लखनऊ (ब्यूरो)। अल्सरेटिव कोलाइटिस या आंतों में सूजन की बीमारी की दवा सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक केजीएमयू की टीम के साथ मिलकर खोज रहे हैं। सीडीआरआई के मीडिया प्रवक्ता डॉ। संजीव यादव ने बताया कि संस्थान की निदेशक डॉ। राधा रंगराजन के निर्देशन में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ। अमित लाहिरी और शोध छात्रा शाजिया खान इस पर काम कर रहे हैं। केजीएमयू से डॉ। तूलिका चंद्रा और एसजीपीजीआई से डॉ। उदय घोषाल भी इस शोध में सहयोग कर रहे हैं।

दो साल से किया जा रहा शोध

सीडीआरआई की शोध छात्रा के मुताबिक, संस्थान के फार्मोकोलॉजी विभाग में दो साल से इसको लेकर शोध चल रही है। अल्सरेटिव कोलाइटिस आंत की सूजन का एक रोग है, जिसमें शरीर में इस तरह के प्रोटीन बनने लगते हैं, जो इम्युनिटी सिस्टम के अपोजिट काम करते हैं। इसके चलते आंतों की सूजन अल्सर में बदल जाती है। इस रोग की अभी तक कोई कारगर दवा नहीं बन पाई है। स्टेरॉयड व ब्लॉकर्स के जरिए रोग का इलाज किया जाता है, लेकिन उससे दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

क्ला की कमी से होती है दिक्कत

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सीडीआरआई में इसके बचाव में एक ऐसी दवा बनाने पर खोज की जा रही है जिसमें स्टेरॉयड का उपयोग न हो और शरीर को वह दवा नुकसान न पहुंचा सके। चिकित्सा संस्थानों से मरीजों के ऊतक, रक्त नमूने और मल के नमूने मुहैया करवाए जाते हैं जिस पर शोध किया जा रहा है। इस शोध में यह पता चला है कि शरीर के जिस भाग में अल्सर होता है वहां पर शरीर को ऊर्जा देने वाली कोशिका माइटोकान्ड्रिया काम करना बंद कर देती है। इसके पीछे एक प्रोटीन क्ला की कमी है, जिसकी वजह से माइटोकान्ड्रिया कोशिका नियंत्रित नहीं हो पाती, जिससे संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। सीडीआरआई के फार्मोकोलॉजी विभाग में इस प्रोटीन पर बीते दो वर्षों से शोध किया जा रहा है। इस प्रोटीन के जरिए दवा बनाने के कई पहलू खोजे जा रहे हैं, जो आंतों की सूजन कम करने के साथ-साथ बीमारी को भी जड़ से खत्म करने में सहायक हो।