुरू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसके छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आजादी के समय एलयू में 3,893 छात्र थे और इसका बजट 23 लाख रुपये था। आज इस परिसर में लगभग बीस हजार छात्र छात्राएं पढ़ रही हैं। हमारी शिक्षा का उद्देश्य स्टूडेंट्स को बेहतर इंसान और अधिक उपयोगी नागरिक बनाना है। संयम, साहस, न्याय और विवेक प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 21-ए के अनुसार शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है ताकि छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिल सके। मानवाधिकारों और सामाजिक लाभों की सुरक्षा के लिए उच्च शिक्षा में शिक्षा के अधिकार का विस्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा साक्षरता स्तर, जो 2001 में 65 प्रतिशत था, वह 2011 में बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया। लैंगिक असंतुलन के बावजूद, यह वृद्धि जारी है और आगे भी तेजी से बढ़ रही है।

पॉलिटिक्स करनी है तो समाज की बुराईयों पर करें

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 15 दिन पहले कई छात्र उनसे मिलने राजभवन आये थे। उन्होंने पूछा कि छात्र यूनिवर्सिटी में हड़ताल क्यों कर रहे हैं। छात्रों ने बताया कि हड़ताल वही छात्र करते हैं जो राजनेता बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स करनी है तो समाज में बाल-विवाह जैसी समस्याओं के खिलाफ हड़ताल व रैली करें। इससे विद्यार्थियों को पहचान मिलेगी। उन्होंने छात्रों से सकारात्मक सोच रखने और विश्वविद्यालय में हड़ताल न करने तथा समाज की भलाई में योगदान देने का भी आग्रह किया। इस दौरान उन्होंने कुछ वंचित बच्चों को उपहार और किताबें भेंट कीं। इसके अलावा, उन्होंने कुछ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को किट उपहार में दीं।

ब्रांच नहीं काबिलियत से मिलती है सफलता

मानद उपाधि से नवाजे गए रेडिफ्यूजन के प्रबंध निदेशक डॉ। संदीप गोयल ने स्टूडेंट्स को काबिलियत बनने के प्रति प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि जब मैंने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस दिया था, उस वक्त मुझे मैथ्स में 150 में से महज 60 अंक मिले थे। मेरे पेरेंट्स मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे। मेरे एक प्रोफेसर ने मेरे पेरेंट्स को मेरे इंग्लिश के अंक दिखाते हुए कहा कि मैं जो चाहता हूं मुझे पढ़ने दें। मैंने ह््यूमैनिटीज की तरफ रुख किया और आज उसी में मानद उपाधि मिल रही है। एडवरटाइजमेंट जिसे लोग नॉन सीरियस फील्ड मानते थे, आज मैं उसमें बेहतर कर रहा हूं। ऐसे में मैं स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स से कहूंगा कि बच्चा जो चाहता है उसे करने दें। काबिलियत से सफलता मिलती है। स्टूडेंट्स बड़े सपने देखें और उसको पूरा करने के लिए रोडमैप तैयार करें।

विजेताओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है

विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी ने सभी पदक विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विवि और छात्र दोनों के लिए एक उत्सव है। एलयू के पास बहुत मजबूत पूर्व छात्र आधार है। इसके पूर्व छात्र दुनिया भर में अलग-अलग क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं। पदक विजेताओं और डिग्री धारकों की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है, क्योंकि अब उन्हें समाज की भलाई के लिए अच्छा योगदान देना होगा। सकारात्मक सोच के साथ अपने प्रयासों में आगे बढ़ने का आग्रह किया।

भारत में हैं 907 यूनिवर्सिटीज

अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण-2018 के अनुसार, भारत में 907 यूनिवर्सिटी और 50 हजार उच्च शिक्षा संस्थान हैं, जिनमें 3.3 करोड़ छात्र नामांकित हैं। भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। भारत में 79 हजार विदेशी छात्र हैं जबकि सात लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के अनुसार, भारत में कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की जबरदस्त क्षमता है। 21वीं सदी में दुनिया लगातार बेहतर जगह की ओर बढ़ रही है। लखनऊ यूनिवर्सिटी पाठ्यक्रम में सुधार के माध्यम से नेटवर्क और दूरस्थ शिक्षा को शामिल करके शिक्षा, अनुसंधान, वैज्ञानिक स्वभाव, व्यावसायीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी और अनुप्रयोग की प्रासंगिकता में सुधार कर सकता है।

