लखनऊ (ब्यूरो)। टेक्निकल यूनिवर्सिटी की तर्ज पर एलयू समेत अन्य यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम तो लागू है, लेकिन पढ़ाई के दिन घटने लगे हैं। यही नहीं, इस साल भी सेशन पटरी से उतरता दिख रहा है। एक तरफ जहां यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अब तक एडमिशन प्रक्रिया पूरी करके सेमेस्टर पढ़ाई शुरू करा देनी चाहिए थी, वहीं अभी भी कई जगह आवेदन प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में कोर्स पूरा कराकर सेमेस्टर एग्जाम कराना एक बड़ी चुनौती है।

180 दिनों की पढ़ाई पर ग्रहण

एलयू समेत कई विवि में सेमेस्टर सिस्टम लागू है। इस सिस्टम में एक सेमेस्टर में 90 दिनों की पढ़ाई पूरी होनी जरूरी है। इस तरह दो सेमेस्टर या सालभर के लिए 180 दिन पढ़ाई के होने चाहिए। लेकिन बीते सत्रों को देखें तो तीन महीने भी पढ़ाई नहीं हो पाती है। ऐसे में स्टूडेंट्स का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा सेमेस्टर एग्जाम में भी अधिक दिनों का समय लगता है। समय पर कोर्स खत्म करके समय पर परीक्षा कराना बड़ी समस्या बनता जा रहा है। जिसको सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई बहुत लाभ नहीं मिला है।

शिक्षकों पर भी रहता है दबाव

लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ। मनोज पांडेय का कहना है कि सेमेस्टर एग्जाम में स्टूडेंट्स को पढ़ाई का कम समय मिलता है। चूंकि साल में दो बार एग्जाम होता है ऐसे में शिक्षकों पर भी एग्जाम कराकर मूल्यांकन का दबाव होता है। इससे भी सेमेस्टर सिस्टम प्रभावित हो रहा है।

स्टूडेंट्स पर आर्थिक बोझ बढ़ा

एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव आर्यन मिश्रा का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली को स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन देने और उनके सतत मूल्यांकन के लिए लागू किया गया था, लेकिन इसका कोई खास असर दिख नहीं रहा है। एक तरफ सेशन लेट होने की समस्या बनी हुई है, दूसरी तरफ दो बार फीस देने से स्टूडेंट्स पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है।