1.5 लाख सीटें एडमिशन के लिए हर साल

60 हजार से अधिक सीटें रह जाती हैं खाली

15 फीसद सीटें दूसरे राज्य के स्टूडेंट्स के लिए होंगी

- एकेटीयू से संबद्ध कई कॉलेजों की स्थिति इतनी खराब, बाहर से बच्चों के आने की उम्मीद कम

LUCKNOW:

एकेटीयू में इस वर्ष से जेईई के माध्यम से सीटें भरी जाएंगी। यूनिवर्सिटी एवं संबद्ध कॉलेजों में सिर्फ 15 फीसद सीटें दूसरे प्रदेश के स्टूडेंट्स के लिए आरक्षित की गई हैं। इसके लिए संबद्ध कॉलेजों को देशभर से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए अपने स्तर में सुधार करना होगा और प्रदेश के टॉप कॉलेजों से कंप्टीशन करना होगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठकें कर रणनीति बनाना भी शुरू कर दिया है। वहीं 16 जनवरी को होने वाले दीक्षांत के बाद यूनिवर्सिटी अपने कॉलेजों के साथ एक बैठक भी करेगी।

85 फीसद सीटें प्रदेश की

यूनिवर्सिटी में होने वाले दाखिलों में नियमानुसार 85 फीसद सीटों पर जेईई मेन्स एग्जाम देने वाले उन स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा जो उत्तर प्रदेश के निवासी होंगे। बची 15 प्रतिशत सीटों पर अन्य प्रदेशों के स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि देश के तमाम आईआईटी में जाने का सपना रखने वाले स्टूडेंट्स का एकेटीयू की ओर रुख करना आसान नहीं होगा।

कड़ी टक्कर देगी यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की माने तो यूनिवर्सिटी देश की अन्य यूनिवर्सिटी को कड़ी टक्कर देने की योजना तैयार कर रही है। जिससे जेईई मेन्स से यूनिवर्सिटी और संबद्ध कॉलेजों में होने वाले एडमिशन में टॉप रैंकिंग के स्टूडेंट्स एडमिशन लें। इसे लेकर संबद्ध कॉलेजों ने अपने टीचिंग स्टाफ में सुधार करना शुरू कर दिया है। फैकेल्टी में उन टीचर्स को जगह देने की योजना बनाई गई है जिनके पास काफी अच्छा अनुभव हो।

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आईआईटी जैसे मानकों तक पहुंचना मुश्किल

सूत्रों की माने तो एकेटीयू से संबद्ध कॉलेजों में बहुत से ऐसे हैं जिनमें दिखाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तो है लेकिन पढ़ाने के लिए फैकेल्टी की समस्या है। जिसके चलते यूनिवर्सिटी में प्रतिवर्ष करीब 60 हजार से अधिक सीटें खाली रह जारी हैं। बता दें कि यूनिवर्सिटी में करीब डेड़ लाख से अधिक सीटों पर आवेदन लिए जाते हैं।