संविधान स्थल का हुआ अनावरण

एलयू में आर्ट्स फैकल्टी में कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 100 फीट ऊंचे पोल पर राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराया और फिर नव स्थापित संविधान स्थल का उद्घाटन किया। भारत के संविधान निर्माता डॉ। बीआर अम्बेडकर की पुण्य तिथि पर उन्होंने डॉ। बीआर अम्बेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की और पुष्पांजलि अर्पित की। कुलपति प्रो। आलोक कुमार राय ने बताया कि एलयू के प्रयासों के दो मुख्य बिंदु रहे हैं। एक ओर, समाज के हर वर्ग को उत्कृष्ट शोध आधारित शिक्षा उपलब्ध हो, तो दूसरी ओर शताब्दी विश्वविद्यालय को दुनिया भर में इसकी उम्र के लिए कम और देश की उपलब्धियों और योगदान के लिए अधिक पहचाना जाए।

एक नजर

कुल डिग्रियां पाने वाले स्टूडेंट्स 43398

कुल पदक 193

गोल्ड मेडल 173

सिल्वर मेडल 2

ब्रोन्ज मेडल 10

बुक प्राइज 8

मेधावियों की संख्या 107

छात्राएं 79

छात्र 28

प्रमुख मेडल पाने वाले स्टूडेंट्स

चांसलर गोल्ड मेडल: ऋचा सामंत

चांसलर सिल्वर मेडल: शिवी गौतम

चक्रवर्ती गोल्ड मेडल: स्वराज शुक्ला

वाइस चांसलर गोल्ड मेडल: भाविनी बहुगुणा

वीसी गोल्ड मेडल इन उर्दू: गौसिया गुफरान

चांसलर ब्रोन्ज: अरीशा खान, अमित कुमार, अरुण कुमार सिंह, चित्रांगदर कश्यप, जूही पटेल, माही गुप्ता, मान्या श्रीवास्तव, प्रियांशु निगम, सिमरन कौर, अरविंद सिंह

सौ पर्सेंट देना बहुत जरूरी

लाइफ बहुत ही अनसर्टेन रही है। करियर में क्या करना है यह गोल ग्रुप स्टडी के बाद आया। पिता एक प्राइवेट कंपनी में एचआर हैं। मेरे अलावा एक छोटा भाई है। पढ़ाई के लिए माता-पिता ने कभी दबाव नहीं बनाया। इतने सारे मेडल पाकर बहुत खुश हूं। कॉमर्स से पढ़ाई की तो सीए बनना चाहती थी। इंटर पास करने के पर लगा इतिहास में रुचि है तो फिर ऑर्ट्स से पढ़ाई की। तब टीचर बनने का सपना था। शुरू से पढ़ाई में अच्छी थी तो चीजों को बेहतर समझा लेती थी। प्रोफेसर बनने का सोच रही थी, घर में दादाजी भी आईजी थे। बस, आईएएस करने का मन बनाया और पूरी क्षमता के साथ पढ़ने लगी। पहले नेट जेआरएफ देना है, उसके बाद आईएएस का एग्जाम दूंगी। मैं यही कहूंगी कि पढ़ाई को हल्के में न लें। पॉजिटिव रहें, मन लगाकर पढ़ें। अपना 100 परसेंट देंगे तभी 100 परसेंट मिलेगा, वरना लाइन में बहुत से लोग लगे हैं।

अपराजिता सिंह, नौ मेडल-आठ गोल्ड, एक बुक प्राइज

मेडल पाना सपने सा लग रहा है। पिता सीजीडीए में सीनियर अकाउंट अफसर हैं। माता हाउस वाइफ हैं। अपने छोटे-भाई बहन को पढ़ाते-पढ़ाते प्रोफेसर बनने का लक्ष्य तय किया। घर से पढ़ाई के लिए हमेशा सपोर्ट मिला। यह सफर आसान नहीं था। बच्चों को सही रास्ता दिखाना और सही तरीके से पढ़ाना ही मेरा सपना है। बच्चों से यही कहूंगा कि क्लास में जो पढ़ाया जाये उसका ढंग से घर पर रिवीजन जरूर करें। लाइब्रेरी का पूरा इस्तेमाल करें। दोस्तों की जगह लाइब्रेरी की किताबें अच्छी दोस्त बनेंगी, जिससे जीवन आसान बनेगा। किसी भी काम को करते वक्त पीछे न हटे, हैबिट टू से नो की आदत डालें। यह पूरे साल काम आएगी।

