- लखनऊ यूनिवर्सिटी ने डी-लिट में एडमिशन के लिए तैयार किया ऑर्डिनेंस

- 10 साल का अनुभव रखने वाले कैंडीडेट्स को ही दिया जाएगा एडमिशन का मौका

LUCKNOW:

लखनऊ यूनिवर्सिटी में लंबे समय से डी-लिट कोर्स शुरू करने की मांग को यूनिवर्सिटी जल्द पूरा करने जा रही है। कोर्स शुरू करने के लिए नया ऑर्डिनेंस लगभग तैयार कर लिया गया है। कार्यपरिषद से पास होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही एलयू में एक दशक के बाद कैंपस में डी-लिट कोर्स शुरू हो जाएगा।

10 साल का अनुभव जरूरी

डी-लिट के लिए जो ऑर्डिनेंस तैयार किया जा रहा है, उसके अनुसार इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए कम से कम 10 साल का अनुभव होना जरूरी है। इसके साथ ही कैंडीडेट के कम से कम 15 जर्नल टॉप के पब्लिशर्स के यहां प्रकाशित होने चाहिए।

15 सौ शब्दों में लिखना हाेगा टॉपिक

नए ऑर्डिनेंस के अनुसार एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को आवेदन फॉर्म के साथ अपने टॉपिक पर कम से कम 15 सौ शब्द अधिकतर तीन हजार अक्षरों में लिखने होंगे। इसके साथ ही अपने अनुभव और रिकॉर्ड के प्रूफ भी फॉर्म के साथ जमा करने होंगे।

तो नहीं मिलेगा दो साल मौका

ऑर्डिनेंस में यह भी कहा गया है कि अगर कोई स्टूडेंट्स एक बार डी-लिट के एडमिशन की प्रक्रिया से रिजेक्ट हो जाता है, तो उसे कम से कम दो साल आवेदन का मौका नहीं दिया जाएगा। जब स्टूडेंट्स अपनी थीसिस पूरी कर जमा करने की तैयार कर रहे होंगे तो उन्हें पहले एक सेमिनार भी कराना होगा। इसी के बाद ही वे थीसिस जमा कसकेंगे।

डी-लिट कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन की प्रक्रिया पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद शुरू होगी। इसका ऑर्डिनेंस लगभग बन कर तैयार हो चुका है।

डॉ। दुर्गेश श्रीवास्तव, प्रवक्ता, एलयू