लखनऊ (ब्यूरो)। बलरामपुर अस्पताल के बाद जल्द किडनी मरीजों के लिए सिविल अस्पताल में भी डायलिसिस यूनिट की शुरुआत की जायेगी। ऐसे में, डायलिसिस का इंतजार कर रहे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा गया है। उम्मीद है जल्द इसके लिए मंजूरी मिल जायेगी। बलरामपुर अस्पताल में 18 डायलिसिस मशीन हैं। इसमें 11 मशीनें पीपीपी मॉडल वाली हैं। हर दिन यहां करीब 30 मरीजों की डायलिसिस होती है, इसके बावजूद मरीजों की लंबी वेटिंग बनी रहती है और मरीजों को केजीएमयू, लोहिया आदि संस्थानों में रेफर कर दिया जाता है। कई बार मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पताल जाकर भी डायलिसिस करानी पड़ती है। सिविल अस्पताल में डायलिसिस यूनिट शुरू होने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि अस्पताल में चार बेड की डायलिसिस यूनिट शुरू करने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। पत्र में उनसे दो डायलिसिस मशीन के साथ ही ट्रेनी स्टाफ और जरूरी संसाधनों की मांग की गई है। उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिल जायेगी।

अच्छी नींद अल्जाइमर रोकने में सहायक

डॉ। राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के फिजियोलॉजी विभाग एवं एसोसियेशन ऑफ फिजियोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया तथा इंडिया सोसायटी ऑफ क्रोनामेडिसिन के संयुक्त तत्वाधान में क्रोनोबायोलॉजी एंड स्लीप अपडेट विषय पर सीएमई का आयोजन किया गया। निदेशक प्रो। सोनिया नित्यानंद द्वारा सीएमई का उद्घाटन एवं अध्यक्षता की गई। इस दौरान प्रमुख वक्ता प्रो। नरसिंह वर्मा, डॉ। त्रिपद दीप सिंह, तथा डॉ। आनंद श्रीवास्तव मौजूद रहे। इस दौरान एक्सपर्ट ने समय पर अच्छी संतोषजनक निद्रा लेने के लाभ बताए। जिसमें बताया गया कि अच्छी नींद से वजन बढऩे के संभावना का कम होना, हार्ट अटैक होने की संभावना कम होना एवं मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करना और याददाश्त को तीव्र बनाती है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ अल्जाइमर बीमारी को रोकती है।

एचआरएफ घोटाला की जांच कमेटी सवालों के घेरे में

केजीएमयू में एचआरएफ दवा की कालाबाजारी के लिए जांच कमेटी बना दी गई है। पर आश्चर्य की बात यह है कि जिस एचआरएफ विभाग पर जांच चल रही है उसी के सदस्यों को जांच कमेटी का भी सदस्य बना दिया गया है। ऐसे में, जांच कितनी सही होगी इसपर भी सवालिया निशान उठ रहे है। गौरतलब है कि एचआरएफ में मिलने वाली सस्ती दर की दवा को कर्मचारी द्वारा मार्केट में बेचे जाना का खुलासा हुआ था, जिसके सबूत खुद दवा कंपनियों ने केजीएमयू प्रशासन को दिए थे। इसके बाद जांच कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें एचआरएफ के चेयरमैन डॉ। अब्बास अली मेंहदी, डॉ। एचएस पाहवा, चीफ प्राक्टर डॉ। क्षितिज श्रीवास्तव समेत दो अन्य सदस्य शामिल हैं। कमेटी द्वारा दस्तावेज जुटाये जा रहे है। हालांकि, दवा में कितनी कालाबाजारी हुई है अभी इसकी जानकारी नहीं हो सकी है।