श्रेयांश शुक्ला, आठ गोल्ड, एक ब्रोन्ज मेडल

पिता एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग की जॉब करते हैं। मम्मी पहले टीचर थी तो घर में पढ़ाई का पूरा माहौल मिलता था। पिता ने कभी पैसे की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्होंने पढ़ाई को लेकर हमेशा सपोर्ट किया। स्कॉलरशिप पाकर पिता का हाथ बंटाने से मुझे भी खुशी मिली। आगे एडवोकेट बनना है। समाज में गरीब लोगों की मदद करना चाहती हूं। अच्छा एडवोकेट बनकर लोगों को न्याय दिलाने का काम करूंगी। पढ़ाई के लिए जरूरी है कि रेगुलर पढ़ें और नोट्स जरूर बनाएं। स्वयं के नोट्स बनाकर पढ़ाई करने पर असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ेगा कभी।

इफत खान, 8 गोल्ड मेडल

हेल्थ इंडस्ट्री में कमाना है नाम

बायोकेमिस्ट्री से एमएससी करने के बाद पीएचडी करके हेल्थ सेक्टर में ड्रग डिस्कवरी पर काम करना चाहती हूं। मेरा सीडीआरआई में प्रॉजेक्ट असोसिएट्स के पद पर चयन हुआ है। पीएचडी करके ड्रग डिस्कवरी या वैक्सीन पर रिसर्च करके प्रो। बलराम भार्गव की तरह देश का नाम रोशन करना चाहती हूं। अपनी सफलता का श्रेय पिता सागर मेहदी, जो सीनियर एडवोकेट हैं और मेरी मां रूफी मेहदी को दूंगी। उन्होंने हमेशा भरोसा बनाए रखा।

लिबा मेहदी, प्रो। जीजी सांवल गोल्ड मेडल

मंजिल नहीं सफर को एंजॉय करना सीखिए

मैंने एलयू से मास्टर इन सोशल वर्क किया है। मेरे पिता राम किशोर कश्यप बिजली विभाग में टेक्निकल असोसिएट के पद पर हैं। मां बीना कश्यप हाउस वाइफ हैं। मेरे पिता मुझे इंजीनियरिंग कराना चाहते थे, लेकिन मैं एनजीओ में काम करना चाहती थी, क्योंकि मुझे यूथ के साथ जुड़कर काम करना था। फिलहाल दिल्ली बेस एक एनजीओ से जुड़कर काम कर रही हूं। सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एंड राइट्स पर आगे काम करना चाहती हूं। हर स्टूडेंट्स को अपने मन का करना चाहिए, भले ही थोड़ी मुश्किल आ सकती है लेकिन सफर को आप एंजॉय कर सकेंगे।

श्रिया किशोर कश्यप, श्री चौधरी बाबू राम नंबरदार व श्रीमती तुलसा देवी मेमोरियल गोल्ड मेडल

पिता को डेडीकेट करूंगी मेडल

मेरे पिता का देहांत एक साल पहले हो गया था। मां सुधा गुप्ता और मेरे भाई किराना शॉप चलाते हैं। कभी कभी मैं भी उनको सपोर्ट करती हूं। इन सबके साथ प्रॉपर क्लासेज भी करती थी। एलएलबी में मुझे क्रिमिनल लॉ में सबसे अधिक अंक मिले हैं और उसके लिए दो गोल्ड मेडल भी मिले। मैं बहुत खुश हूं और इस सफलता का श्रेय अपने पिता को दूंगी। आगे क्रिमिनल लॉ में एडवोकेट बनना चाहती हूं।

प्रियंका गुप्ता, डॉ। आरसी निगम मेमोरियल गोल्ड मेडल व जीजी चटर्जी मेमोरियल गोल्ड मेडल

मेरी मां आज होतीं तो बहुत खुश होतीं

मेरी मां शुभावती पांडेय का निधन पांच नवंबर को हुआ। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। आज मुझे जो दो गोल्ड मेडल मिले हैं वह मैं अपनी मां और पिता भानु प्रताप पांडेय को समर्पित करूंगा। मैंने एलएलबी थर्ड ईयर में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए। सब उनका आशीर्वाद रहा। मैंने लॉ की फील्ड चुनी क्योंकि मुझे संविधान पर बहुत भरोसा है।

संतोष कुमार पांडेय, महेंद्र सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल व एसके कोहली एडवोकेट मेमोरियल गोल्ड मेडल

पापा ने कहा था बीटेक कर लो, मैंने लॉ कर लिया

मेरे परिवार में 17 लॉयर्स हैं। पिता केडी तिवारी सीनियर एडवोकेट हैं। वह हमेशा से चाहते थे कि मैं बीटेक करूं, लेकिन मेरा रुझान हमेशा से लॉ फील्ड में था। उस समय पापा की बात न सुनकर मैंने लॉ किया। आज दो गोल्ड मेडल मिले, पापा बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि तुमने लॉ करके अच्छा काम किया। आगे पीसीएस जे की तैयारी करके जज बनने का सपना है।

उत्कर्ष तिवारी, प्रीथि सिंह श्रीवास्तव कमला श्रीवास्तव मेमोरियल गोल्ड व प्रो। एनएल टंडन मेमोरियल गोल्ड मेडल

अकेडमिक्स में बनाना है करियर

एमए साइकोलॉजी किया है। पिता एनएस सामंत शॉपकीपर हैं। वहीं मां आनंदी सामंत हाउस वाइफ हैं। मुझे चांसलर गोल्ड मेडल मिला है। अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां पिता के साथ अपने कॉलेज के प्रोफेसर को देना चाहूंगी। मैं आगे पीएचडी करके अकेडमिक्स में जाना चाहूंगी। पढ़ाई के लिए मैंने किताबों पर भरोसा किया। सोशल मीडिया पर समय वेस्ट करने के बजाय किताबों में समय इंवेस्ट करें।

ऋचा सामंत, चांसलर गोल्ड मेडल

आईएएस ऑफिसर बनकर लड़कियों के लिए करूंगी काम

मुझे तीन गोल्ड मेडल मिले हैं। एमकॉम में अव्वल आने के साथ साथ फर्स्ट व फोर्थ सेमेस्टर में सबसे अधिक अंक के लिए तीन गोल्ड मिले हैं। मैंने अपनी पढ़ाई बेसिक किताबों से की और नोट्स बनाएं। रेगुलर क्लासेज भी सफलता का आधार हैं। मेडल को लेकर मेरे पिता राममिलन जो पेशे से टीचर हैं और मां सुनीता बेहद खुश हैं। उन्हें ही मैं अपनी सफला का श्रेय दूंगी। आगे चलकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगी और लड़कियों के लिए काम करना चाहती हूं।

कीर्ति सिंह, कैलाशनाथ भार्गव गोल्ड मेडल, लाला शंकर सहाय गोल्ड मेडल व एनएन विद्यार्थी मेडल

पिता किसान, बेटी को मिले 4 गोल्ड मेडल

मेरे पिता प्रमोद कुमार शर्मा किसान है, मां सुमन शर्मा बेसिक टीचर हैं। हम तीन बहनें हैं पिता तीनों बेटियों को पढ़ा रहे हैं। मेरी बहन संचिता शर्मा को भी गोल्ड मेडल मिला है। रेगुलर पढ़ाई ही काफी है। मैंने सोशल मीडिया पर समय वेस्ट नहीं किया, उस समय को अपनी पढ़ाई पर लगाया। अपनी सफलता का श्रेय मां पिता को देना चाहती हूं। नेट की प्रिपरेशन कर रही हूं। आगे अकेडमिक्स में करियर बनाऊंगी।

सुभि शर्मा, बीरबल साहनी मेमोरियल गोल्ड मेडल, कामायनी मेमोरियल गोल्ड मेडल, ऋकेश्वर लाल सिन्हा प्रेरणा सिन्हा गोल्ड मेडल, एससी अग्रवाल मेमोरियल गोल्ड मेडल

मैथ्स मे मिले खराब अंक, संस्कृत में मिले तीन गोल्ड मेडल

इंटरमीडिएट पीसीएम ग्रुप से करने के बाद मैथ्स के खराब अंक को देखते हुए मैंने ग्रैजुएशन में बीए कर लिया। मेरे पापा ने अपने ग्रैजुएशन में संस्कृत सब्जेक्ट लिया था। मैंने उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए ग्रैजुएशन में संस्कृत लिया। बीए के अन्य सब्जेक्ट्स में मेरा रुझान कम हो गया तो मजबूरी में एमए में संस्कृत ले लिया। धीरे धीरे इस सब्जेक्ट में मेरी रुचि बढ़ने लगी आज 4 गोल्ड मेडल मिले हैं। मेरे पिता संतोष कुमार त्रिवेदी और माता सुनीता त्रिवेदी इस सफलता पर खुश हैं। आगे नेट क्वालीफाई करके प्रोफेसर बनने का सपना है।

मधु देवी, राजा सर हरनाम सिंह सर हारकोर्ट बटलर गोल्ड मेडल, कुमारी विमला पुरी गोल्ड मेडल, चंद्रादेवी राधा कृष्ण अरुणवंशी गोल्ड मेडल और इंद्रानी देवी मेमोरियल कैश प्राइज

शादी के बाद मेरा नया करियर शुरू हुआ

मैं स्टूडेंट होने के साथ साथ एक वाइफ और एक मदर भी हूं। लोग अक्सर सोचते हैं कि शादी के बाद लड़कियों की कोई लाइफ नहीं रह जाती। ऐसा बिल्कुल नहीं है। शादी से पहले मैंने जूलॉजी में पीजी किया था, जो सोचा था वह नहीं हुआ। शादी के बाद मैंने अपने करियर को अलग दिशा देने का प्रयास किया सो एलएलबी थ्री ईयर कोर्स में एडमिशन लिया। पति राहुल कुमार जो रेलवे में एसएसओ सेक्शन ऑफिसर हैं, ने बहुत मदद की। मेरा पांच महीने का बेटा दिशान भी है। जिसे हम दोनों पति पत्नी मिलकर संभाल रहे हैं। घर के साथ पढ़ाई मुश्किल थी लेकिन पति के सहयोग से सब मुमकिन हो पाया। आगे लॉ में ही करियर बनाना है।

चित्रांगदा कश्यप, चांसलर ब्रोन्ज मेडल

आर्मी में जाकर करूंगी देश की सेवा

बेस्ट एनसीसी कैडेट के लिए गोल्ड मेडल मिला है। मैं आर्मी में जाकर देश की सेवा करना चाहती हूं। एनसीसी जॉइन करने के बाद मुझे महसूस हुआ कि इस सर्विस में सेंस ऑफ रिस्पेक्ट और सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलटी है। मैं इसे बेहतर तरीके से कर सकती हूं। मेेरे सपने में मेरी मां रितु नैथानी और पिता गिरीश चंद्र बहुगुणा का सहयोग हमेशा से ही रहा है। मेडल को लेकर भी वह बहुत खुश हैं।

भावनी बहुगुणा, वाइस चांसलर गोल्ड मेडल

टीचिंग में आता है मजा, सिविल की भी करूंगी तैयारी

एमए पॉलिटिकल साइंस में बेहतर परफॉर्म करने के लिए पांच गोल्ड मेडल मिले हैं। मेेरे पिता राकेश बिहारी मेहरा एजुकेशन फील्ड से हैं। मां आशु मेहरा हाउस वाइफ हैं। अकेडमिक्स में हमेशा से अच्छी रही हूं, पढ़ने और पढ़ाने में मजा आती है ऐसे में आगे अकेडमिक्स में जाकर पढ़ाने का काम करूंगी। इसके बाद सिविल सर्विसेज की भी तैयारी कर रही हूं।

आयुषी मेहरा, पांच गोल्ड मेडल गोपी नाथ धवन मेमोरियल गोल्ड, डीएन समल मेमोरियल गोल्ड,निरुपमा मिश्रा गोल्ड, वांगला नरसम्मा गुरु मेमोरियल गोल्ड, आचार्य नरेंद्र देव माधव राव गोल्ड मेडल

मेडल पाकर एक अलग खुशी मिली है। पिता कृषि विभाग में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात है। उन्होंने पढ़ने के लिए हमेशा ही प्रेरित किया। घर पर एक भाई और बहन भी है। आगे सिविल सर्विसेज में जाकर देश सेवा करनी है। फिलहाल एसएससी सीजीएल क्रैक कर जनगणना विभाग में काम कर रही हूं। यही कहना चाहूंगी कि क्लास में जो पढ़ाया जाए, उसे रोज पढ़ें। लक्ष्य निर्धारित कर पढ़ाई करना जरूरी है वरना कभी लक्ष्य तक नहीं पहुंचेंगे।

-शिवी गौतम, चांसलर सिल्वर मेडल

पिता की ज्वेलरी शॉप है। प्रोफेसर बनने का सपना है। शुरू से ही पढ़ाना बहुत पसंद है। बड़े होकर यही सोचता था कि टीचर बनूंगा। आज अपने सपने के बेहद करीब पहुंचकर बहुत खुश हूं। पिता ने हमेशा ही स्वतंत्रता दी कि क्या करना इसका निश्चय करो। पढ़ाई के लिए बेहतर है की खुद के नोट्स तैयार करें। यूट्यूब और अन्य माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई भी जरूर करें। इससे अतिरिक्त सपोर्ट मिलता है।

अमन स्वर्णकार, छह गोल्ड मेडल